8 जिलों में 19 कंटेनमैंट जोन स्थापितउच्च जोखिम के साथ सह-रोग वाले मरीजों को कोविड केयर सैंटर में दाखिल नहीं किया जाएगा
सिविल सर्जन यह सुनिश्चित करेंगे कि कोविड केयर सैंटर के पास उपयुक्त ऑक्सीजन से लैस बेसिक लाईफ स्पोर्ट एंबुलेंस हो
घर-घर निगरानी मुहिम के अंतर्गत 8,40,223 व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया
चंडीगढ़ऽ, 23 जून:कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा विशेष इलाकों में कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए ठोस रणनीति लागू की गई है जिसके अंतर्गत अब तक 8 जिलों में 19 कंटेनमैंट जोन स्थापित किये गए हैं जिसमें तकरीबन 25000 व्यक्ति आते हैं। इस संबंधी जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में एक गली या दो के साथ लगती गलियों, एक मोहल्ला या रिहायशी सोसायटी के तौर पर कंटेनमैंट जोनों की स्पष्ट रूप में सीमा रेखा की गई है। कंटेनमैंट और माईक्रो कंटेनमैंट जोन खास क्षेत्र में कोविड-19 मामलों की कुल संख्या पर निर्भर करता है जिससे सभी उच्च जोखिम वाले संपर्कों की स्क्रीनिंग, ट्रेसिंग, टेस्टिंग और काउंसलिंग जैसी गतिविधियां करने के लिए मानव स्रोत के उपयुक्त प्रयोग को यकीनी बनाया जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में, इसमें पूरा गाँव हो सकता है या गाँव के एक हिस्से तक सीमित हो सकता है। इस विवरण का मूल सिद्धांत छोटे / सीमित क्षेत्र में इन जोनों की उपयुक्त सीमा रेखा करना है। ऐसे क्षेत्रों की पहले पहचान करना संक्रमण के फैलने को रोकने में सफल साबित हुआ है। इस तरह कंटेनमैंट क्षेत्रों में सभी लोगों की नियमित रूप से स्क्रीनिंग की जाती है और कोविड-19 के सभी संभावित संदिग्ध मामलों की जांच की जाती है और पॉजिटिव पाए जाने वाले व्यक्तियों को सेंटरों में तबदील कर दिया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उच्च जोखिम वाले मरीजों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए सिविल सर्जनों को हिदायतें जारी की गई हैं कि 60 साल से अधिक उम्र वाले या अन्य बीमारियों जैसे कि शुगर रोग, हाईपरटैंशन आदि से पीडि़त उच्च जोखिम वाले मरीजों को कोविड केयर सैंटर (सी.सी.सी.) में दाखिल नहीं किया जायेगा। स्तर -1 और स्तर -2 के मरीजों को स्तर-3 सुविधा में दाखिल नहीं किया जायेगा। कोविड केयर सैंटर के मरीजों को सिर्फ स्तर-2 फैसिलिटी में तबदील किया जाऐगा अगर पहले जारी किये रैफरल मापदंड के अनुसार सुझाया गया हो।
हरेक कोविड केयर सैंटर के पास उचित ऑक्सीजन के साथ लैस एक समर्पित बेसिक लाईफ स्पोर्ट एंबुलेंस (बीएलएसए) दिन-रात उपलब्ध होनी चाहिए जिससे अगर लक्षण हल्के से मध्यम या गंभीर होते हैं तो व्यक्ति को समर्पित उच्च स्वास्थ्य संस्थाओं में सुरक्षित लेजाया जा सके। उन्होंने कहा कि बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों का स्तर-1 (सी.सी.सी.) में ध्यान रखा जायेगा।घर-घर निगरानी मुहिम के बारे में बताते हुए स. सिद्धू ने कहा कि लक्षणों का जल्द पता लगाने और समय पर जांच को यकीनी बनाने के लिए आशा वर्करों / कम्युनिटी वॉलंटियरों की सहायता से घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा रहा है।
ऐप के जरिये, 30 साल से अधिक उम्र की पूरी ग्रामीण और शहरी आबादी का सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसमें सह-रोग वाले लोगों की जांच और एस.ए.आर.आई / आई.एल.आई निगरानी भी शामिल है। एकत्रित किया गया डेटा रिस्क मैपिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। 22 जून 2020 तक, 8,40,223 व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें से 8,36,829 में वायरस के लक्षण नहीं पाए गए और 3997 में खाँसी, बुखार, गले में खराश, साँस फूलना आदि के लक्षण पाए गए हैं। यह सर्वेक्षण जो अभी जारी है, 5512 गाँवों और 1112 शहरी वार्डों में सम्पन्न हो चुका है।