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कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा 650 करोड़ रुपए की लागत से लुधियाना के बूढ़े नाले की कायाकल्प की योजना को हरी झंडी

कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा 650 करोड़ रुपए की लागत से लुधियाना के बूढ़े नाले की कायाकल्प की योजना को हरी झंडी
  • PublishedJanuary 6, 2020


चंडीगढ़, 6 जनवरी: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा सोमवार को 650 करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट को हरी झंडी देने से लुधियाना में सबसे अधिक प्रदूषित बूढ़े नाले की अब पूरी तरह कायाकल्प हो जायेगी। मुख्यमंत्री ने स्थानीय निकाय विभाग को यह प्रोजैक्ट दो साल के समय के अंदर हर हाल में मुकम्मल करने को यकीनी बनाने के लिए भी कहा है।

उच्च स्तरीय मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अतिरिक्त मुख्यसचिव स्थानीय निकाय संजय कुमार को निर्देश दिए कि बूढ़े नाले की कायाकल्प करने के लिए ज़रुरी सभी कदम उठाए जाएँ जिसकी कुल लंबाई 47.55 किलोमीटर है। इसमें से 14 किलोमीटर यह नाला लुधियाना शहर में से गुजऱता है। नाले में औद्योगिक और घरेलू कूड़ा बड़ी मात्रा में फेंकने से शहर भारी प्रदूषित हुआ है जिससे लोगों की सेहत और वातावरण को बड़ा ख़तरा है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस प्रोजैक्ट को मिशन के तौर पर आगे लेजाने के लिए लोगों की बड़े स्तर पर हिस्सेदारी डालने के लिए स्थानीय उद्योग, शहर वासियों और सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आने का न्योता दिया है।


स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्रा की मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने नामधारी प्रमुख सत्गुरू ठाकुर उदय सिंह के योगदान की प्रशंसा की जिन्होंने निजी तौर पर पहलकदमी करते हुए नगर निगम लुधियाना के साथ तालमेल बिठा कर बूढ़े नाले की सफ़ाई शुरू की है।
सत्गुरू जी द्वारा इस नेक काम के लिए मशीनरी खरीदने के लिए 30 लाख रुपए का योगदान भी दिया गया है।

स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव संजय कुमार ने बूढ़े नाले की नवीनीकरण योजना बारे मुख्यमंत्री को अवगत करवाते हुए बताया कि इस प्रोजैक्ट की कुल लागत 650 करोड़ रुपए में से राज्य सरकार 342 करोड़ रुपए ख़र्च करेगी, जबकि 208 करोड़ रुपए भारत सरकार की तरफ से दिए जाएंगे और 100 करोड़ रुपए निजी ऑपरेटर द्वारा खर्चे जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहले पड़ाव के अंतर्गत सिवरेज ट्रीटमेंट सुविधा के वृद्धि और नवीनीकरण, डेयरी अवशेष सम्बन्धी ट्रीटमेंट, औद्योगिक गंदे पानी के लिए गुम हुए लिंकों का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण और ज़रूरत पडऩे पर उद्योगों के गंदे पानी को साझे ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुँचाने के लिए एक सभ्य कनवेयंस प्रणाली रखी गई है। दूसरे पड़ाव में 150 करोड़ रुपए की लागत से साफ़ किये प्रदूषित पानी के पुन: प्रयोग और 283 करोड़ रुपए की लागत से बूढ़े नाले के किनारे पर फूल-पौधे लगाकर सुंदरता बढ़ाने जैसे कार्य आदि शामिल हैं।

औद्योगिक अवशेष के ट्रीटमेंट के लिए 105 एम.एल.डी की कुल सामथ्र्य वाले साझे ट्रीटमेंट प्लांट (सी.ई.टी.पीज़) का जि़क्र करते हुए स्थानीय निकाय विभाग के सचिव अजोय शर्मा ने मीटिंग को बताया कि इस साल मई महीने तक ताजपुर रोड, जमालपुर क्षेत्र में 50 एमएलडी की सामथ्र्य वाला सी.ई.टी.पी लगाया जायेगा। फोकल पुआइंट इंडस्ट्रियल एरिया, जमालपुर में 40 एम.एल.डी. सामथ्र्य का एक अन्य सी.ई.टी.पी. मार्च 2020 तक चालू कर दिया जायेगा जबकि बहादुरके रोड में एक सी.ई.टी.पी. पहले ही 31 दिसंबर 2019 तक चालू कर दिया गया है।

जि़क्रयोग्य है कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक शहर में पैदा होता वास्तविक कूड़ा-कर्कट 711 एम.एल.डी. है जिसमें घरेलू सिवरेज का डिसचार्ज 610 एम.एल.डी., डेयरी कंपलैक्स से 15 एम.एल.डी डिसचार्ज और 86 एम.एल.डी के औद्योगिक पदार्थ डिसचार्ज शामिल हैं। इस समय शहर में सिवरेज वॉटर ट्रीटमेंट के लिए 466 एम.एल.डी. सामथ्र्य वाला ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया है और औद्योगिक गंदे पानी से निपटने के लिए 105 एम.एल.डी. सामथ्र्य वाला कॉमन ऐफलूऐंट ट्रीटमेंट प्लांट (सी.ई.टी.पी.) निर्माणाधीन है।

मीटिंग में दूसरों के अलावा मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, प्रमुख सचिव वित्त अनिरुद्ध तिवारी, प्रमुख सचिव जल स्रोत ए. वेनू प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, सचिव स्थानीय निकाय अजोय शर्मा, लुधियाना के मेयर बलकार सिंह संधू और नगर निगम लुधियाना के कमिश्नर कंवलप्रीत कौर बराड़ भी उपस्थित थे।

Written By
The Punjab Wire