लगी मासिक फैमिली पेंशन और सात लाख रुपए मिला एरियर
मनन सैनी
गुरदासपुर 30 अगस्त । भारतीय सेना अपने सैनिकों और उनके परिवारों की देखभाल करने को हमेशा वचनबद्ध रहती है। इसकी मिसाल सेना की 21 सब एरिया पठानकोट के वेटर्न सहायता केंद्र ने बखूबी उजागर की है। जिसके प्रयासों से भीख मांग कर गुजारा करने वाली एक फौजी की बेटी को मासिक पेंशन के साथ साथ करीब सात लाख रुपए का एरियर सेना की ओर से स्वीकृत किया गया। दीनानगर के वार्ड 9 स्थित हरिजन कालोनी की एक 55 वर्षीय महिला शकुंतला देवी के पिता सिख रेजीमेंट में तैनात सिपाही सेवा राम का 12 मार्च 1978 में ड्यूटी के दौरान निधन हो गया था। मां ने तीन भाईयों की इकलौती बहन की शादी की। लेकिन भाग्य में वैवाहिक जीवन का सुख भी नसीब नहीं हुआ और 12 वर्ष पहले उसका पति रवि कुमार कहीं लापता हो गया। आखिर शकुंतला देवी अपने मायके में रह कर जीवन बसर करने लगी। दुर्भाग्य ने यहां भी उसका साथ नहीं छोड़ा और कुछ समय बाद मां की मौत हो गई। समय गुजरने के साथ दो भाईयों की भी मौत हो गई। उसके लिए अपना गुजारा करना भी मुश्किल हो गया और आमदन का कोई साधन न होने पर लोगों से भीख मांग कर अपना गुजारा करने लगी। सेना के नियमों अनुसार किसी सैनिक की मौत होने के बाद उसकी पत्नी के बाद अविवाहित अथवा विधवा बेटी को पेंशन की सुविधा मिलती है। इसके लिए उसने कई बार गुरदासपुर में जिला रक्षाएं सेवाएं भलाई विभाग में पिता के आश्रित होने की पेंशन की सुविधा हासिल करने के लिए गुहार लगाई। लेकिन पति के लापता होने व कोई मृत प्रमाणपत्र न होने के कारण वहां से कोई संतोषजनक जबाव नहीं मिला और वह मदद के लिए दर दर भटकती रही।
मदद के लिए 2018 में वेटर्न सहायता केंद्र पहुंची शकुंतला देवी-
शकुंतला देवी 2018 में पठानकोट में सेना के 21 सब एरिया के वेटर्न सहायता केंद्र के इंचार्ज कर्नल एमएस राणा के पास मदद के लिए के पहुंची। कर्नल राणा ने उनके केस को गंभीरता से स्टडी करते हुए पाया कि पति के मृत प्रमाणपत्र के आधार पर उसे पिता की फैमिली पेंशन का लाभ मिल सकता है। इसके लिए उन्होंने उसे अदालत में भेजा और जनवरी 2019 में अदालत ने 12 वर्ष से गुम उसके पति की गुमशुदगी के आधार पर परज्यूम डेड सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश जारी कर दिया। लेकिन नगर कौंसिल दीनानगर ने अदालत के आदेश के बावजूद भी एक साल तक डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं किया तो कर्नल राणा ने नगर कौंसिल से संपर्क कर सर्टिफिकेट को जारी करवाने में भी मदद की और उसके केस को तैयार कर पेंशन की स्वीकृति के लिए यूनिट सेंटर रामगढ़ भेजा।
21 हजार रुपए मासिक पेंशन और सात लाख रुपए एरियर हुआ स्वीकृत-
आखिर कर्नल राणा की मेहनत और शकुंतला देवी की वर्षों की दौड़धूप रंग लाई और उन्हें करीब 21 हजार रुपए मासिक फैमिली पेंशन स्वीकृत होने के साथ साथ करीब सात लाख रुपए पिछला एरियर जारी हो पाया है। कर्नल एमएस राणा एक प्रकार से शकुंतला देवी के लिए एक मसीहा बन कर सामने आए। उन्होंने न सिर्फ उनकी फैमिली पेंशन लगवाई बल्कि जब भी उनके कार्यालय में आती तो उसे आने जाने का किराया भी जेब से देते थे। बीती पांच अगस्त को उन्होंने 21 सब एरिया कमांडर से स्वीकृति दिलवा कर उसे 25 हजार रुपए की आर्थिक मदद भी मुहैया करवाई। कर्नल राणा ने शकुंतला देवी को अपने कार्यालय में जब पेंशन और एरियर के कागजात सौंपे तो उसकी आंखों से बरबस आंसुओं की धारा बह उठी। नम आंखों से शंकुतला ने कहा कि वह 21 सब एरिया और कर्नल राणा की जीवन भर ऋणी रहेंगी। जिन्होंने हर उम्मीद छोड़ चुकी मुझ बेसहारा की जिंदगी को फिर से जीने के लायक बनाया है।
बेसहारा सैनिक परिवारों का सहारा बने कर्नल राणा-कुंवर विक्की
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि 21 सब एरिया में जबसे वेटर्न सहायता केंद्र स्थापित किया है तब से कई पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों, वीरनारियों और शहीद परिवारों को उनका बनता हक दिलाने में उल्लेखनीय कार्य किया है। जो अपने आप में एक मिसाल है। कई सैनिक परिवारों के जीने का सहारा बने कर्नल एमएस राणा एक ऐसे कर्मयोगी अधिकारी हैं जो हर काम को एक चुनौती के रूप में लेते हैं और जब तक संबंधित पक्ष को न्याय नहीं मिलता वह चैन से नहीं बैठते। अपनी आखिरी फाइल को क्लीयर करने तक अपना आफिस बंद नहीं करते। उनकी कार्यशैली सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।