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निजी मैडीकल यूनिवर्सिटियों की मनमर्जी का दौर खत्म करने की तरफ पंजाब सरकार ने बढ़ाया कदम-सोनी

निजी मैडीकल यूनिवर्सिटियों की मनमर्जी का दौर खत्म करने की तरफ पंजाब सरकार ने बढ़ाया कदम-सोनी
  • PublishedMarch 5, 2020

पंजाब विधानसभा ने पंजाब प्राईवेट हैल्थ साइंसज़ ऐजुकेशनल संस्थाएं (दाखि़ले के नियम, फीस निर्धारण और आरक्षण) संशोधन बिल, 2020 को किया पास

निजी मैडीकल संस्थाओं में दाखि़ला, फीस निर्धारण और आरक्षण राज्य सरकार की हिदायतों के मुताबिक होगा

चंडीगढ़, 5 मार्च । पंजाब विधानसभा द्वारा पंजाब प्राईवेट हैल्थ साइंसज़ ऐजुकेशनल संस्थाएं (दाखि़ले के नियम, फीस निर्धारण और आरक्षण) संशोधन बिल, 2020 को पास करना निजी मैडीकल यूनिवर्सिटियों की मनमर्जी के दौर को ख़त्म करने की तरफ एक क्रांतिकारी कदम है। यह खुलासा मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान मंत्री, पंजाब ओ.पी. सोनी ने किया। उन्होंने बताया कि अब से सभी मैडीकल कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों/डीम्ड यूनिवर्सिटियों समेत प्राईवेट मैडीकल संस्थाओं में दाखि़ला, फीस निर्धारण और आरक्षण राज्य सरकार की हिदायतों के अनुसार होगा।

पंजाब प्राईवेट हैल्थ साइंसज़ ऐजुकेशनल संस्थाएं (दाखि़ले के नियम, फीस निर्धारण और आरक्षण) संशोधन एक्ट, 2006 में संशोधन के उद्देश्यों और कारणों का विवरण देते हुए मैडीकल शिक्षा मंत्री ने बताया कि अब तक उक्त एक्ट पंजाब के निजी मैडीकल संस्थाओं में फ़ीसों, दाखि़लों और आरक्षण निर्धारण करने को नियंत्रित करता था। परन्तु आदेश यूनिवर्सिटी ने इसके खि़लाफ़ एक रिट्ट पटीशन दायर की थी। निष्कर्ष के तौर पर माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मई 2014 में अपने फ़ैसले में कहा था कि आदेश यूनिवर्सिटी और अन्य प्राईवेट यूनिवर्सिटियाँ मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग, पंजाब के एक्ट 2006 के अधीन नहीं आते जो सिर्फ निजी मैडीकल संस्थाओं पर लागू होता है न कि प्राईवेट यूनिवर्सिटियों पर।

मैडीकल शिक्षा मंत्री ने कहा कि उस समय की राज्य सरकार ने पता नहीं किन कारणों से प्राईवेट यूनिवर्सिटियों को उक्त एक्ट के अधीन लाने के लिए कोई कोशिश नहीं की। इसलिए लोगों के हित में कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने एक्ट के घेरे को विशाल करने का फ़ैसला किया और इसमें संशोधन की प्रस्तावना की।श्री सोनी ने कहा कि विधानसभा से मंजूरी मिलने से अब सभी निजी स्वास्थ्य संस्थाओं/यूनिवर्सिटियों में दाखि़ले के नियम, फीस निर्धारण और आरक्षण के लिए एक समान कानून होगा जो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा स्थापित और प्रशासित नहीं हैं और इसमें एक संस्था शामिल है, जिसमें किसी भी यूनिवर्सिटी, डीम्ड यूनिवर्सिटी या कॉलेज, चाहे सहायता प्राप्त या बिना सहायता प्राप्त, ग़ैर-अल्पसंख्यक या किसी व्यक्ति या व्यक्तियों या ट्रस्ट या कोई अन्य निजी संस्था, एजेंसी या संस्था या संगठन द्वारा नियंत्रित या प्रशासित या चलाया जा रहा है, जो संस्था किसी भी कोर्स या स्वास्थ्य विज्ञान के कोर्सों के लिए डिग्री या डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने की गतिविधि को चलाती है।

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि इससे फीस निर्धारण, सीटों के आरक्षण और दाखि़ले के मामलों सम्बन्धी भ्रम दूर होगा और इस प्रक्रिया को सुचारू बनाया जा सकेगा।उन्होंने बताया कि इस संशोधित हुए एक्ट को पंजाब प्राईवेट हैल्थ साइंसज़ ऐजूकेशनल संस्थाएं (दाखि़ले के नियम, फीस निर्धारण और आरक्षण) संशोधन एक्ट, 2020 के तौर पर जाना जायेगा और यह सरकारी गज़ट में प्रकाशित होने की तारीख़ से लागू होगा। उन्होंने कहा कि सभी निजी स्वास्थ्य विज्ञान शैक्षिक संस्थाएं ओपन मेरिट कैटागरी और मैनेजमेंट कैटागरी में दाखि़ले के लिए, सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़े वर्ग के नागरिकों की तरक्की के लिए या अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित रखी जाएंगी जिनको सरकारी गज़ट में समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा नोटीफाई किया जायेगा।

परन्तु यह आरक्षण अल्पसंख्यक निजी स्वास्थ्य विज्ञान शैक्षिक संस्थाओं में अल्पसंख्यक श्रेणी की सीटों पर लागू नहीं होता।उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने फीस निर्धारित करने के लिए डॉ. तलवार, सलाहकार (स्वास्थ्य एवं मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान) की अध्यक्षता अधीन एक आठ सदस्यीय कमेटी गठित की है।जि़क्रयोग्य है कि एक्ट में स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ है एक शिक्षा जो बैचलर ऑफ मैडिसन और बैचलर ऑफ सजऱ्री (एम.बी.बी.एस.), बैचलर ऑफ डैंटल सजऱ्री (बी.डी.एस.), बैचलर ऑफ आयुर्वैदिक मैडिसन एंड सजऱ्री (बी.एम.एस.), बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मैडिसन एंड सजऱ्री (बी.एच.एम.एस.) और/या उनके पोस्ट ग्रेजुएट्स और स्वास्थ्य एवं डॉक्टरी शिक्षा से सम्बन्धित ऐसे अन्य कोर्स जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर नोटीफाई किये जाते हैं।

Written By
The Punjab Wire