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भारत सब का सांझा, विचारों की असहमति ​देश द्रोह नही- रवीश कुमार

भारत सब का सांझा, विचारों की असहमति ​देश द्रोह नही- रवीश कुमार
  • PublishedDecember 14, 2019


एक और सत्याग्रह भारत की आत्मा के लिए विषय पर ​नागरिकता संशोधन बिला का मुद्दा रहा भारी


चंड़िगढ़। प्रख्यात पत्रकार रवीश कुमार ने नागरिकता संशोधन बिल पर कहा कि भारत सब धर्मो, फिरकों और जाति का सांझा देश है। इसके लिए किसी व्यक्ति का किसी बात पर असहमत होना देशद्रोह नही है।

लेक कल्ब में मिलेट्री लिटरेचर फैसटिवल-2019 के दूसरे दिन एक और सत्याग्रह भारत की आत्मा के लिए विषय पर पैनल विचार विमश के दौरान शिरकत करते हुए रवीश ने इस तथ्य पर ध्यान दिलाया कि देश के प्रति अपनी वफादारी और राष्ट्रीयता को परिभाषित करने के लिए धर्म को एकमात्र मापदंड बनाया जा रहा है।

इस विचार चर्चा के दौरान रवीश के इलावा श्री आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी और दिल्ली से गीता भट्ट शामिल हुए। जबकि लैफ्टीनेंट जनरल (सेवा मुक्त) जमीरद्दीन शाह, पूर्व डिप्टी चीफ आफ आर्मी स्टाफ ने सैशन की कारवाई चलाई।

रवीश कुमार ने अपने विचार जारी रखते हुए कहा कि राष्ट्रवाद को परिभाषित करने का आधार धर्म नही होना चाहिए। उन्होने कहा कि मीड़िया को एक निष्पक्ष संस्था होना चाहिए। परन्तु आज कल ऐसा है नही है। क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंब माना जाता मी​ड़िया असमति के अधिकार के छीने और दबे जाने पर चिंता जाहिर नही ​कर रहा। उन्होने जोर देते हुए कहा कि आज सवाल पूछना जुर्म बन गया है।

दिल्ली यूनिर्वसिटी के टीचिंग स्टाफ से पहुंचे गीटा भट्ट ने अपने विचार पेश करते हुए कहा कि भारत की सभ्यता का इतिहास युगों पुराना है, जहां कई सभ्यताएं प्रफुल्लित हो रही है। नागरिकता सोध बिल का सर्मथन करते हुए उन्होने कहा कि इस बिल का उद्देश्य हाशिए पर खड़े उन वर्गो को सुविधा देना है जो दूसरे देशों में धार्मिक जुल्म का सामना कर रहे है।

इस मौके पर अपने विचार रखते हुए सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि धर्म निष्पक्षता आज के संदर्भ में बहुत अहमियत रखती है। उन्होने कहा कि असल में दो राष्ट्रों का सिधांत पहली बार 1909 में भाई परमानंद ने दिया। ​फिर 1930 में आलामा इकबाल, 1937 में सावरकर और 1940 में मुहम्मद अली जिन्नाह ने इस सिधांत को आगे बढ़ाया। उन्होने कहा कि 1947 के विभाजन के समय तब की केंद्र सरकार ने धर्म निरपेक्ष ढांचे को देश हित में चुना ताकि बांटने वाली ताकतों को रोका जा सके। परन्तु यह बांटने वाली ताकते इन दिनों फिर सरगर्म होकर सिर उठा रही है।

​नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करते हुए तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय कानून के अनुसार धर्म के आधार पर पक्षपात न कर, शरणार्थी को पनाह देना देश का बुनियादी फर्ज है।

Written By
The Punjab Wire