दिल्ली में यू-टर्न लेकर अकाली दल ने राजनैतिक हितों की ख़ातिर संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन किया -कैप्टन अमरिन्दर सिंह
सुखबीर बादल ने अपने निजी हितों के लिए नागरिकता संशोधन कानून को सौदेबाज़ी के तौर पर प्रयोग किया
चंडीगढ़, 30 जनवरी: दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा को समर्थन देने के मुद्दे पर यू-टर्न लेने के लिए अकालियों पर बरसते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज कहा कि अपने राजनैतिक हितों की ख़ातिर अकाली दल ने संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन किया है।
शिरोमणी अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल द्वारा हाल ही में दिए गए बयान कि दिल्ली चुनाव में पार्टी भाजपा के हक में ज़ोर लगाएगी, संबंधी मुख्यमंत्री ने कहा कि अकालियों के बार -बार स्टैंड बदलने से असंवैधानिक और विघटनकारी नागरिकता संशोधन एक्ट (सी.ए.ए.) पर इनके झूठों का पर्दाफाश हुआ है।
सुखबीर द्वारा यू -टर्न लेते समय यह सफ़ाई देनी कि दोनों पार्टियों के बीच गलतफहमियों को दूर कर लिया गया है, का हवाला देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने माँग की कि क्या भाजपा, अकाली दल के पहले स्टैंड के अनुरूप सी.ए.ए. में संशोधन करने के लिए सहमत हो गई है या अकालियों ने राष्ट्रीय हितों को दाव पर लगाकर एक बार फिर से भाजपा के आगे घुटने टेक दिए हैं। उन्होंने सुखबीर को कहा, ‘‘आप लोगों के प्रति जवाबदेह हो।’’ उन्होंने गंभीर चिंता वाले मुद्दे पर अकाली दल के ग़ैर-सैद्धांतिक स्टैंड के लिए सुखबीर को फटकार लगाते हुए कहा कि संसद में अकाली दल द्वारा खुलेआम सी.ए.ए. के हक में खड़े होने से लेकर हर दूसरे दिन इनका असली चेहरा सामने आ जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली चुनाव केवल एक हफ़्ता पहले भाजपा को समर्थन देने के पहले स्टैंड से पीछे हटने का फ़ैसला सिद्ध करता है कि अपने राजनैतिक हितों की पूर्ति के लिए अकाली दल ने सी.ए.ए. को सौदेबाज़ी के तौर पर इस्तेमाल किया है। इस कदम ने अकालियों की ख़ुदगजऱ्ी और केंद्र में सत्ताधारी गठजोड़ का हिस्सा बनकर कुर्सी से चिपके रहने के लिए बादल परिवार की लालसा जग-ज़ाहिर कर दी है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर सुखबीर के शर्मनाक तथ्य दिखाते हैं कि बादलों को अब शिरोमणी अकाली दल के एक सैद्धांतिक पार्टी होने का दिखावा छोडऩे की भी कोई परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि जिस पार्टी का गठन विभिन्न सिद्धांतों को कायम रखने के लिए किया गया हो, उसे न तो राजनैतिक नैतिकता की परवाह है और न ही पहले सिख गुरू श्री गुरु नानक देव जी के महान फलसफे जो सब धर्मों से ऊपर उठकर मानवीय एकता का संदेश देता है, पर चलने की चिंता प्रतीत होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली दल ने सी.ए.ए. में मुसलमानों को शामिल न करने के कारण भाजपा को समर्थन न देने का दावा किया था परन्तु सत्ताधारी एन.डी.ए. को छोडऩे की बजाय सुखबीर बादल ने भाजपा का पल्ला पकड़े रखने का रास्ता चुना।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि दिल्ली में अकाली दल के यू-टर्न ने अकालियों में और दरार पैदा की है जो विभाजन की कगार पर पहुँची प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि अकाली दल पूरी तरह गुटबाज़ी का शिकार है और इसके पास अपने स्तर पर राजनैतिक लड़ाई लडऩे की भी क्षमता नहीं है जिसका दिखावा हरियाणा में हो चुका है। उन्होंने कहा कि स्वाभाविक है कि अकालियों को राजनैतिक सीढ़ी चढऩे के लिए भाजपा के साथ की ज़रूरत है और खासकर उस समय जब पंजाब में चुनाव के लिए सिफऱ् दो साल का समय रह गया हो और अकालियों को कोई राजनैतिक सहारा न दिखता हो। यह हैरानी वाली बात नहीं कि सिफऱ् दो दिन पहले सुखबीर को स्पष्ट करना पड़ा कि पंजाब में अकाली-भाजपा गठजोड़ सलामत है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह उपयुक्त समय है कि सुखबीर और उसके साथी एहसास करें कि ऐसे ग़ैर-सैद्धांतिक, अनैतिक और मौकापरस्त गठजोड़ के साथ राजनैतिक भविष्य नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि पंजाब में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव अकाली दल के लिए विनाशकारी साबित होंगे और राज्य का अकालियों के घातक इरादों से बचाव होगा।