पंजाब सरकार द्वारा दूध उत्पादकों को लाभप्रद मूल्य देने और दूध के उपभोग संबंधी व्यापक योजना बनाई जाएगी
दूध उत्पादकों को लाभप्रद मूल्य दिया जाएगा-तृप्त बाजवा
चंडीगढ़, 19 मई: पंजाब सरकार अक्तूबर में दूध के बढऩे वाले उत्पादन को संभालने, उपयुक्त मंडीकरण करने और दूध की क्रय राशि को स्थिर रखने के लिए एक व्यापक योजना बना रही है, जिससे दूध उत्पादकों को लाभप्रद मूल्य मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध मिले। राज्य के पशु पालन, डेयरी विकास और मछली पालन मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा की अध्यक्षता अधीन आज यहाँ हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फ़ैसला हुआ कि स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले दोपहर के खाने और लोक वितरण प्रणाली के द्वारा बाँटें जाने वाली वस्तुओं में सूखा दूध शामिल किए जाने के मामले को सम्बन्धित विभागों के समक्ष उठाया जाए।
बैठक में उपस्थित अधिकारियों, माहिरों और दूध उत्पादकों का यह मानना था कि इस फ़ैसले से मिल्कफैड के पास पड़ा सूखे दूध के स्टॉक का उपभोग होने से मिल्कफैड किसानों के लिए लाभप्रद मूल्य पर दूध खरीदने की स्थिति में आ जाएगा। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पशु पालन और डेयरी विकास मंत्री ने मिल्कफैड, किसान आयोग और डेयरी विकास विभाग के अधिकारियों को हिदायत दी कि वह मिल्कफैड को इस संकट और अक्तूबर में दूध के बढऩे वाले उत्पादन को संभालने के समर्थ बनाने के लिए अपेक्षित आर्थिक सहायता सम्बन्धी प्रस्ताव तैयार करने को कहा, जिससे इसको अगले सप्ताह वित्त विभाग के समक्ष विचारा जा सके। उन्होंने मिल्कफैड को बस्सी पठानां में लग रहे नए प्लांट की जल्द शुरुआत करें और पुराने प्लांटों के सामथ्र्य को बढ़ाने के लिए भी कहा।
पशु पालन मंत्री ने डेयरी विकास और सहकारी विभाग के अधिकारियों को कहा कि केंद्र सरकार के सम्बन्धित मंत्रालयों से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली निधि सम्बन्धी पड़ताल करके प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा, जिससे अगले सप्ताह केंद्र सरकार के सम्बन्धित मंत्रियों को मिलकर फंड हासिल किए जा सकें। मिल्कफैड के मैनेजिंग डायरैक्टर कमलदीप सिंह ने बताया कि दूध उत्पादकों को आज के संकट से उभारने के लिए मिल्कफैड को 400 करोड़ रुपए की एकमुश्त रकम सहायता के रूप में दी जा सके।
पंजाब के दूध उत्पादकों के नुमायंदे और डेयरी मालिक रणजीत सिंह ने कहा कि चाहे मिल्कफैड राज्य में उत्पादित दूध का तकरीबन आठवां हिस्सा ही खऱीदता है, परन्तु इसको आर्थिक तौर पर मज़बूत करना इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि निजी दूध प्लांट इसके द्वारा तय की गई कीमतों को ही मानते हैं। यहाँ यह वर्णनयोग्य है कि पंजाब में इस समय पर तकरीबन तीन लाख लीटर दूध उत्पादन होता है, जिसमें से तकरीबन आधा दूध घरों में इस्तेमाल किया जाता है। बिकने वाले डेढ़ लाख लीटर दूध में से तकरीबन 30 हज़ार लीटर मिल्कफैड और 70 हज़ार लीटर दूध निजी मिल्क प्लांट $खरीदते हैं। होटल, रैस्तरां और हलवाईयों की दुकानें बंद होने के कारण 50 हज़ार लीटर दूध बगैर बिके ही बच जाता है, जो दूध उत्पादकों के लिए घाटे का कारण बन रहा है।
अक्तूबर में 40 हज़ार लीटर दूध का उत्पादन और बढ़ जाने के कारण सरकार के सामने दूध को संभालने और किसानों को फायदेमंद मूल्य देने की बड़ी चुनौती बन खड़ी हुई है। इस बैठक में अन्यों के अलावा किसान आयोग के सचिव डॉ. बलविन्दर सिंह सिद्धू और डेयरी विकास विभाग के डायरैक्टर डॉ. इन्दरजीत सिंह भी शामिल थे।