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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 30 अप्रैल के बाद मंडियों में गेहूँ लाने वाले किसानों को बोनस देने की माँग दोहराई

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 30 अप्रैल के बाद मंडियों में गेहूँ लाने वाले किसानों को बोनस देने की माँग दोहराई
  • PublishedApril 14, 2020

चंडीगढ़, 14 अप्रैल: राज्य में कल 15 अप्रैल से शुरू हो रहे गेहूँ की कटाई और खरीद सीजन के मद्देनजऱ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर 30 अप्रैल के बाद मंडियों में गेहूँ लाने वाले किसानों को बोनस देने की माँग दोहराई, जिससे मंडियों में भीड़ जमा होने से रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को 1 मई, 2020 के बाद मंडियों में गेहूँ लाने वाले किसानों के लिए एम.एस.पी. के अलावा 100 रुपए प्रति क्विंटल और 31 मई के बाद गेहूँ लाने वालों के लिए 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का तुरंत ऐलान करना चाहिए, जिससे किसानों को मंडी में उपज को संभालने के लिए आई अतिरिक्त लागत और फ़सल में आई कमी के लिए मुआवज़ा दिया जा सके।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि कोविड-19 के फैलाव को रोकनो के मद्देनजऱ बोनस का भुगतान करने की लागत स्वास्थ्य देखभाल की लागत के नतीजे के तौर पर ख़र्ची जाएगी, जो इस जानलेवा वायरस के फैलने की स्थिति में भुगतनी पड़ेगी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बताया कि देश के ज़रुरी स्टॉक को यकीनी बनाने के लिए पंजाब, केंद्रीय पूल के लिए खऱीदी गई गेहूँ का लगभग 30-35 प्रतिशत योगदान डाल रहा है। राज्य को रबी 2019-20 के दौरान लगभग 18.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूँ की कटाई की उम्मीद है और मार्केट में लगभग 13.5 मिलियन मीट्रिक टन आमद होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री ने मोदी को आगे बताया कि गेहूँ का सामान्य मार्किटिंग सीजन 1अप्रैल से 31 मई तक है, परन्तु राज्य के कुछ हिस्सों में मार्च और अप्रैल 2020 के दौरान हुई बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि के कारण हुए नुकसान के अलावा कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन/कफ्र्यू के कारण राज्य में गेहूँ की कटाई में देरी हुई है। इस समय के दौरान भारी बारिश और ओलावृष्टि के नतीजे के तौर पर कुछ इलाकों में गेहूँ की फ़सल पानी से भर गई थी। फसलों को बचाने के लिए किसानों को अपने खेतों में इक_ा हुआ पानी बाहर निकालने के लिए अतिरिक्त खर्चा करना पड़ा। इसके अलावा, फसलों के चपटे होने से फसल में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि ज्य़ादा खर्च, खेतों में से अतिरिक्त पानी निकालने पर हुए खर्च और पकने वाली फ़सल के नुकसान ने राज्य के मेहनती किसानों को चिंता में डाल दिया है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि कोरोनावायरस महामारी के ख़तरे के मद्देनजऱ राज्य द्वारा गेहूँ की खरीद के लिए पहले से ही व्यापक प्रबंध किए गए हैं। मौजूदा रबी मार्किटिंग सीजन के दौरान सामाजिक दूरी को यकीनी बनाने के लिए खरीद केन्द्रों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 1820 से बढ़ाकर लगभग दोगुनी 3791 की गई है और इन केन्द्रों में रोज़ाना की आने वाली गेहूँ की आमद को सीमित करके खरीद सीजन 30 जून तक बढ़ाने की योजना बनाई गई है।

राज्य में फैली महामारी के कारण कृषि मज़दूरों की कमी होने के कारण ऐसा करने की ज़रूरत पड़ी, जिसमें कटाई के बाद घर में उतारने के साथ-साथ मार्किटिंग के दौरान भंडारण और फिर लोडिंग के समय भी किसानों को अतिरिक्त खर्चों का बोझ बर्दाश्त करना पड़ता था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि इसके नतीजे के तौर पर, किसानों को महामारी फैलने के कारण मार्केटिंग के प्रबंधन के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के खर्च की लागत को वहन करने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है।

Written By
The Punjab Wire