सी.ए.ए. के विरुद्ध रोष प्रकट कर रहे लाखों लोग ‘गांधी परिवार के अनुसेवी’ नहीं हो सकते
कहा मेरी कुर्सी तो सुरक्षित है परन्तु सुखबीर एन.डी.ए. का साथ न छोडक़र अपनी पत्नी की कुर्सी बचाने के लिए हाथ-पैर मार रहा है
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान को हिटलर की आत्मकथा ‘माइन कंफ’ भेजी, किताब पढक़र इतिहास से सीखने के लिए कहाकिताब पढक़र फ़ैसला करो, ‘राष्ट्र पहले या राजनैतिक सरोकार’
चंडीगढ़, 22 जनवरी:मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल द्वारा सी.ए.ए. पर लिए स्टैंड की उनके द्वारा आलोचना को सुखबीर बादल द्वारा ‘सिख विरोधी’ बताने के तर्क पर सवाल करते हुए अकाली दल के प्रधान को इतिहास संबंधी समझ बनाने के लिए अडोल्फ हिटलर की आत्मकथा ‘माइन कंफ’ की प्रति भेजी है।
उन्होंने सुखबीर बादल को यह किताब पढऩे की नसीहत दी जिससे वह केंद्र सरकार जिसमें अकाली भी हिस्सेदार हैं, द्वारा पास किये गए असंवैधानिक कानून के ख़तरनाक निष्कर्षों संबंधी समझ सकें।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में हिटलर के एजंडे को लागू करने के लिए केंद्र की ताज़ा कोशिशों के संदर्भ में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि अकाली नेता सी.ए.ए. संबंधी अपना बेतुका प्रतीकर्म देने से पहले जर्मन के पूर्व चांसलर की आत्मकथा पढ़ें। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अलग-अलग अकाली नेताओं के हाल ही में आए बयानों ने इस संवेदनशील मुद्दे पर अकालियों की नासमझी का प्रगटावा किया है जबकि इस मुद्दे के मुल्क के लिए गहरे मायने हैं।
मुख्यमंत्री ने सुखबीर को कहा कि वह यह किताब पढ़े और उसके बाद फ़ैसला करे कि ‘राष्ट्र पहले है या राजनैतिक सरोकार।’ सुखबीर बादल को किताब के साथ भेजी चि_ी में मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘संसद के दोनों सदनों और विधानसभा में इस बिल के हक में खड़ा होना और बाकी प्लेटफॉर्मों पर इसका विरोध करना एक राजनैतिक नेता के अज्ञानता को दिखाता है।’’अपने पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने याद करते हुए कहा कि उन्होंने विधानसभा के सत्र के दौरान अकाली दल के नेताओं को हिटलर की किताब ‘माइन कंफ’ की कॉपियां भेजने का वायदा किया था जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद ‘माई स्ट्रगल्ज़’ है। मुख्यमंत्री ने लिखा,‘‘यह उसका (हिटलर) विश्वास था जो उसने सत्ता के उभार के दौरान जर्मन के लोगों को बेचा और बाद में जब उसकी नाज़ी पार्टी ने सत्ता संभाली तो यह उसकी सरकार की नीति बन गई।’’
उन्होंने लिखा,‘‘हिटलर ने अपनी क्षेत्रिय इच्छाएं पूरी करने के लिए दूसरे विश्व युद्ध में जर्मन को तबाह करने के अलावा साल 1933 में सत्ता संभालने से लेकर साल 1945 में युद्ध की समाप्ति तक दूसरे समुदायों के लोगों का ख़ात्मा करके जर्मन नसल के शुद्धीकरण के लिए मूलभूत तौर पर मुख्य विरोधी पक्ष साम्यवादी पार्टी को हटाना, बाद में बुद्धिजीवियों पर ज़ुल्म ढाहना और आखिऱकार यहूदियों का ख़ात्मा करना था।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुखबीर को लिखे पत्र में कहा,‘‘किताब पढ़ो जैसे कि हर कोई इतिहास से सीखता है। दुनिया बदल गई है और हमारा टैलिविजऩ और अन्य मीडिया शक्तिशाली हैं और निश्चित रूप से तीस के दशक में जोसेफ गोएबल्ज़ के अधीन जर्मन की अपेक्षा अलग है। इसके बावजूद मुसलमानों और यहूदी भाईचारों को ख़त्म करने के लिए कैंप लगाने और राष्ट्रीय रजिस्टर की बात करना भी गलत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत कुछ राजनैतिक पार्टियाँ मुल्क भर में यूनिवर्सिटियों के साथ मिलकर रोष प्रकट कर रही हैं और अब समय आ गया है कि बाकी भी इस लहर में शामिल हों।’’
