कहा, भारत सरकार जि़म्मेदारी तय करे, सरहद पर हर जवान को बोले, यदि वह हमारा एक मारें तो उनके तीन मारो
‘हिन्दी -चीनी भाई भाई ’ की शाब्दिक पहेलियाँ बंद करने की माँग की – कहा, सरहद पर लडऩे वालों को हथियार दिए जाएँ झड़पों से बचाव के लिए लिबास नहीं
चंडीगढ़, 18 जून:गलवान घाटी में चीनियों की तरफ से जिस क्रूरता के साथ 20 भारतीय फौजियों का कत्ल किया गया उसको दर्दनाक और वहशी करार देते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस हिंसक झड़प में कीमती जानें जाने के लिए जि़म्मेदारी तय होने की माँग की और कहा कि सारी कौम अपने नागरिकों पर हुए इस घृणित हमले के लिए केंद्र सरकार से उपयुक्त जवाब दिए जाने की उम्मीद कर रही है।
‘‘सरहद पर हमारे सैनिकों को स्पष्ट रूप में कहा जाये कि यदि वह हमारा एक मारते हैं तो आप उनके तीन मारो, ‘‘भावुक होते कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह स्पष्ट करते हुये कहा कि वह बतौर राजनीतिज्ञ यह सब नहीं कह रहे बल्कि उस व्यक्ति के तौर पर कह रहे हैं जो फ़ौज का हिस्सा रहा है और अभी तक इस संस्थान को प्यार करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मसलों पर उनका स्टैंड हमेशा एक रहा है यहाँ तक कि पुलवामा हमले बाद भी उन्होंने ऐलान किया था कि यदि वह हमारा एक मारते हैं तो हमें उनके दो मारने चाहिएं। यह सवाल करते हुये कि भारतीय जवानों पर हुए दर्दनाक हमले को देखते चीनियों पर गोली चलाने के आदेश क्यों नहीं दिए गए, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कोई वहां अपनी जि़म्मेदारी निभाने में असफल रहा है और हमें यह ढूँढने की ज़रूरत है कि वह कौन था।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यदि यूनिट के पास हथियार थे, जैसे अब दावा किया जा रहा है, सैकेंड-इन-कमांड करन वाले को उस पल फायरिंग के आदेश देने चाहिए थे जब कमांडिंग अफ़सर चीनियों की धोखेबाज़ी का शिकार हुआ। मुख्यमंत्री ने साथ ही कहा कि राष्ट्र जानना चाहता है कि क्यों हमारे व्यक्तियों की तरफ से जवाबी हमला नहीं किया गया जिसके लिए उनको प्रशिक्षण मिला है और यदि उनके पास हथियार थे तो क्यों गोली नहीं चलाई गई। उन्होंने पूछा कि वह वहां बैठे क्या कर रहे थे जब उनके साथियों को मारा जा रहा था। ‘‘मैं जानना चाहता हूं, हर फ़ौजी जानना चाहता है और हर भारतीय जानना चाहता है कि क्या घटा, मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट करते हुये कहा वह इस समूची घटना संबंधी सख्त गहराई से महसूस करते हैं और इसने इंटेलिजेंस के बुरी तरह फैल होने को भी उजागर किया है।
उन्होंने कहा कि पर्वतों पर बैठे जवान जवाब के हकदार हैं और सख्त प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं। उन्होंने सख्त प्रतिक्रिया प्रकटाते हुये इसको हर भारतीय का अपमान कहा। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यहाँ जो कुछ हुआ वह कोई मज़ाक नहीं था और चीन को यह कठोर संदेश जाना चाहिए कि भारत उनके धोखों को आगे और बरदाश्त नहीं करेगा। कैप्टन अमरिन्दर ने कहा, ‘‘इस झड़प में शहीद हुए 20 फौजियों में से हर एक मेरा बहादुर सैनिक था और इस संबंधी मैं बहुत महसूस करता हूँ।’‘हिंदी -चीनी भाई भाई ’ के नारे को ख़त्म करने का न्योता देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को इस मुद्दे पर जटिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यदि चीन विश्व शक्ति है, तो फिर हम भी हैं।’
उन्होंने कहा कि 60 सालों की कूटनीति काम नहीं कर सकी और अब उनको यह बताने का समय आ गया है कि अब बहुत हो गया।इस बात पर ज़ोर देते हुये कि भारतीय फ़ौज एक उच्च पेशेवर फोर्स है और किसी भी दुश्मन का मुकाबला करने में पूरी तरह समर्थ है, मुख्यमंत्री ने कहा कि चीन जानता है कि हम उनको टक्कर देने के समर्थ हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि चीनी लोगों पर भरोसा नहीं किया जा सकता औरे कहा कि 1962 से कई भारतीय क्षेत्र उनके कब्ज़े में हैं और वह स्पष्ट तौर पर अब और हिस्से पर काबिज़ होने की कशिश कर रहे हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर सिपाहियों की हुई हिंसक झड़प का सख्त नोटिस लिया।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय फ़ौज हथियारों, पत्थरों या कीलें जड़ी राडों और लाठियों का मुकाबला करने के समर्थ है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अगर भारत सरकार चीनियों के साथ हाथापाई या लाठियों वाली लड़ाई लडऩा चाहती है तो उसे आर.एस.एस. काडर को लड़ाई के मैदान में भेजना चाहिए। हमारे जवानों को हथियारों की ज़रूरत है और उनको स्पष्ट आदेश होने चाहिएं कि वह अपने आप को बचाएं और किसी भी कीमत पर देश की रक्षा करने के लिए इन हथियारों का प्रयोग करने के लिए तैयार रहें।