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पंजाब के मुख्यमंत्री ने बाढ़ रोकथाम प्रबंधों का लिया जायजा, ड्रेनों की सफाई और बाढ़ रोकथाम कार्यों के लिए 55 करोड़ रुपए किए मंजूर

पंजाब के मुख्यमंत्री ने बाढ़ रोकथाम प्रबंधों का लिया जायजा, ड्रेनों की सफाई और बाढ़ रोकथाम कार्यों के लिए 55 करोड़ रुपए किए मंजूर
  • PublishedMay 28, 2020

इजऱाईल की मैकरोट कंपनी की प्राथमिक रिपोर्ट और पंजाब के पानी की स्थिति पर सिफारिशों पर भी की चर्चा

चंडीगढ़, 28 मई: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को राज्य में बाढ़ रोकथाम तैयारियों को पहल देते हुए इनके प्रबंधों और ड्रेनों की सफाई के लिए 55 करोड़ रुपए मंजूर किये। इसके साथ ही आगामी मॉनसून सैशन से पहले सभी कार्य मुकम्मल करने के निर्देश दिए। राज्य के बाढ़ रोकथाम प्रबंधों का जायजा लेने के लिए बुलाई गई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग में मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को कहा कि ड्रेनों की सफाई 30 जून से पहले करवाने के लिए 50 करोड़ रुपए तुरंत डिप्टी कमीश्नरों को मुहैया करवा दिए जाएँ और सभी बाढ़ रोकथाम कार्यों को जुलाई के पहले हफ्ते तक मुकम्मल कर लिया जाये। जल स्रोत विभाग के लिए भी ऐमरजैंसी कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपए और मंजूर कर दिए हैं।

मीटिंग में इजराइल की राष्ट्रीय जल कंपनी मैकरोट डिवैल्पमैंट एंड ऐंटरप्राईजिज लिमिटेड द्वारा राज्य में पानी की स्थिति और पानी के संकट से निपटने के लिए रूप-रेखा तैयार करने के लिए तैयार की तीन प्राथमिक रिपोर्टों पर भी चर्चा हुई। यह रिपोर्टें ‘जल क्षेत्र की मौजूदा स्थिति संबंधी अध्ययन’, ‘जल स्रोतों के अनुमान’ और पानी की शहरी, ग्रामीण, पशुधन और सिंचाई के लिए माँग’ से सम्बन्धित थीं। काबिलेगौर है कि राज्य सरकार ने पिछले साल जून महीने में जल संरक्षण और प्रबंधन मास्टर प्लान बनाने के लिए कंपनी से समझौता किया था। कंपनी ने अपनी सिफारिशें 18 महीने के अंदर देनी हैं और मास्टर प्लान की अंतिम रिपोर्ट अक्तूबर 2020 तक सौंपी जानी है।

कंपनी पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी और पंजाब सरकार के विभागों से मिलकर काम कर रही है। मीटिंग में जल स्रोत विभाग के ड्रेनेज प्रशासन द्वारा बाढ़ रोकथाम तैयारियों पर चर्चा की गई और बाढ़ की किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए राज्य स्तर पर किये जा रहे प्रबंधों की समीक्षा की गई। यह बात याद रखने लायक है कि पिछले साल मॉनसून के दौरान राज्य के कुछ इलाकों को बड़े स्तर पर बाढ़ का सामना करना पड़ा था। मुख्यमंत्री ने विभाग को निर्देश दिए कि पहले ही हर संभव कदम उठाए जाएँ ताकि यह यकीनी बनाया जा सके कि राज्य में पिछले साल जैसे हालात न पैदा हों।

उन्होंने सभी जरूरी कार्यों को तय समय में मुकम्मल करने और आग्रिम चेतावनीयों की एक मजबूत प्रणाली की महत्ता पर जोर दिया है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने विभाग को कहा कि भारत सरकार के मौसम विभाग, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड समेत सम्बन्धित विभागों से निरंतर तालमेल रखा जाये जिससे समय पर अग्रिम पूर्वानुमान लागाया जा सके और आगे इसका प्रसार किया जाये। इस साल हुई ज्यादा बर्फबारी के कारण जल भंडारों के भरने को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री द्वारा विभाग को यह यकीनी बनाने के लिए निर्देश दिए गए कि इस मॉनसून सीजन के दौरान होने वाली बारिश के दौरान यह यकीनी बनाने के लिए उपयुक्त निगरानी की जाए कि भाखड़ा डैम का स्तर मॉनसून बारिश के पानी को बर्दाश्त करने की क्षमता रखता हो। बर्फ के पिघलने से भाखड़ा और पौंग डैम में पानी की आवक बढ़ जाती है।

यह मार्च के आखिरी हफ्ते में बर्फीले क्षेत्रों में तापमान के बढऩे से शुरू होकर 30 जून तक जारी रहता है और इसके उपरांत मॉनसून के आने से इनमें से पानी की निकासी बढ़ती है। भाखड़ा के प्रशासनिक बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार तापमान के बढऩे के कारण दोनों डैमों के जलाशयों के पास के बर्फीले क्षेत्रों में बर्फ ज्यादा पिघली है जिस कारण दोनों में अभी से ही पिघली हुई बर्फ का पानी पहुँच रहा है। विभाग द्वारा मीटिंग के दौरान जानकारी दी गई कि इस साल बाढ़ के कारण पैदा होने वाले हालातों से निपटने के लिए भाखड़ा प्रशासनिक बोर्ड (बी.बी.एम.बी) के अधिकारियों और भागीदार राज्यों हरियाणा और राजस्थान से लगातार मीटिंगें की जा रही हैं जिससे मॉनसून शुरू होने से पहले ही डैमों के पानी के स्तर की लगातार निगरानी की व्यवस्था की जा सके। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग और बी.बी.एम.बी द्वारा समय पर अग्रिम चेतावनियाँ जारी करने के लिए व्यवस्था बना ली गई है।

बी.बी.एम.बी अधिकारियों के साथ लगातार की गई मीटिंगों के दौरान लिए गए फैसलों के अनुसार भाखड़ा से पानी की निकासी को 30000 क्यूसक औसतन तक बढ़ाया गया है और 26 मई 2020 को पानी का स्तर 1561.06 फुट था जोकि पिछले साल पानी के 1614.56 फुट के स्तर की अपेक्षा 53.5 फुट कम है जिसके चलते 1.51 बी.सी.एम पानी और समाने की क्षमता रखता है। पौंग डैम से पानी की निकासी 15000 क्यूसक औसतन के हिसाब से बढ़ाई गई है और 26 मई 2020 को यहाँ पानी का स्तर 1346.54 फुट रहा जबकि पिछले साल यह स्तर 1337.72 फुट था। पौंग डैम में ज्यादा पानी बरसात के कारण आता है और यहाँ बर्फ के पिघलने के कारण आने वाले पानी की मात्रा बहुत कम है।

पंजाब कृषि प्रधान राज्य होने के कारण जल स्रोत विभाग के ड्रेनेज प्रशासन द्वारा राज्य में 1362.88 किलोमीटर लंबे धुस्सी बाँधों, 4092 नंबर नदीय प्रशिक्षण कार्यों और 8136.76 किलोमीटर लंबे ड्रेनों के नैटवर्क के देखभाल और रख रखाव का कार्य किया जाता है। पंजाब के कुल 50.47 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से 42.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कृषि अधीन है और यहाँ रावी, ब्यास, सतलुज और घग्गर चार प्रमुख नदियां राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में से गुजरती हैं।

Written By
The Punjab Wire