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पंजाब विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पास करके नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर के फॉर्मों में संशोधन रद्द करने की माँग

पंजाब विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पास करके नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर के फॉर्मों में संशोधन रद्द करने की माँग
  • PublishedJanuary 17, 2020

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस कानून की तुलना जर्मनी में हिटलर द्वारा ख़ास तबके के लोगों के किये सफाए के साथ की

यदि अब आवाज़ बुलंद न की तो बहुत देर हो जायेगी-मुख्यमंत्री द्वारा विरोधी पक्ष से अपील

सी.ए.ए. के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जायेगा पंजाब, जनगणना के लिए केंद्र सरकार के नये मापदंड लागू नहीं करेंगेें

चंडीगढ़, 17 जनवरी । विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) को पूरी तरह पक्षपाती और भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्ष ताने-बाने को तहस-नहस कर देने वाला कानून बताते हुए पंजाब विधानसभा ने आज मौखिक वोटों के साथ सख्त शब्दों वाला प्रस्ताव पास करके असंवैधानिक कानून को रद्द करने की माँग की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस कानून की तुलना जर्मनी में हिटलर द्वारा ख़ास तबके के लोगों के किये सफाए के साथ की।

सदन में प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री ने तीखे तेवर अपनाते हुए कहा कि स्पष्ट तौर पर इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा। उन्होंने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर (एन.पी.आर.) से सम्बन्धित फॉर्मों /दस्तावेज़ों में उचित संशोधन किये जाने तक इसका काम रोकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह अंदेशा प्रकटाया जा रहा है कि यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का आधार है और एक वर्ग को भारतीय नागरिकता से वंचित कर देने और सी.ए.ए. को अमल में लाने के लिए इसको तैयार किया गया है।

इस प्रस्ताव को कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्रा ने सदन में पेश किया जिसको संविधान की धारा 14 का उल्लंघन और विभाजनकारी करार दिया गया। विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह की तरफ से वोटों के लिए पेश करने से पहले इस पर सदन में गहरी विचार-चर्चा की गई।प्रस्ताव में कहा गया कि मुसलमानों और यहूदियों जैसे अन्य भाईचारों को सी.ए.ए. के अंतर्गत नागरिकता देने की व्यवस्था नहीं है। प्रस्ताव के द्वारा धार्मिक आधार पर नागरिकता देने में पक्षपात को त्यागने और भारत में सभी धार्मिक समूहों को कानून के सामने बराबरी को यकीनी बनाने के लिए इस एक्ट को रद्द करने के लिए कहा गया।

सदन के बाहर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सी.ए.ए. को पंजाब या इसका विरोध कर रहे अन्य राज्यों में लागू किया जाना है तो केंद्र सरकार को इसमें ज़रूरी संशोधन करने होंगे। उन्होंने कहा कि केरला की तरह उनकी सरकार भी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ रूख करेगी।

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब की तरफ से जनगणना के पुराने मापदण्डों पर ही की जायेगी और केंद्र की तरफ से एन.पी.आर के लिए जोड़े गए नये भाग शामिल नहीं किये जाएंगे।इससे पहले सदन में अपने दिल की भावना को बयान करते हुए मुख्यमंत्री ने इस विभाजनकारी एक्ट को दुखांत बताया और कहा कि यह उनकी बदकिस्मती है कि अपने जीवन में ऐसा देखना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने दुख ज़ाहिर करते हुए कहा, ‘‘साल 1930 में जो कुछ हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी में घटा था, वही कुछ अब भारत में घट रहा है।’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उस समय पर जर्मनी के लोग बोले नहीं थे और बाद में उनको पछतावा हुआ था परन्तु हमें अब आवाज़ बुलंद करनी चाहिए जिसके बाद में पछताना न पड़े। उन्होंने विरोधी पक्ष ख़ासकर अकालियों को अडोल्फ हिटलर की ‘मेन कैंफ’ को पढऩे की अपील की जिससे सी.ए.ए. के खतरों को समझा जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस किताब का अनुवाद करवा कर बाँटेंगे जिससे वह सभी हिटलर द्वारा की गईं ऐतिहासिक भूलों बारे जान सकें।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘भारत में जो हो रहा है, वह देश के लिए ठीक नहीं है।’’ उन्होंनेे कहा कि लोग देख और समझ सकते हैं और बिना किसी उकसाहट के अपने आप विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अकालियों को राजनीति से ऊपर उठने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वोट डालने से पहले अपने देश के बारे में सोच लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वह कभी इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में ऐसा दुखांत घटेगा जहाँ मुसलमानों की संख्या पाकिस्तान से अधिक है।मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘वह लोग कहाँ जाएंगे जिनको आप ग़ैर-नागरिक मानते हो? आसाम में ग़ैर कानूनी घोषित किए गए 18 लाख लोग कहाँ जाएंगे अगर उनको किसी अन्य मुल्क ने पनाह देने से न कर दी? क्या इस बारे में किसी ने सोचा है? क्या गृह मंत्री ने कभी सोचा है कि तथाकथित ग़ैर -कानूनी लोगों के साथ क्या करना है? गरीब लोग जन्म प्रमाण पत्र कहाँ से लेंगे?

उन्होंने कहा कि सभी को अपने हित के लिए धर्म निरपेक्ष भारत के नागरिकों के तौर पर इकठ्ठा रहना पड़ेगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मों के लोग इस देश में सालों से एकजुट होकर रह रहे हैं और मुसलमानों ने इस देश के लिए अपना जानें कुर्बान की हैं। उन्होंने अन्यों समेत भारतीय सेना के सिपाही अब्दुल हमीद की मिसाल दी जिसको 1965 में भारत-पाकिस्तान जंग में दिखाई बहादुरी के बदले मरने के उपरांत परमवीर  चक्र के साथ सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि अंडमान की सेलुलर जेल में मुसलमानों की बड़ी संख्या थी।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘मुसलमानों को क्यों बाहर रखा गया?’’ केंद्र ने सी.ए.ए. में यहूदियों को क्यों नहीं शामिल किया? उन्होंने कहा कि भारत में जनरल जैकब के तौर पर एक यहूदी राज्यपाल रहे हैं जिन्होंने देश के लिए 1971 की जंग लड़ी।मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्थिति के लिए जि़म्मेदार लोगों को अपने आप पर शर्मिंदा होना चाहिए। उन्होंने अकाली दल पर बरसते हुए कहा कि उन्होंने संसद में तो इस बिल की हिमायत कर दी और फिर अपने राजसी एजंडे को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग विचार प्रकट करने लग गए।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हाल ही में श्री गुरु नानक देव जी के मनाए गए 550वें प्रकाश पर्व का जि़क्र करते हुए कहा गुरू साहिब ने भी यही संदेश दिया था कि सब मानव एक हैं। उन्होंने अकालियों को कहा कि क्या वह गुरू साहिब की शिक्षाएं भूल गए? उन्होंने कहा, ‘‘आपको शर्म आनी चाहिए और आप एक दिन पछताओगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी बोली बोलते हुए उनको भी बुरा महसूस हो रहा है परन्तु हालात ही ऐसे बन गए कि यह कहना ज़रूरी हो गया।

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The Punjab Wire