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अन्य स्थानों से पंजाब आने वाले हरेक नागरिक को अनिवार्य 21 दिनों के एकांतवास पर भेजने के मुख्यमंत्री ने दिये आदेश

अन्य स्थानों से पंजाब आने वाले हरेक नागरिक को अनिवार्य 21 दिनों के एकांतवास पर भेजने के मुख्यमंत्री ने दिये आदेश
  • PublishedApril 28, 2020

मुख्यमंत्री की तरफ से अगामी दिनों में थोड़ी ढील देने के संकेत देने पर कांग्रेसी विधायकों ने सावधानी इस्तेमाल करते हुए सीमित छूटों की सलाह दी

चंडीगढ़, 28 अप्रैल: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से चाहे अगामी दिनों में बंदिशों और सावधानियों के साथ कुछ छूटें देने के संकेत दिए गए परन्तु साथ ही उन्होंने मंगलवार को ऐलान किया कि कोविड के फैलाव की रोकथाम के लिए अन्य स्थानों से पंजाब आने वाले हरेक नागरिक को अनिवार्य 21 दिनों के एकांतवास पर भेजा जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नांदेड़ साहिब से आने वाले श्रद्धालुओं और राजस्थान से आने वाले विद्यार्थियों और मज़दूरों को सरहद पर ही रोक कर सरकारी एकांतवास केन्द्रों पर भेजा जायेगा जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि 21 दिनों के लिए वह दूसरे लोगों के साथ घुल-मिल न सकें। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की सहायता के साथ पिछले तीन दिनों से लौट रहे लोगों के लिए राधा स्वामी सतसंग डेरों को भी एकांतवास स्थान के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने यह ऐलान उस समय पर किया जब उन्होंने यह संकेत दिया कि राज्य को कोविड -19 कफ्र्यू /लॉकडाऊन की स्थिति में से बाहर निकालने नीति घडऩे के लिए बनाई माहिरों की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सभी सावधानियों का ख्याल रखते हुए उनकी सरकार कुछ ढील दे सकती है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह वीडियो कॉन्फ्ऱेंस के द्वारा राज्य के कांग्रेसी विधायकों के साथ कोविड और लॉकडाऊन की स्थिति के साथ राज्य में चल रहे गेहूँ के खरीद प्रबंधों संबंधी चर्चा कर रहे थे।
विधायकों में बड़े स्तर पर इस बात पर सहमति थी कि सिफऱ् कुछ क्षेत्रों में बहुत सीमित छूटों के साथ बंदिशों को कुछ और हफ़्तों के लिए जारी रखा जाये और राज्य की सरहदों के साथ-साथ जि़लोंं और गाँवों की सरहदों को भी सील रखा जाये। उन्होंने बंदिशों को हटाने में बेहद सावधानी बरतने की सलाह देते हुये बाहरी संपर्क और फैलाव को सीमित करने के लिए किसी भी कोविड मरीज़ का इलाज उसके सम्बन्धित जिले में ही करने की बात की।

मुख्यमंत्री ने विधायकों से अपील की कि वह अपनी सार्वजनिक जिम्मेदारियां निभाते हुए सभी एहतियाती उपायों की पालना करके लोगों के लिए उदाहरण पेश करें। वीडियो कॉन्फ्ऱेंस में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ समेत विभिन्न विधान सभा हलकों के नुमायंदे भी उपस्थित थे।

उत्तर प्रदेश की तरफ से अपने प्रवासी मज़दूरों को पंजाब में एकांतवास के बाद वापस भेजने की अपील पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने समकक्ष को बता दिया है कि यह उनकी सरकार ने करना है न कि पंजाब ने ।

मुख्यमंत्री ने आगे स्पष्ट किया कि उनकी सरकार प्रवासी मज़दूरों की देखभाल का ख्याल रखती हुई हुये पूरी कोशिशें करेगी जिनकी वापसी के लिए उत्तर प्रदेश की तरह विभिन्न राज्यों की तरफ से सुविधा दी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘हमें उनकी देखभाल की ज़रूरत है जिससे वह पंजाब को छोड़ कर न जाएँ क्योंकि यहाँ उनके खरीद प्रबंधों के साथ उद्योगों के लिए भी ज़रूरत है जिनको हम धीरे -धीरे खोल रहे हैं।’

