डीजीपी दिनकर गुप्ता द्वारा पुलिस अधिकारियों के साथ सुरक्षा सम्बन्धी समीक्षा
सुरक्षा संबंधी तथ्यों और ताज़ा धमकियों के मद्देनजऱ क्षेत्रीय अधिकारियों को और ज्य़ादा कार्यशील होने के आदेश
पुलिस की सार्वजनिक मित्रता नीति के अंतर्गत ‘एक गाँव एक पुलिस अधिकारी’ की योजना होगी शुरू सभी जि़लों में महिलाओं की मदद के लिए होंगे विशेष प्रबंध
फिल्लौर/चंडीगढ़, 14 फरवरी:पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने आंतरिक सुरक्षा संबंधी प्राप्त हुए ताज़ा तथ्यों और ताज़ा धमकियों के मद्देनजऱ क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों को और ज्य़ादा सक्रिय होने के लिए कहा है। वह फिल्लौर में राज्य के सभी एसएसपीज़ और सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ राज्य के कानून व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे।
मीटिंग के दौरान डीजीपी ने आतंकवाद के विरुद्ध कार्यवाही, संगठित जुर्मों, नशों के खि़लाफ़ मुहिम, अनसुलझे कत्ल, बलात्कार और पोसको सम्बन्धी मामलों की समीक्षा की। मीटिंग में उन्होंने अहम व्यक्तियों और नाजुक स्थानों की आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करने के अलावा थानों के रिकॉर्ड, पुलिस डाटा बेस और जुर्मों के रिकॉर्ड, पुलिस अधिकारियों की स्क्रीनिंग, ज़ब्त की गईं नशीली वस्तुएँ और शराब का निपटारा करने समेत अन्य मामलों में ज़ब्त गाड़ीयों के निपटारे जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
लंबे समय के सैशन के दौरान आईजी रेंज, पुलिस कमिश्नरोंं और एसएसपीज़ के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद पुलिस द्वारा राज्य के 12700 गाँवों के लिए एएसआई / हवलदार / सिपाही के पद पर एक नामांकित पुलिस अधिकारी की निशानदेही करने का फ़ैसला किया है जो उन गाँव में रहते लोगों के लिए एक संपर्क प्रदान करेगा।यह प्रगटावा करते हुए डीजीपी ने आगे कहा कि ऐसे पुलिस मुलाजि़मों के नाम और फ़ोन नंबर लोगों को पंजाब पुलिस की वैबसाईट पर सांझे किये जाएंगे।
गाँव के लिए लगाए पुलिस अधिकारी द्वारा हर सप्ताह में एक बार गाँव के मसलों और मुश्किलों को समझने के लिए गाँव का दौरा किया जायेगा।इसके अलावा मीटिंग में यह भी फ़ैसला लिया गया कि सभी जि़लों में महिला हैल्पडैस्क भी स्थापित किये जाएंगे जहाँ महिला मुलाजि़म की तैनाती होगी। इसके अलावा सभी 406 थानों में सिपाही या उससे अतिरिक्त रैंक की महिला पुलिस मुलाजि़म को भी तैनात किया जायेगा। इन महिला पुलिस अधिकारियों के नाम और फ़ोन नंबर भी पुलिस की वैबसाईट पर डाले जाएंगे।
यह मुलाजि़म पुलिस और लोगों के दरमियान एक पुल का काम करेंगे। वह लोगों की मुश्किलें और शिकायतें सुनने के अलावा अपेक्षित पुलिस सहायता और सुरक्षा प्रदान करेंगे। यह अधिकारी पुराने समय की ज़ैल (गाँवों के समूह) प्रणाली की जगह लेंगे और एक एएसआई / हवलदार 8 से 10 गाँव की निगरानी करेगा।इसके अलावा यह अधिकारी अपराधियों और उनकी गतिविधियों और ठिकानों की सूचना रखेंगे, भगौड़े हुए अपराधियों आदि, नशों की बिक्री और वितरण संबंधी जानकारी एकत्रित करेंगे।
डीजीपी ने आगे कहा कि विलेज पुलिस अधिकारी एक मित्रतापूर्वक ग्रामीण मुलाजि़म के तौर पर उभरेगा और एक डिजिटल गाँव की जानकारी युक्त प्रणाली को बनाने और तैयार करने में सहायता करेगा।इस मौके पर सभी पुलिस कमिश्नरों और एसएसपीज़ ने पिछले साल के दौरान उनकी प्राप्तियों, नवीनताओं और प्रोजेक्टों को प्रदशर््िात करने के अलावा भविष्य की योजनाओं संबंधी रौशनी डाली।
दिनकर गुप्ता ने आंतरिक सुरक्षा के नज़रिए संबंधी ताज़ा जानकारी के मद्देनजऱ राज्य में सचेत होने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए अहम व्यक्तियों और नाजुक स्थानों के सुरक्षा प्रबंधों को मज़बूत करने के लिए निर्देश जारी किये। डीजीपी ने पुलिस कमिश्नरों और एसएसपीज़ को हिदायत की कि वह रोज़ाना की योजना बनाएं और स्वयं फील्ड में निजी तौर पर जाकर थानों और संवेदनशील स्थानों का दौरा करके सुरक्षा उपायों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाएं।
