सरकार को किसान विरोधी काले कानूनों को रद्द करने वाले चार सूत्री एजेंडे को स्वीकार करना चाहिए
कहा कि मोदी सरकार किसानों के मुद्दों को ताक पर रखकर सो रही है, उसे टाल-मटोल वाली नीति छोड़ देनी चाहिए
चंडीगढ़ 27 दिसंबर– आम आदमी पार्टी पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने किसान संगठनों के द्वारा बातचीत शुरू करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार को कृषि कानून पर जारी गतिरोध को तुरंत खत्म करना चाहिए और कृषि संगठनों के साथ होने वाली बातचीत को गंभीरता से लेना चाहिए। आम आदमी पार्टी मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मान ने कहा कि केंद्र सरकार को इन किसान विरोधी कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए तुरंत उचित कदम उठाने चाहिए और ‘अन्नदाताओं’ की जायज मांग को जल्द से जल्द मान लेना चाहिए।
मान ने सवालिया लहजे में कहा कि किसान संगठनों ने तो सरकार से दोबारा बातचीत करने का निर्णय किया है, लेकिन क्या सरकार उनकी बात सुनने को तैयार है? उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को जल्द से जल्द इन तीनों केंद्रीय कृषि कानून को रद्द करने वाली 4 सूत्री एजेंडे को स्वीकार करे। एमएसपी पर खरीद की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए इसे कानूनी मान्यता दे। और विद्युत संशोधन बिल में दिल्ली एनसीआर में हवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जुर्माना वाले प्रावधान से किसानों को बाहर करें। मान ने आगे कहा कि पहले ही किसान और सरकार के बीच पांच राउंड की बैठक बेनतीजा रही। जिसके कारण किसान भाइयों कि आज यह दुर्दशा हो रही है। लेकिन फिर भी यह बेरहम सरकार टस से मस नहीं हो रही है। मान ने कहा, मोदी सरकार के पास उन लाखों किसानों की आवाज सुनने का यह उपयुक्त समय है जो दिल्ली बॉर्डर पर अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसानों के मामले में आम आदमी पार्टी के विचार जगजाहिर है। किसानों के संघर्ष के इस समय में हम कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों से बिना कोई सलाह मशविरा किए इन काले कृषि कानूनों को संसद से पास कराया। हम चाहते हैं कि सरकार अब किसानों की सारी चिंताओं को दूर करें। कोई नहीं चाहता कि यह गतिरोध जारी रहे और किसान इस कड़ाके की ठंड में सड़क पर संघर्ष करें। मान ने कहा कि खुद प्रधानमंत्री को तुरंत बातचीत के लिए किसानों को बुलाना चाहिए और आंख बंद करके किसानों की मांग स्वीकार कर लेनी चाहिए। मान ने कहा कि शुक्रवार को मैंने और संजय सिंह ने लाखों किसानों की आवाज को संसद भवन में प्रधानमंत्री के सामने उठाया था, लेकिन प्रधानमंत्री ने जानबूझकर उसे अनसुना कर दिया और वहां से निकल गए।
मान ने कहा कि मोदी सरकार किसानों और इन काले कृषि कानूनों के मुद्दे को ताक पर रखकर सो रही है। लेकिन हम उसे चैन से सोने नहीं देंगे। हम इस किसान विरोधी सरकार को जगाने की लगातार कोशिश करते रहेंगे। उन्होंने कहा, जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से किसानों और सरकारों के बीच कई मीटिंग हुई। लेकिन सरकार ‘पत्रों का खेल’ खेलती रही। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक किसानों की चिंताओं और समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। ऐसा सिर्फ मोदी सरकार की गलत नीतियों और नियत के कारण हुआ है। मान ने कहा, प्रधानमंत्री पिछले महीने से दिल्ली बॉर्डर पर मौजूद लाखों किसानों से नहीं मिल रहे हैं लेकिन वे ऑनलाइन दूसरे राज्यों के किसानों का हालचाल पूछते हैं।
प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए मान ने आगे कहा, आज किसान अपने अधिकार के लिए दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी कारपोरेट घरानों के बिचौलियों की तरह काम कर रहे हैं। वे किसानों की जायज मांगों को झूठा साबित करने में लगे हुए हैं। मान ने कहा कि मोदी सरकार को अपना अड़ियल रवैया त्याग देना चाहिए और कारपोरेट घराने को फायदा पहुंचाने वाले इस बेरहम कानून को रद्द करने वाली मांग तुरंत मान लेनी चाहिए।