लॉकडाऊन होने के बाद 35 दिनों में मामलों में लगातार विस्तार जारी रहने संबंधी मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने अलग-अलग जानकारी और अध्ययन के आधार पर यह संकेत दिए हैं कि यह रुझान जुलाई तक जारी रहेगा। हालाँकि लॉकडाऊन की ज़रूरत संबंधी सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाऊन, जहाँ तक संभव हो सके, इस रोग के फैलाव को रोकने के लिए ज़रूरी है जिससे स्थिति बदतर होने की सूरत में और वैक्सीन की उम्मीद में मुल्क अच्छी तरह तैयारी कर सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब 19 जानें गंवा चुका है और अभी तक 330 केस पॉजिटिव पाये गये हैं। उन्होंने कहा कि एन.आर.आई. और तबलीग़ी जमात के बाद अब नांदेड़ (महाराष्ट्र) में स्थित गुरुद्वारा हजूर साहिब से वापस आ रहे श्रद्धालुओं के साथ राज्य में रोग के फैलाव का ताज़ा ख़तरा खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि एक अन्य बड़े जत्थे के बुधवार को पंजाब पहुँचने की उम्मीद है और राज्य सरकार ने इन सभी को राधा स्वामी के डेरों में एकांतवास में रखने की योजना बनाई है।
मीटिंग के दौरान ज़ाहिर की गई कुछ चिंताओं के जवाब में मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया कि गेहूँ की रिकार्ड तोड़ फ़सल को सँभालने के लिए बारदाने की कोई कमी नहीं आयेगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि कोविड का मामला सामने आने पर उद्योगों के मालिकों /सी.ई.ओज़ के खि़लाफ़ कोई एफ.आई.आर. दर्ज नहीं होगी।

जाखड़ ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित उद्योग को रात के समय चलाने की इजाज़त देने का सुझाव पेश किया जिससे वर्करों का आपस में  मिलना रोका जा सके। लॉकडाऊन को हटाने के मुद्दे पर उन्होंने सावधान करते हुये अपील की कि कोरोनावायरस के बढ़ते रुझान को तो रोकना चाहते हैं परन्तु आर्थिकता को ख़त्म नहीं करना चाहते। उन्होंने सुझाव दिया कि गाँव स्तर पर कोविड जोनों का वर्गीकरण किया जाये जिससे ढील दिए जाते समय इनका बेहतर प्रबंधन यकीनी बनाया जा सके। उन्होंने आगामी मॉनसून सीजन में डेंगू के फैलाव को रोकने के लिए भी मुहिम चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने राज्य सरकार को मौजूदा संकट के दौरान पैनशनों और अन्य सामाजिक सुरक्षा की अगामी अदायगी करने की अपील भी की। पंजाब कांग्रेस के प्रमुख ने बिजली समझौतों के लिए अकालियों और भाजपा को जि़म्मेदार बताते हुये कहा कि केंद्र इन समझौतों के द्वारा ही राज्य पर बोझ डाल रहा है।

विभिन्न विधायकों ने टेस्टिंग सुविधाओं, वैंटीलेटरों, राहत के लिए राशन किटों की कमी के मुद्दे उठाए जबकि पठानकोट से विधायक अमित विज्ज और भोआ के विधायक जोगिन्द्र पाल ने अन्य सैंपलों का मामला उठाया। उन्होंने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को किताबें मुहैया करवाने के लिए भी कहा क्योंकि सभी बच्चे आनलाइन क्लासों का हिस्सा नहीं बन सकते और कईयों के पास तो स्मार्ट फ़ोन भी नहीं हैं। उन्होंने इस अनिर्धारित संकट के दौरान लोगों के लिए इन्टरनेट के मुफ़्त प्रयोग और मुफ़्त सेहत सहूलतें मुहैया करवाने के लिए भी कहा।

