जिला गुरदासपुर में ज्यादा टैस्टिंग के चलते संक्रमित मरीजों का इजाफा परन्तु मृतकों के ग्राफ में दर्ज की जा रही कमी
मनन सैनी
गुरदासपुर, 31 अगस्त। जिला गुरदासपुर में इन दिनों एक सवाल आम लोगों की जुबान पर है कि हम कोरोना टैस्ट क्यों करवाएं, क्या फायदा होगा। जिला गुरदासपुर में इस सवाल का जवाब मिल गया है। कोरोना टैस्ट करवाने से मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। टैस्टिंग बढ़ाने के चलते जिला प्रशासन, स्वस्थ्य विभाग समेत अन्य कोरोना वारियर को बेशक कई अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें सैंपल लेने गई टीमों का विरोध किया जा रहा है। स्टाफ पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। परन्तु मृत्यु दर की कमी आना सभी के लिए एक महत्वपूर्ण परिणाम के रुप में निकल कर सामने आ रहा है। जिसके लिए आगामी समय में टेस्टिंग और ज्यादा की जा सकती है।
टैस्टिंग रेट बढ़ाने से गुरदासपुर में मरीजों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है सोमवार को भी 148 मरीज संक्रिमत पाए गए है। हालाकि सोमवार को भी किसी भी मरीज की मृत्यु नही हुई। वहीं टैस्टिंग करवा कर संक्रमित मरीजों की पहचान कर मरीजों को अलग रखा जा रहा है, होम आईसलेट किया जा रहा है। वहीं होम टू होम सर्वे के दौरान भी लक्षण युक्त मरीजों की पहचान कर मौतक की दर पर अंकुल लगाने हेतू बिमार की बिमारी बिगड़ने से पहले से उसे अस्पताल में शिफ्ट जा रहा है। हालाकि बिना लक्ष्ण वाले मरीजों को घर पर ही ऐकांतवास किया जा रहा है।
प्राप्त किए गए आंकडो पर अगर गौर किया जाए तो 16 अगस्त से लेकर 30 अगस्त तक पिछले 15 दिनों के आंकड़ो पर अगर गौर किया जाए तो इस दौरान जिले में एक्टिव मरीजों का ग्राफ 323 से 710 पहुंचा है क्योंकि टैस्टिंग रेट में इजाफा किया गया। परन्तु वहीं इस समय के दौरान 9 दिनों तक केवल एक मरीज की मौत दर्ज की गई जो कोविड़ संक्रमित था। जबकि तीन दिन लगातार दो संक्रमितों ने अस्पतालों में दम तोड़ा, वहीं एक-एक दिन मौत के तीन तथा चार मामले सामने आई। हालकि उक्त सभी मरने वाले संक्रमित पहले से ही गंभीर बिमारियों से ग्रस्त थे। जिन्हे परिजनों की ओर से हालत नाजुक होने के उपरांत सीधा अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां उनकी मौत हो गई। अगर गंभीर बिमारी ग्रसत मरीज अपना टैस्ट पहले करवाते तो मौत का ग्राफ और कम हो सकता था
इस संबंधी गुरदासपुर के डिप्टी कमिशनर का कहना है कि टैस्टिंग रेट ज्यादा कर हम पहले से ही संक्रमितों की पहचान कर बिमार लोगो से अलग कर देते है। होम आईसोलेशन में भी उन्हे अलग रहने के लिए कहा जाता है। उन्होने बताया कि स्वस्थ्य लोगों को कोरोना से कम जबकि बिमार लोगों को कोरोना से ज्यादा खतरा है। इसलिए टैस्टिंग बढ़ा कर प्रशासन मौत की दर कम करने की कौशिश कर रहा है। उन्होने बताया कि टैस्टिंग ज्यादा होने के कारण ही अभी मृत्यु दर काफी कम है। वरना विशेशज्ञों के अनुसार इस समय मरने वाले लोगों का आंकड़ा काफी अधिक होता। प्रशासन एक एक मौत को कम करने की कौशिश कर रहा है। जिसमें लोगों के सहयोग की जरुरत है। ताकि वह अपने टैस्ट करवाएं तथा उन लोगों के लिए खतरा न बनें जो पहले से ही बिमारा है या गंभीर रोगी है।
डीसी ने बताया कि कई जगह देखने में आया है कि लोग सैंपल लेने वाली टीम के साथ बदतमिजी कर रहे है जबकि टीम का सहयोग देना चाहिए। परन्तु अब टीम के साथ बदतमीजी करने खिलाफ कानूनी कारवाई की जा रही है। डीसी ने कहा कि कुछ लोगों की वजह से पूरे जिले को खतरें में नही डाला जा सकता। उन्होने बताया कि आने वाले समय में और ज्यादा मरीज बढ़ सकते है क्योंकि बहुत से लोग बिमारी से लड़ने हेतू अपने टैस्ट करवा रहे है। उन्होने साफ कहा कि टैस्ट न करवाने वालों लक्ष्णयुक्त मरीजों पर जरुरत पड़ने पर सख्ती भी की जाएगी और डिजास्टर मैनजेमैंट एक्ट के तहत मामले दर्ज किए जाएगे।
डीसी ने कहा कि आक्सीमीटर से अपना आक्सीजन लेवल चैंक करते रहें तथा सांस लेने में किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। जितने ज्यादा लोग जागरुक होगें उतना ही कम कोरोना से कम खतरा है।
वहीं सिवल सर्जन गुरदासपुर किशन चंद ने भी लोगो से अपील की कि वह सैंपल लेने वाली टीमों का सहयोग करें ताकि इस बिमारी को रोका जा सके तथा मृत्यु दर में कमी लाई जा सकें। उन्होने कहा कि लोगों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास करते हुए खुद टैस्ट करवाने चाहिए। क्योंकि ऐसा न हो कि आप खुद ही अपने परिवार के लिए खतरा बन रहे हो। इसलिए कोई भी लक्ष्ण आने पर तुरंत अस्पताल में जाकर अपना टैस्ट करवाना चाहिए।