क्षेत्र के लोगों ने नम आंखों से अपने लाल को दी अंतिम विदाई
मनन सैनी
गुरदासपुर। दो दिन पहले जम्मू कश्मीर के लद्दाख सेक्टर में चीनी सेना से हुई हिंसक मुठभेड़ में अपने 20 साथियों सहित शहादत का जाम पीने वाले भारतीय सेना की तीन मीडियम रेजीमेंट के नायब सूबेदार सतनाम सिंह का गांव भोजराज में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले लेह से एयरलिफ्ट कर पंजाब के चार शहीदों के पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ लाया गया तथा वहां सेना के उच्चाधिकरियों ने सभी शहीदों को रीथ चढ़ाकर सलामी दी। उसके बाद विशेष हेलीकॉपटर से शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह को तिब्बड़ी कैंट में लाया गया। यहां भी सेना के उच्चाधिकारियों ने शहीद को सलामी दी। उसके बाद सेना की विशेष गाड़ी से शहीद की पार्थिव देह को गांव भोजराज लाया गया।
जैसे ही शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह का तिरंगे में लिपटा हुआ पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो सारे गांव में मातम पसर गया। शहीद की माता जसबीर कौर, पत्नी जसविंदर कौर व बेटी संदीप कौर की करुणामयी चीखों से हर आंख नम हो उठी। इस अवसर पर तिब्बड़ी कैंट से आए सेना की 1871 फील्ड रेजीमेंट के जवानों ने मेजर विनय पराशर के नेतृत्व में शहीद को शस्त्र उल्टे कर, हवा में गोलियां दागते हुए व बिगुल की मातमी धुन के साथ सलामी दी। पंजाब सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, राज्य सभा सदस्य श्वेत मलिक व जिला प्रशासन की ओर से डीसी मोहम्मद इशफाक, एसएसपी गुरदासपुर डा. रजिंदर सिंह सोहल, एसपी नवजोत सिंह संधू, एसपी दिलबाग सिंह, जिला परिषद के चेयरमैन रविनंदन सिंह बाजवा, पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह छोटेपुर, पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल व शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने रीथ चढ़ाकर शहीद को सलामी दी। वहीं मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पंजाब सरकार की तरफ से शहीद के परिवार के एक सदस्य को नौकरी तथा 12 लाख रुपए देने का ऐलान भी किया।
शहीद के बेटे ने दी पिता को मुखाग्नि तो छलक उठी हर आंख
जब शहीद के 18 वर्षीय बेटे प्रभजोत सिंह ने अपने पापा की चिता को मुखाग्नि दी तो शमशानघाट में मौजूद हर आंख बरवस ही छलक उठी तथा सारा शमशानघाट शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह अमर रहे, भारतीय सेना जिंदाबाद, चीनी सेना मुर्दाबाद के जयघोष से गूंज उठा। शहीद की मां व बेटी ने दिया अर्थी को कंधा-शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह की अर्थी को उनकी मां जसबीर कौर व बेटी संदीप कौर ने कंधा देकर सारे देश को यह संदेश दिया कि शहीद परिवारों के कंधो में इतनी ताकत है कि वो अपने घर के चिराग को अपने कंधो पर उठाकर शमशान तक ले जा सकते है।
मां ने कहा बेटे का जाने गम तो है मगर शहादत पर गर्व
इस अवसर पर शहीद की मां जसबीर कौर ने कहा कि मुझे बेटे के जाने का गम तो बहुत है। मगर उसकी शहादत पर गर्व भी है। क्योंकि उसके बलिदान से मेरा कद ऊंचा हो गया है।
बोली शहीद की पत्नी-पति कहता था 24 साल फौज का नमक खाया है, तिरंगे में लिपट कर चुकाउंगा देश का कर्ज
इस अवसर पर शहीद की पत्नी जसविंदर कौर ने कहा कि जब वह अपने पति को फोन पर यह बात समझाती कि कश्मीर में खतरा है। अपना ध्यान रखना तो आगे से कहते कि जिस फौज का 24 साल नमक खाया है। अगर उसका कर्ज अपनी शहादत देते हुए तिरंगे में लिपट कर भी चुका सका तो मैं अपने आपको सौभाग्यशाली समझूंगा। शहीद की पत्नी ने नम आंखों से बताया कि उसका पति हमेशा गरीबों की मदद करता था तथा कहता था कि जब मैं सेवा निवृत्त हो जाऊंगा तो अपने बुजुर्ग पिता जगीर सिंह के नाम पर एक वृद्ध आश्रम बनवाऊंगा।
वर्दी पहन कर करुंगा शहीद पापा के सपने को साकार-बेटा प्रभजोत सिंह
शहीद सतनाम सिंह के बेटे प्रभजोत सिंह ने सजल नेत्रों से बताया कि उसके पापा हमेशा कहा करते थे कि उनका सपना है कि मेरा बेटा मेरी युनिट में अफसर बने और मैं उसे सैल्यूट करुं तथा साथ ही कहते थे कि वह अपनी बेटी को भी सेना में डाक्टर बनाएंगे। उसने बताया कि पहले उनकी मंशा विदेश जाने की थी। मगर पापा की शहादत के बाद उसका एक ही मकसद है कि वो वर्दी पहन व सेना में अफसर बनकर पापा के सपनों को साकार करें। इस अवसर पर शहीद की माता जसबीर कौर, पिता जगीर सिंह, पत्नी जसविंदर कौर, बेटी संदीप कौर, बेटा प्रभजोत सिंह व भाई सूबेदार सुखचैन सिंह ने भी पुष्प चक्र चढ़ाकर शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह को अंतिम सेल्यूट किया।