चार गाड़ियां हुई प्रभावित, टाटा मूरी को मुकेरिया के रास्ते भेजा
शाम सात बजे तक डीसी, एसएसपी समेत कई बड़े अधिकारी धरना उठाने के लिए पहुंचे, आठ बजे उठाया
मनन सैनी
गुरदासपुर। किरती किसान यूनियन की और से गन्ना बकाया राशि तथा अन्य मांगों के लेकर शुक्रवार को रेल ट्रक पर धरना दे दिया गया। इस धरने से चार गाड़िया प्रभावित हुई जबकि एक का रुट बदला गया। खबर लिखे जाने तक किसानों का धरना निरंतर जारी था जिसे उठाने के लिए गुरदासपुर के डिप्टी कमिशनर मोहम्मद इश्फाक, एसएसपी स्वर्णदीप सिंह, एडीसी (जनरल) तेजिंदर सिंह संंधू, एसपी हरविंदर सिंह संधू आदि बडे अधिकारी मौजूद थे समेत पुलिस बल मौके पर मौजूद थे। डीसी के आश्वासन के उपरांत देर रात आठ बजे धरने को उठा लिया गया।
बता दें कि किसानों की ओर से डीसी दफतर के समक्ष तीन दिवसीय धरना देने की योजना बनाई गई थी। वही बुधवार को पहले दिन तो किसानों का पूरा दिन धरना चला और किसी भी अधिकारी ने आकर उनसे उनकी मांगों को सुनना जरूरी नहीं समझा। वही गुरुवार को दूसरे दिन 4:00 बजे डीसी मोहम्मद अशफाक द्वारा किसानों को मीटिंग के लिए बुलाया गया। दो घंटे चली इस मीटिंग में मांगों को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया गया। इस उपरांत आक्रोश में आए किसानों ने शुक्रवार को रेल रोकने की चेतावनी दी। जिसे प्रशासन की ओर से हलके में लिया गया।
मांगो को मनवाने हेतू किसानों ने शुक्रवार को काहनूवान फाटक पर दोपहर करीब डेढ़ बजे रेलवे ट्रैक पर ही धरना देकर बैठ गए। धरने की अगवाई किसान नेता सरवन सिंह पंधेर, बख्शीश सिंह सुलतानी, रणबीर सिंह डुग्गरी व सुच्चा सिंह बलग्गन कर रहे थे। जिन्होने कहा कि चाहे जो मर्जी हो जाए, किसानों का संघर्ष थमने वाला नहीं है। हर बार अधिकारियों द्वारा उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन तो दिया जाता है। लेकिन उनकी मांगों को लागू नहीं किया जाता है। इस बार भी उनकी डीसी मोहम्मद इशफाक से वीरवार को शाम चार से छह बजे तक दो घंटे लगातार मांगों पर बातचीत चली। लेकिन डीसी द्वारा उनकी किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया गया। जिस कारण किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इस मौके पर राम मूर्ति, महिंदर सिंह थम्मण, करनैल सिंह मल्ली, अश्विनी कुमार दोरांगला, निर्मल सिंह, दलबीर सिंह ठुंडी, दीदार सिंह, रछपाल सिंह डुग्गरी, सुखविंदर सिंह, सुखदेव सिंह आदि उपस्थित थे।
जाम से चार ट्रेन प्रभावित हुई जिसमें 74674 डीएसयू पठानकोट-वेरका, 74673 डीएमयू वेरका टू पठानकोट, 74671 जीएमयू अमृतसर-पठानकोट तथा 14634 रावी एक्सप्रैस शामिल है। स्टेशन मास्टर सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि टाटा मूरी ट्रेन को डायवर्ट कर मुकेरिया से दिल्ली के लिए भेज दिया गया है। जबकि दिल्ली से पठानकोट आने वाली गाड़ी अभी तक धारीवाल स्टेशन पर रुकी है। जिसकी अभी कुछ पता नही है।
इन मांगों को नहीं किया जा रहा स्वीकार—
–पिछले वर्ष तबाह हुई गेहूं की फसल का 40 हजार प्रति एकड़ के हिसाब मुआवजा दिया जाए और इस बार बारिश से नष्ट हुई गेहूं की गिरदावरी करवाई जाए।
–किसानों को गन्ने का बकाया राशि अदा की जाए।
–संघर्षों के दौरान रेलवे की ओर से दर्ज किए किसानों पर मामला रद्द किए जाए।
-नाला नोमनी व किरन की सफाई करवाई जाए ताकि बरसाती पानी का निकास हो सके।
-60 साल से अधिक आयु के किसानों-मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के अधीन दस हजार रुपए पेंशन दी जाए।
-पांच एकड़ तक की मालिक वाले किसानों के खेती कार्यों को मनरेगा के अधीन लाया जाए।
-शगुन स्कीम 51 हजार रुपए की जाए।
-फूड सिक्योरिटी कानून के तहत छोटे किसान-मजदूरों को बिना भेदभाव स्मार्ट कार्ड जारी कर इस स्कीम का लाभ दिया जाए।
-घरेलू बिजली एक रुपए युनिट दी जाए।
-पिछली सरकार ने प्राइवेट कंपनी के साथ किए लोक विरोधी समझोते रद्द किए जाए।
-अवारा पशुओं की संभाल की जाए।
-गांवों के छप्पड़ों की सफाई व गहराई की जाए।
-गुरदासपुर से गाहलड़ी को जाती सडक़ तुरंत बनाई जाए।
-सरकारी कार्यालयों में फैला भ्रष्टाचार खत्म किया जाए।
वहीं इस संबंधी डीसी गुरदासपुर ने बताया कि किसानों की कुछ मांगो को सरकार की ओर से मान लिया गया है।जिसमें 2018 तथा बाद की फसलों की खराब फसलों का मुआवजे के पैसे मिल चुके है। उन्होने कहा कि सरकार के ध्यान में सारा मामला आ चुका है और सरकार जल्द प्राईवेट मिलों को भी अदालयगी के लिए कहेगी ताकि किसानों को कोई परेशानी पेश न आए। उन्होने कहा कि उनकी तरफ से किसानों के साथ पूरी नौगोसिएशन की गई तथा धरने को शांतिपूर्वक समाप्त करवा दिया गया।