बालाकोट एयर स्ट्राईक से खुश परन्तु संतुष्ट नही, दोबारा ऐसा हमला न हो इसके लिए जांच जरुरी
शहीद मनिंदर सिंह के परिवार को भूली केंद्र तथा राज्य सरकार
मनन सैनी
गुरदासपुर। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले को साल होने के बावजूद अभी तक जांच पूरी नही हो पाई है। अभी तक यह पता नही लग पाया है कि इतने बड़े आंतकी हमले को अंजाम तक कैसे पहुंचाया जा सका। पूरे भारत देश को हिला देने वाली इस घटना के पीछे किसका फेलियर रहा। इतनी बड़ी तादात में कैसे विस्फोटक वहां पहुंचा। जिस संबंधी केंद्र सरकार जल्द से जल्द जांच पूरी कर सामने लाए। यह मांग पुलवामा में शहीद हुए दीनानगर के मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री की ओर से की गई। जिनके जख्म आज भी अपने बेटे की शहादत को याद कर हरें है। बालाकोट एयर स्ट्राईक पर सहमत होते हुए शहीद के पिता ने कहां कि वह बालाकोट एयर स्ट्राईक से खुश जरुर है परन्तु संतुष्ट नही। उन्होने कहा कि पुलवामा में इतने बड़ी सुरक्षा फेलियर हुई है जिसके लिए जिम्मेवारों को सजा मिलनी चाहिए। ताकि आगे से ऐसा कोई हमला न हो ।
कैप्टन के आश्वासन में अदर में लटका दूसरे बेटे का भविष्य, नही बना यादगारी गेट नही रखा स्कूल का नाम
सतपाल अत्री ने बताया कि मनिंदर सिंह की शहादत के बाद उनकी देखभाल करने वाला उनका छोटा बेटा लखवीश सिंह है। लखवीश सिंह सीआरपीएफ में तैनात था। परन्तु उन्होने पंजाब सरकार से मांग की थी कि उनके बेटे को पंजाब पुलिस में शामिल कर लिया जाए। जिसके चलते खुद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी पंजाब पुलिस के डीजीपी को इस संबंधी हस्तक्षेप कर मामला देखने के लिए कहा। जिसके बाद सीआरपीएफ वालों की ओर से लखवीश को फारिग कर दिया गया।परन्तु अब उसका भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि पंजाब सरकार की ओर से अभी तक उसे नौकरी नही दी गई। उन्होने कहा कि वह चाहते है कि उनका छोटा बेटा अपने पंजाब में रह कर पंजाब के लोगो की पंजाब पुलिस में रहकर सेवा करें। उन्होने बताया कि कैप्टन सरकार की ओर से अनुदान तो दिया गया परन्तु एलान किया गया था कि मनिंदर सिंह के नाम पर स्कूल का नाम रखा जाएगा तथा यादगारी गेट बनाया जाएगा। परन्तु न तो अभी तक स्कूल का नाम बदला गया है और न ही अभी तक यादगारी गेट का निर्माण करवाया गया है।
सरकार के भरोसे पर भाई ने छोड़ी सीआरपीएफ की सेवाएं, अब बेरोजगार
उन्होने बताया कि लखवीश छह महीने से वह घर पर लेकिन नौकरी नहीं दी गई। उसने घर के पास गुरदासपुर में नौकरी के लिए मुख्यमंत्री, डीसी सहित कई अधिकारियों को भी कई बार पत्र लिख चुका है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पिता सतपाल अत्री ने बताया कि सरकार को किया वादा याद करवाने के लिए वह तीन बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने चंडीगढ़ जा चुके हैं परन्तु मुख्यमंत्री के साथ उनकी मुलाकात नही करवाई गई। उन्होने बताया कि गत 20 जनवरी को डीसी गुरदासपुर की ओर से बेटे की नौकरी संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए पटवारी दस्तावेज लेकर गए है तथा डीसी की ओर से कहा गया है कि जल्द कारवाई करेगें।
चुनावों के दौरान आर्शिवाद लेने जरुर आए सनी देओल जीतने के बाद हाल तक नही पूछा
देश के राजनेताओं की ओर से शहीदों के नाम पर सियायत चमकाने पर दुख व्यक्त करते हए सतपाल अत्री ने अपील करते हुए कहा कि किसी को भी शहीद के नाम पर राजनीति नही चमकानी चाहिए। उन्होने बताया कि चुनावों के वक्त आर्शिवाद लेने के लिए सनी देओल उनके घर पहुंचे परन्तु सांसद बन जाने के उपरांत उनकी कोई सुध नही ली।
सरकारों ने नही परन्तु लोगो ने दिल में बसाया, अमिताब बच्चन कर चुके है सहायता
सतपाल अत्री ने बताया कि बेशक सरकार शहीद परिवारों से किया वादा पूरा नहीं कर रही लेकिन लोगों ने शहीद परिवारों को दिल में बसा रखा है तथा समय समय पर मदद करती है। जिसकी मिसाल संस्था खालसा एड ने पुलवामा हमले में शहीद हुए पंजाब के चारों शहीदों के परिवारों को पांच-पांच हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन लगाई है। यह पेंशन लगातार परिवारों को मिल रही है। उन्होने बताया कि मुम्बई, केरल, गुजरात, तामिलनाडू, आदि कई जगहों पर उन्हे सम्मानित करने के लिए बुलाया जाता है। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने भी उन्हे बुला कर उन्हे सम्मानित किया तथा सहायता राशी पांच लाख रुपए दी।
मोदी सरकार बनने पर नही मिला निमंत्रण, न 15 अगस्त न 26 जनवरी को बुलाया ।
सतपाल अत्री ने बताया कि मोदी सरकार के शपथ समारोह के दौरान कहा गया था कि पुलवामा शहीद परिवारों को बुलाया जाएगा। परन्तु उन्हे इस संबंधी कोई निमंत्रण नही आया। उन्होने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से उन्हे न तो 26 जनवरी और न ही 15 अगस्त को निमंत्रण दिया गया। हालाकि 15 अगस्त को पंजाब सरकार की ओर से उन्हे निमंत्रण जरुर आया परन्तु इस 26 जनवरी को राज्य स्तरीय समारोह गुरदासपुर में हुआ परन्तु उन्हे कोई निमंत्रण नही दिया गया।
डीसी का कहना लखवीश के केस की फाइल बना कर सरकार को भेजी
इस संबंधी गुरदासपुर डीसी विपुल उज्ज्वल का कहना है कि मुख्यमंत्री ने खुद नौकरी देने के लिए पत्र लिखा था। लखवीश के केस की फाइल बनाकर सरकार को भेजी गई है। आगे की प्रक्रिया सरकार को करनी है। सरकार की ओर से आर्थिक सहायता परिवार को दे दी गई है।