उन्होंने हिदायत की कि सभी गज़टिड अधिकारियों की ख़ास ड्यूटियां लगाई जाएँ और एस.एच.ओज़ प्रात:काल से शाम तक फील्ड में रहें। डीजीपी द्वारा जटिल मामलों और गंभीर अपराधों की जांच सम्बन्धी लम्बित पड़े मामलों और महत्वपूर्ण /अनसुलझे मामलों की समीक्षा भी की गई।पुलिस के काम सम्बन्धी प्रमुख क्षेत्रों को गिनाते हुए श्री गुप्ता ने पुलिस थानों के रिकॉर्ड, पुलिस डाटाबेस और आपराधिक रिकॉर्ड जेल सुरक्षा, लम्बित पड़ी विभागीय जांचें, पुलिस अधिकारियों की स्क्रीनिंग के अलावा ग़ैर-उपस्थित रहने के आदी, अपराध और नशों की तस्करी में शामिल और पुलिस स्टेशनों में पड़ी ड्रग और व्हीकलों के निपटारे पर ध्यान केन्द्रित करने पर ज़ोर दिया।
उन्होंने अमृतसर ग्रामीण, फाजि़ल्का और संगरूर के एस.एस.पीज़ की टीम को निर्देश दिए कि वह पुलिस थानों की सरगर्मियों की विस्तार में एंट्री करने के लिए कम्प्यूट्रीकृत परफॉरमे और साजो-सामान को आपस में साझा करें जिससे इसको फील्ड स्तर पर बढिय़ा तरीके से अपडेट किया जा सके और सीनियर अधिकारियों द्वारा इसका जायज़ा लिया जा सके।उन्होंने नशों के विरुद्ध की गई कार्यवाही का विचार-विमर्श के दौरान जायज़ा लिया।
इसके अलावा नशों की बरामदगी, दर्ज केसों की गीनती, गिरफ़्तार किये गए व्यक्तियों, ज़ब्त की गई जायदाद और ऐसे अपराधियों के अगले पिछले संपर्कों का भी विचार-विमर्श के दौरान जायज़ा लिया। उन्होंने पंजाब को नशा मुक्त करने के लिए सभी जि़ला पुलिस मुखियों और पुलिस कमिश्नरों को पूरा ध्यान देने के निर्देश दिए।
डीजीपी ने फील्ड अफसरों को संबोधन करते हुए तैनाती की उचित योजनाबंदी, रात की ड्यूटियों के मौके पर जांच करने, नाजुक स्थानों की पहचान करने के लिए अपराध मैपिंग, प्रोबेशनरी सब-इंस्पेक्टरों को और ज्य़ादा जि़म्मेदारी देने, पुलिस में चल रहे भ्रष्टाचार के ख़ात्मे के लिए पुलिसिंग में सुधार लाने पर ज़ोर दिया। सरकारी निर्देशों के अनुसार नोडल डीएसपी नियुक्त करना, जेल संपर्क, महिलाओं के विरुद्ध अपराध, और सी.सी.टी.एन.एस., कम्प्यूट्राईजड़ और थानों के खोज योग्य रिकॉर्ड और पुलिस इंट्रानैट (अंदरूनी संचार प्रणाली) स्थापित करने पर भी ज़ोर दिया।
पुलिस के कामकाज के लिए मुख्य क्षेत्रों की सूची बनाते हुए गुप्ता ने पुलिस थानों के रिकॉर्ड, पुलिस डाटाबेस और जुर्म के रिकॉर्ड, जेल सुरक्षा, लम्बित विभागीय पूछताछ, अपराध और नशा तस्करी में शामिल आदि समेत लम्बी गैर-हाजिऱी वाले पुलिस अधिकारियों की पड़ताल में सुधार सम्बन्धी रूपरेखा दी। इसके अलावा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार केस प्रॉप्रटी का जल्द निपटारा करके थानों के मालखानों में पड़ी नशीली वस्तुओं, शराब और वाहनों का तर्कसंगत निपटारा करने पर भी ज़ोर दिया।
डी.जी.पी ने गैंगस्टरों, उच्च स्तरीय और महत्तवपूर्ण मामलों की जानकारी देने वालों, नशों संबंधी जागरूकता पैदा करने वालों, नशों को पकडऩे में भूमिका निभाने वालों, पुलिस थानों के रिकॉर्ड को अपडेट करने, साईबर क्राइम पड़ताल करने और ख़ुफिय़ा तंत्र को विकसित करने में बढिय़ा भूमिका निभाने वाले 12 पुलिस मुलाजि़मों को सम्मनित किया।समग्गलरों और नशों के व्यापारियों की जायदाद ज़ब्त करने के लिए मिसाली भूमिका निभाने वाले तरन तारन के एस.एस.पी ध्रुव दहिया ने इस मौके एक पेशकारी की।
उन्होंने अपराधियों की जायदाद ज़ब्त करने के लिए उपयुक्त केस तैयार करने के लिए उन्होंने और उनकी टीम द्वारा तरन तारन में अमल में लाते हुए बढिय़ा अमला और विकसित की गई प्रक्रिया को पेश किया। और जि़लों के पुलिस मुखियों ने भी अपने-अपने जि़ले के विलक्षण प्रोजेक्टों और अमलों की जानकारी सांझी की जिससे इन अमलों में से कुछ सीखा जा सके और इनको अन्य जि़लों में भी लागू किया जा सके।