चाहे वह किसी भी पार्टी से सम्बन्धित हों भारत की अहम यूनिवर्सिटी में अशांति और हिंसा के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया
चंडीगढ़, 6 जनवरी:जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जे.एन.यू.) में अशांति और हिंसा के लिए जि़म्मेदार व्यक्तियों चाहे वह किसी भी पार्टी के साथ सम्बन्धित हों, के खि़लाफ़ सख़्त कार्यवाही की माँग करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को इस मामले पर एक -दूसरे पर दोष ना लगाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारें भारत की प्रमुख यूनिवर्सिटी में अमन और कानून की जल्द बहाली को यकीनी बनाने के लिए काम करें।
मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लीया यूनिवर्सिटी और अब जे.एन.यू. में अंधाधुन्ध हमलों और झड़पों पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि इन वारदातों ने न सिफऱ् देश के अंतरराष्ट्रीय छवि को चोट पहुँचाई है बल्कि देश की तरक्की और विकास के अहम स्तम्भ शिक्षा ढांचे को भी नुकसान पहुँचाया है।जे.एन.यू. में बीती रात हुई हिंसा और अशांति के नंगे नाच के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को दोषी ठहराते हुए अपने सख़्त भरे लहज़े में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि आज़ाद देश में ऐसे नाबर्दाश्त दृश्य अचंभे वाली बात है।
उन्होंने पूछा,‘‘जब यूनिवर्सिटी कैंपस में विद्यार्थियों, स्टाफ और अध्यापकों पर सरेआम बेरहमी से हमला किया जा रहा था तो दिल्ली पुलिस कहाँ थी?’’ उन्होंने साथ ही माँग करते हुए कहा,‘‘यही दिल्ली पुलिस कुछ दिन पहले जामिया मिल्लीया यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों के रोश प्रदर्शन पर पूरी तरह एक्शन में आ गई थी और अब अचानक जे.एन.यू. में क्यों पीछे हटने का फ़ैसला कर लिया? किस के कहने पर उन कोई पैरवी नहीं की?’’कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस मामले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आलोचना करते हुए कहा कि जब जे.एन.यू. जल रही थी तो वह कहीं नजऱ नहीं आया। पंजाब के मुख्यमंत्री ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को गुस्से में पूछते हुए कहा,‘‘वह मौके पर क्यों नहीं गए? क्या इस मामले पर सिफऱ् ट्वीट करना काफ़ी था? एक मुख्यमंत्री जो अपने आप को दिल्ली के लोगों की भलाई का रक्षक बताता है, को क्या इस मामले में निजी दख़ल नहीं देना चाहिए था?’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और दिल्ली पुलिस को इस मामले पर पूरी तरह मूक दर्शक बने रहने के लिए आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जे.एन.यू. में बीती रात अमन-कानून की बिगड़ी हुई ऐसी हैरानीजनक घटना ने भारत की तरफ से परिपक्व लोकतंत्र देश होने के किये जा रहे दावों की खिल्ली उड़ाई है। यह अशांति और हिंसा का नंगा नाच हर उस संस्था के फेल होने की गवाही भरता है जो दिल्ली के लोगों की सुरक्षा के लिए जि़म्मेदार है।जे.एन.यू में घटी घटनाओं संबंधी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने स्तर पर ही नोटिस लेने सम्बन्धी कुछ व्यक्तियों द्वारा उठाई गई माँग की हिमायत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि न केवल हमलावरों की पहचान करें और उनके विरुद्ध कार्यवाही करने की ज़रूरत थी जो पहले से योजनाबद्ध ढंग से हमले की ताक में थे।
उन्होंने कहा कि उनके विरुद्ध भी कार्यवाही बनती है जो इसको निर्विघ्न जारी रखने की छूट देने में सह-साजिशकर्ता बन गए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राष्ट्रीय राजधानी में इस किस्म की घटना को सज़ा नहीं दी जाती तो कोई कल्पना कर सकता है कि देश के अन्य हिस्सों में शैक्षिक संस्थाओं में क्या हो सकता है?कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं में विद्यार्थियों पर ऐसा हमला देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात है, यदि इसको अनदेखा किया गया तो लोकतंत्र के वैश्विक प्रतीक और कानून के समर्थक के तौर पर जाने जाते भारत की साख पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने चुनौती देते हुए पूछा ‘‘यह वही देश है जिसके लिए हमारे स्वतंत्रता संग्रामियों ने अपनी जान न्यौछावर की। क्या यह वही भारत है जिसको हमारे पुर्वजों ने अपने लहु-पसीने के साथ सींचा था?’’
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सभी एकमत रखने वाले लोगों को इकठ्ठा होने का न्योता देते हुए ऐसी शक्तियों के खि़लाफ़ लड़ाई का न्योता दिया है जो एकता, सद्भावना और धर्म निरपेक्षता वाले संविधान पर आधारित देश के अमीर रुतबे, प्रगतिशील और उदार लोकतंत्र को तबाह करने पर उतारू हैं।