फैक्ट्रीज़ एक्ट 1948, इंडस्ट्रीज डिसप्यूट एक्ट 1947 और कंट्रैक्ट लेबर (रैगूलेशनज़ एंड एबौलेशन) एक्ट 1970 में किए संशोधन
एम.एस.एम.ईज़ के लिए कारोबार करने में आसानी के लिए राइट टू बिजऩेस एक्ट 2019 और राइट टू बिजऩेस रूल्ज 2019 को भी दी मंजूरी
चंडीगढ़, 2 दिसम्बर। राज्य में बने निवेश समर्थकीय माहौल और रोजग़ार सृजन को और बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन सोमवार को हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग में फैक्ट्रीज एक्ट 1948, इंडस्ट्रीज डिसप्यूट एक्ट 1947 और कंट्रैक्ट लेबर (रैगूलेशनज़ एंड एबौलेशन) एक्ट 1970 में विभिन्न संशोधनों को मंज़ूरी दी गई।पंजाब राइट टू बिजऩेस एक्ट -2019 और पंजाब राइट टू बिजऩेस एक्ट -2019 को लाने के लिए ऑर्डीनैंस को मंजूरी दे दी है जिसका उद्देश्य नये शामिल किये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के लिए कारोबार करने में आसानी को उत्साहित करना है।सरकारी प्रवक्ता ने विवरण देते हुए बताया कि मंत्रीमंडल द्वारा फैक्ट्री एक्ट 1948 में सैक्शन 2(एम) (द्ब), 2(एम) (द्बद्ब), 85, सैक्शन 56, सैक्शन 59, सैक्शन 65 (3) और सैक्शन 105 में संशोधनों के साथ-साथ एक ऑर्डीनैंस के द्वारा नया सैक्शन 106 बी शामिल कर लिया।इस ऑर्डीनैंस के साथ बिजली की सहायता से या बिना सहायता चल रहे निर्माण कार्यों वाली फ़ैक्ट्रियों में वर्करों की सीमा 10 और 20 से बढ़़ाकर क्रमवार 20 और 40 हो जायेगी। यह कामगारों के लिए रोजग़ार के और ज्यादा मौके पैदा करने के लिए छोटे निर्माण इकाईयों को उत्साहित करेगा। निष्कर्ष के तौर पर एक्ट के मौजूदा सैक्शन 2 एम (द्ब), 2 एम (द्बद्ब), 85, 56 और 65 (3) (द्ब1) को सुधारने का प्रस्ताव है।तिमाही में ओवरटाइम पर काम के कुल घंटों की संख्या बढ़ाने की ज़रूरत उद्योगों की माँग पर आधारित है जिससे फ़ैक्ट्रियाँ ज़रूरी आधार पर काम को पूरा कर सकें।इसके साथ ही सैक्शन 105 के मौजूदा सब सैक्शन (1) में भी संशोधन का प्रस्ताव है जिससे अदालत द्वारा किसी भी अपराध का नोटिस राज्य सरकार से लिखित रूप में पिछली मंज़ूरी मिलने के बाद ही एक इंस्पेक्टर द्वारा की शिकायत पर लिया जायेगा। एक्ट की मौजूदा धाराओं के अंतर्गत अपराधों को मिश्रित (कम्पाउूंडिंग) करने का कोई प्रबंध नहीं है जिसके नतीजे के तौर पर मकुद्दमा चलाने के अधिक केस होते हैं। अपराधों के जल्द निपटारे और मुकद्मेबाज़ी को कम करने के लिए धारा 106 का भी प्रस्ताव किया गया जिससे अपराधों को मिश्रित किया जायेगा।एक और फ़ैसले में मंत्रीमंडल ने छंटनी, पुन: संभाल और बंद करने सम्बन्धी उपबंधों को लागू करने के लिए कर्मचारियों की न्युनतम संख्या 100 से बढ़ाकर 300 करने सम्बन्धी धारा 25 के (1) में संशोधन को भी मंज़ूरी दे दी है जबकि नोटिस की न्युनतम सीमा 3 महीने की गई है।मंत्रीमंडल ने कंट्रैक्ट लेबर (रैगूलेशन एंड एबौलेशन) एक्ट 1970 की धारा 1 के ख्ंाड 4 की उप धारा (ए) और (बी) में संशोधन को भी मंज़ूरी दे दी। इससे राज्य में रोजग़ार सृजन करने के मौके बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि इसके साथ मौजूदा वर्करों की सीमा 20 से बढ़ाकर 50 तक हो सकेगी।इसी दौरान सरकार द्वारा पंजाब व्यापार का अधिकार एक्ट -2019 और पंजाब व्यापार का अधिकार नियम -2019 लाने का फ़ैसला किया गया है जिससे राज्य में स्वै-घोषणा के उपबंध को लागू करते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की स्थापना और चलाने के लिए अलग -अलग मंजूरियों और निरीक्षणों की ज़रूरत को ख़त्म करके रेगुलेटरी के पालन के बोझ को घटाया जा सके।एक्ट में प्रमुख सेवाओं को घेरे में लिया गया है जिनमें इमारती योजना को मंजूरी, इमारत के लिए मुकम्मल/कब्ज़ा सर्टिफिकेट जारी करना, फायर एन.ओ.सी. के लिए अजऱ्ी, ट्रेड लाइसेंस की रजिस्ट्रेशन, फैक्ट्री की इमारत योजना की मंजूरी और दुकान या अन्य कारोबार की रजिस्ट्रेशन शामिल है।नये ऑर्डीनैंस के अंतर्गत डायरैक्टर उद्योग और व्यापार के नेतृत्व में प्रांतीय नोडल एजेंसी स्थापित की जायेगी जो डिप्टी कमीश्नरों के नेतृत्व में जि़ला स्तरीय नोडल एजेंसियों के समूचे कामकाज की निगरानी करेगी।राज्य भर में स्थापित किये जाने वाले जि़ला उद्योग ब्यूरो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सम्बन्धित डिप्टी कमिश्नर्ज़ मनोनीत किये जाएंगे। यह जि़ला स्तरीय ब्यूरो ही राज्य सरकार और प्रांतीय नोडल एजेंसी की समुची निगरानी अधीन काम करेंगे।एक्ट के अंतर्गत जि़ला स्तरीय एजेंसी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्राप्त हुए डैक्लैरेशन ऑफ इनटैंट का रिकॉर्ड रखने और मंज़ूरशुदा औद्योगिक पार्कों में स्थापित किये जाने वाले नये उद्योग के लिए सैद्धांतिक मंजूरी का सर्टिफिकेट जारी करने में सहायता करेगी। औद्योगिक पार्क से बाहर प्रस्तावित एम.एस.एम.ई. इकाईयों के लिए सैद्धांतिक मंजूरी का सर्टिफिकेट जारी करने का फ़ैसला जि़ला स्तरीय नोडल एजेंसी द्वारा कामकाज वाले 15 दिनों के समय के अंदर लिया जायेगा।पंजाब दो लाख छोटे और मध्यम इकाईयों का घर है जो औद्योगिक विकास के महत्वपूर्ण स्तम्भों में से एक है।