जम्मू कश्मीर के लोग विकट संवाद हीनता से जूझ रहेः फैय्याज मीर
जम्मू। नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला अभी तीन महीने और हिरासत में गुजारने होंगे। पीएसए की अवधि तीन महीने बढ़ा दी गई है। 17 सितंबर से फारूक अब्दुल्ला पीएसए के तहत अपने ही घर में निरुद्ध हैं। उनके घर को अस्थायी जेल घोषित किया गया है। बता दें कि फारूक अब्दुल्ला तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में श्रीनगर से सांसद हैं। पीएसए के तहत सरकार किसी शख्स को बिना ट्रायल के छह महीने से दो साल की समयावधि के लिए हिरासत में रख सकती है।
इससे पहले जम्मू कश्मीर में भाजपा की सहयोगी रही पीडीपी के एक सांसद ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत नजरबंद अन्य नेताओं को रिहा करने की मांग की थी। उन्होंने शाह से घाटी के लोगों के मन में बैठे डर को भी दूर करने की अपील की थी।
वहीं पीडीपी के राज्यसभा सांसद मोहम्मद फैय्याज मीर ने कहा, जम्मू कश्मीर के लोग विकट संवाद हीनता से जूझ रहे हैं। उनका दैनिक जीवन प्रतिबंधों के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि सरकार के उच्च अधिकारी जम्मू कश्मीर में जनता के बीच पहुंचे और उनके दर्द को सुनें, उनकी अनिश्चितता को दूर करें।
फैय्याज ने नजरबंद नेताओं को रिहा करने की भी मांग की। गौरतलब है कि 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से केंद्र सरकार ने पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को नजरबंद किया है।
फारूक अब्दुल्ला को तो 17 सितंबर को पीएसए के तहत नजरबंद कर दिया गया। मीर ने लिखा, जम्मू कश्मीर में मुद्दों को सुलझाने और वहां के लोगों के बीच परप रहे फासले को दूर करने के लिए लेाकतंत्र ही सबसे मजबूत आधार है।