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कोविड़ के खिलाफ जंग में विज्ञान एवं तकनीक के साथ कंधे के साथ कंधा मिला कर चल रहा गुरदासपुर

कोविड़ के खिलाफ जंग में विज्ञान एवं तकनीक के साथ कंधे के साथ कंधा मिला कर चल रहा गुरदासपुर
  • PublishedJuly 21, 2020

इतिहास साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर कोविड़-19 संक्रमित मरीजों की हो रही ट्रैकिंग

पंजाब के अन्य जिलों में भी इस्तेमाल होगा इतिहास

मनन सैनी

गुरदासपुर, 21 जुलाई । पंजाब का जिला गुरदासपुर कोविड़-19 वायरस से लड़ने के लिए विज्ञान एवं आधुनिक तकनीक के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रहा है। जिसके तहत संक्रमित मरीजों की निगरानी कर उनके संपर्क में आए लोगो को ट्रेस कर उनके टैस्ट करवाए जा रहे है। इसी के साथ साथ होम टू होम सर्व करवा कर भी मरीजों की पहचान की जा रही ताकि कोविड़-19 के फैलाव तथा चेन को तोड़ा जा सके। 

गुरदासपुर जिले में इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से आईआईटी चेनेई की ओर से जैनरेट की गई कोविड़ हाटस्पार्ट फारकास्टिंग सिस्टम (इतिहास) के जरिए जिला गुरदासपुर के बटाला में कुल 8 केस कोविड़-19 के ट्रेस किए गए है। जबकि 48 मरीजों से संख्या कम कर 28 पर लाई गई है। जिसकी पुष्टी गुरदासपुर के डिप्टी कमिशनर मोहम्मद इश्फाक की ओर से की गई।

डीसी इश्फाक का कहना है कि नई तकनीक और विज्ञानिक खोज कोरोना बिमारी पर रोकथाम करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जिसका जिला गुरदासपुर में भी उपयोग किया गया है। क्योंकि कुछ जगह देखा गया है कि लोग अपने कांटेक्ट छिपा लेते है। उक्त सभी केस बटाला के हाॅट स्पार्ट इलाकों से निकले है जहां इतिहास साफ्टवेयर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इतिहास साफ्टवेयर के जरिए हमें हार्टस्पोर्ट का पता चलता है तथा स्वस्थ्य विभाग की ओर से वहां सैंपलिंग करवाई गई । जिसमें मरीज संक्रमित पाए गए।

डीसी इश्फाक ने बताया कि सात दिन से गुरदासपुर में इतिहास साफ्टवेयर का उपयोग हो रहा है। जिसके जरिए कोविड़-19 संक्रमित मरीजों जहां गए वहां की ट्रेकिंग की गई । एक केस ऐसा सामने आया जिसमें एक मरीज शमशान घाट पर गया जिसके चलते विभाग ने सभी की सैंपलिंग की गई।

उन्होने बताया कि इसी के साथ साथ जिले में होम टू होम सर्व करवाया जा रहा है। जिसमें आशा वर्करों, वालंटियरों इत्यादि की टीमें बना कर गांव तथा शहरों में जाकर सर्व किया जा रहा है तथा बिमार मरीज की पहचान कर उसके सैंपल लिए जा रहे है। जिसके तहत अभी तक कुल 7 मरीज सामने आए है। जिनकी काॅटेक्ट ट्रेसिंग करवाई जा रही है।

कैसे काम करता है इतिहास

इतिहास साफ्टवेयर आईसीएमआर में दर्ज संक्रमित मरीजों का डाटा एवं कोवा एप , आरोग्य सेतू के जरिए मिला डाटा, 104 नंबर पर आई कॉल,  एनालाइज करता है। जिसे मोबाइल टावर ट्रेड एनैलेसिस कहा जाता है। इसके जरिए संक्रमित मरीजों की पिछले 15 दिन की ग​तिविधियां भी एनालाइज करता है। जिससे पता चलता है कि संक्रमित मरीज किस किस मोबाईल टावर अधीन गए थे। इससे मरीज चाह कर भी अपनी लोकेशन नही छिपा सकता।

उभरते हाटस्पोर्ट

साफ्टवेयर उभरते हुए हाटस्पोर्ट संबंधी एलर्ट करता है। गुरदासपुर को लाईट ब्लू, डार्क ब्लू, ऐबर तथा पिंक में कैटेगराईज किया गया है। लाईट ब्लू या डार्क ब्लू होने पर साफ्टवेयर दर्शाता है कि कौन सा एरिया एक्शन हाटस्पार्ट बन सकता है। सीधा ऐंबर या पिंक जोन साफ्टवेयर बनाता है तो टैस्टिंग की जरुरत है। 

एक्शन हाटस्पोर्ट बनने पर तत्काल टैस्टिंग

कितने मरीज कितने समय के लिए किस एरिया में रहे इसका साफ्टवेयर के ज​रिए पता चलता है। हाई स्कोर और हाई टाईमिंग के जरिए ही साफ्टवेयर स्कोर बनता है और 235 से 250 स्कोर होने पर वह एक्शन हाटस्पोर्ट बन जाता है। जहां पर तत्काल टैस्टिंग करवाई जाती है। यह बैंक, बाजारों, इत्यादि में बेहद कारगार साबित होता है और बिमारी का पता लगने से पहले ही उसे फैलने से रोका जा सकता है।

साफ्टवेयर के फायदें

पहले प्रशासन को संदिग्ध ट्रेस करने में काफी​ दिक्कत आती थी और सैंपलिंग भी ज्यादा होती थी। परन्तु इससे अब दर्शाई गई जगह पर जाकर भी सैंपल लिए जाते है तथा उस एरिया से कोविड़ संक्रमण फैलने से बच जाता है। इस तरह अगर कोई कोविड़ संक्रमित मरीज छिपाए तो भी ​प्रशासन को साफ्टवेयर के जरिए पता चल जाता है तथा वहां तत्काल सैंपलिंग की जाती है। संक्रमित मरीज किसी भी जिले ​या राज्य का हो उसकी जानकारी ​प्रशासन को मिल जाती है। 

Written By
The Punjab Wire