इसी दौरान शिरोमणि अकाली दल के प्रधान द्वारा बीते दिन की गई टिप्पणी संबंधी मुख्यमंत्री ने उसे यह बताने के लिए कहा कि सी.ए.ए. के मुद्दे पर अकालियों को एन.डी.ए. छोडऩे के लिए उनके (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) द्वारा की गई माँग गांधी परिवार की ‘अधीनता’ कैसे हुई। उन्होंने सुखबीर को कहा, ‘‘या फिर आप यह कहने की कोशिश कर रहे हो कि सी.ए.ए के विरुद्ध सडक़ों पर उतरे लाखों लोग भी गांधी परिवार की ख़ुशामद के लिए ऐसा कर रहे हैं।’’
सुखबीर द्वारा यह कहना कि मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो इसका मुँहतोड़ जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनकी कुर्सी तो पूरी तरह सुरक्षित है परन्तु ऐसा लगता है कि आपको अपनी पत्नी हरसिमरत बादल की केंद्रीय मंत्रीमंडल में मिली कुर्सी का फिक्र सता रहा है और वह किसी भी कीमत पर इसको छोडऩा नहीं चाहते।’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा कि यही एक कारण हो सकता है कि सी.ए.ए. के विरुद्ध स्टैंड लेने का दावा करने के बावजूद अकाली दल द्वारा एन.डी.ए. से बाहर आने से आनाकानी की जा रही है।
सुखबीर की टिप्पणी को सीधे तौर पर दोहरा स्टैंड बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली दल का प्रधान जानबूझ कर उनके बयानों को तोड़-मरोड़ रहा है जिससे सी.ए.ए संबंधी उनकी सरकार की तरफ से लिए स्टैंड पर लोगों को मूर्ख बनाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘या तो वह इतना अनजान है कि उसे अधूरे कानून और मुकम्मल कानून के दरमियान भिन्नताओं की समझ नहीं है क्योंकि संपूर्ण कानून मुसलमानों और सिखों समेत समूह भाईचारों को नागरिकता की इजाज़त देता है जबकि केंद्र सरकार का मौजूदा कानून मुसलमानों और यहूदियों जैसे कुछ वर्गों को बाहर रखता है।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘मुझे तो इस बात की समझ नहीं आती कि सुखबीर बादल इस सम्बन्ध में मुझसे क्या स्पष्टीकरण चाहता है। क्या वह मुझे एक भी ऐसी मिसाल या बयान का हवाला दे सकता है जहाँ मैने सताए हुए सिखों या इस सम्बन्ध में सताए हुए हिंदुओं और बौद्ध धर्म के अनुयायी के मामलों में इनको राहत देने का विरोध किया हो।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सदा ही सिखों के हितों और अधिकारों के लिए निजी तौर पर समर्थन करते आए हैं और किसी भी मौके पर उन्होंने सिखों को इस कानून के दायरे से बाहर रखने की बात नहीं की। उन्होंने अकाली दल के प्रधान को लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसे मनघड़ंत झूठ बोलना बंद करने के लिए कहा।मुख्यमंत्री ने कहा कि दरअसल सुखबीर को पिछले कुछ दिनों से की जा रही अपनी विरोधाभासी बयानबाज़ी को विचारते हुए सी.ए.ए. के मुद्दे पर अपना और पार्टी का स्टैंड स्पष्ट करने की ज़रूरत है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पहले तो अकालियों ने संसद में खुलेदिल से सी.ए.ए. के हक में मेज़ थपथपाई बाद में कुछ अकाली नेता कहने लगे कि वह मुसलमानों को सी.ए.ए. में शामिल करना चाहते हैं जबकि इन्होंने संसद में यह क्यों नहीं कहा।
इसके बाद इनके नेताओं में से कुछ एक ने कहा कि वह दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह सी.ए.ए. संबंधी अपने स्टैंड पर फिर से गौर करने के लिए तैयार नहीं हैं जबकि किसी को यह नहीं पता कि अकालियों का वास्तव में सी.ए.ए. पर स्टैंड क्या है।’’ उन्होंने सुखबीर बादल को इस विवादित मुद्दे पर स्पष्ट स्टैंड लेने के लिए कहा।