गुरदासपुर के विधायक बरिन्दरमीत सिंह पाहड़ा ने कहा कि टेस्टिंग सुविधा जिला स्तर पर मुहैया होनी चाहिए (इस समय पर सैंपल अमृतसर में भेजे जा रहे हैं)। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार गुरू अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल साइंसेज़ यूनिवर्सिटी और पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी में टेस्टिंग के लिए मंजूरी देने की कोशिशें कर रही है और नयी रैपिड टेस्टिंग किट के इन्तज़ार में है क्योंकि पहले किटें दोषपूर्ण पायी गई थी। टेस्टिंग बढ़ाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू जो मोहाली से नुमायंदगी करते हैं, ने कहा कि गर्मियों में पी.पी.ई. का प्रयोग मुश्किल हो गया है और विभाग की तरफ से टेस्टिंग के लिए ‘क्योसक’ बनाने का विकल्प तलाशा जा रहा है।

मज़दूरों की कमी के मद्देनजऱ 10 जून से धान की फ़सल लगाने की मंजूरी देने के अलावा श्री पाहड़ा ने किसानों को उनके बकाए की अदायगी करने के लिए प्राईवेट चीनी मिलों को भी हिदायतें देने की माँग की।

राज कुमार वेरका (अमृतसर) गरीबों के बिलों को माफ करने और स्कूलों की तरफ से फ़ीसों न देने के हक में थे। वह और राणा गुरजीत सिंह (कपूरथला) फ्रंट लाईन पर काम कर रहे मीडिया कर्मियों और ठेकेदारी /कंट्रैक्ट पर काम कर रहे सफ़ाई कर्मचारियों के लिए सेहत बीमा कवर भी चाहते थे।
राणा गुरजीत सिंह ने सुझाव दिया कि डेरियों के साथ पड़े अतिरिक्त दूध को मध्य वर्ग और ज़रूरतमंदों समेत सार्वजनिक वितरण प्रणाली क ेअधीन मुफ़्त बाँटने के लिए सूखे दूध के पाउडर में बदला जाना चाहिए।

सुखपाल सिंह भुल्लर (खेमकरन) ने ग्रीन गाँवों को ढील के समय भी सील करने का सुझाव दिया और कहा कि लोगों (श्रद्धालुओं या अन्य) को उनके एकांतवास समय को पूरे होने तक गाँवों में दाखि़ल होने की आज्ञा न दी जाये। नवतेज सिंह चीमा (सुलतानपुर लोधी) और भारत भूषण आशु (कैबिनेट मंत्री और लुधियाना पश्चिमी विधायक) ने सैक्टर /क्षेत्र को सीमित हद तक छूट देने के लिए सख्ती की हिमायत की, जबकि दसूआ के विधायक अरुण डोगरा ने एक चालक पर चिंता ज़ाहिर की जोकि नांदेड़ से श्रद्धालुओं को मिला और आज टेस्टिंग में पॉजिटिव पाया गया।

बलविन्दर सिंह लाडी (श्री हरगोबिन्दपुर) ने मंडी में से अनाज की ढुलाई में तेज़ी लाने की माँग की जबकि प्रकट सिंह (जालंधर छावनी) ने उद्योग को पेश मुश्किलों संबंधी रौशनी डाला। बावा हेनरी (जालंधर उत्तर) द्वारा पीडि़त मरीज़ों के लिए घर की एकांतवास का मुद्दा उठाया गया।

सुशील रिंकू (जालंधर पश्चिमी) ने इच्छा ज़ाहिर की कि मजनू का टीला गुरूद्वारे में फंसे श्रद्धालुओं को वापस लाया जाये जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर पहले ही दिल्ली सरकार को लिख चुकी है। दर्शन लाल (बलाचौर) चाहते थे कि अन्यों स्थानों से आने वाले प्रभावित मामलों को रोकने के लिए राज्य की सरहदों को सख्ती से सील कर दिया जाये और अंगद सिंह सैनी (नवाशहर) ने कोविड के विरुद्ध चल रही लड़ाई को लम्बी लड़ाई बताया।

गुरप्रीत सिंह जी.पी. (बस्सी पठाना) ने मिल्कफैड पंजाब की तरफ से बसी पठाना में स्थापित किये जा रहे मेगा मिल्क प्लांट की शुरुआत करने का सुझाव दिया जिससे छोटे उत्पादन और मज़दूरों को सहायता दी जा सके।

Written By
The Punjab Wire