निर्धारित संचालन विधि की सख्ती से पालना को यकीनी बनाने के लिए कहा
अंतर -राज्ज़ीय बस सेवा 31 मई तक बंद रहेगी परन्तु ग़ैर-सीमित जोनों में स्थानीय बस सेवा जल्द होगी शुरू
15 या अधिक मामलों वाले गाँव /वार्ड को सीमित जोन और एक किलोमीटर के घेरे को बफर जोन माना जाऐगा
चंडीगढ़, 18 मई:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य में बन्दिशों में ढील देने के मद्देनजऱ स्थानीय प्रशासन और पुलिस को पूरी मुस्तैदी बरतने के आदेश दिए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग को सीमित ज़ोनों (कंटेनमैंट जोन) में स्थानीय बस यातायात बहाल करने के लिए निर्धारित संचालन विधि (एस.ओ.पीज़) की रूप -रेखा तैयार करने के लिए कहा परन्तु अंतर-राज्ज़ीय बस सेवा की बहाली को 31 मई तक रद्द कर दिया।
ढील देने से लोगों के आपस में विलय से रोग के फैलाव के खतरे को असली परीक्षा बताते हुये मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को ऐडवाईज़रियों की सख्ती से पालना और पास से निगरानी को यकीनी बनाने की हिदायत की। उन्होंने पुलिस विभाग को सामाजिक दूरी और कोविड की रोकथाम के लिए ज़रुरी और प्रोटोकोल की सख्ती से पालना को यकीनी बनाने और बिना मास्क बाहर निकलने वालों का चालान काटने के लिए कहा।
वीडियो काँफ्रेंंसिंग के ज़रिये राज्य में कोविड और लॉकडाऊन की स्थिति का जायज़ा लेते हुये मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग को 31 मई के बाद शुरू होने वाली अंतर -राज्ज़ीय बस सेवा के लिए रोज़मर्रा के मुसाफिऱों से निपटने के लिए सख्ती से प्रोटोकोल अमल में लाने के आदेश दिए।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अंतर-राज्ज़ीय यातायात के लिए भी कम से -कम 31 मई तक तो विशेष और श्रमिक रेल गाड़ीयों के लिए ही इजाज़त होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में बसों को क्रमवार ढंग से चलाने की आज्ञा होगी। उन्होंने कहा कि ग़ैर -सीमित जोनों में बस सेवा बहाल करने से पहले रोज़मर्रा के बसों को रोगाणु मुक्त करने समेत एस.ओ.पीज़ की सूची जारी की जाऐेगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सतीश चंद्रा ने बताया कि केंद्र की तरफ से रंग के आधार पर जोनों में बाँटने की प्रक्रिया को ख़त्म करने संबंधी राज्य की विनती को स्वीकृत कर लेने की राह पर राज्य में अब सिफऱ् सीमित और ग़ैर -सीमित जोन ही होंगे।
स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक एक गाँव /वार्ड में 15 या अधिक मामलों के केंद्र के आसपास का एक क्षेत्र या इसके साथ लगते गाँवों /वार्डों के छोटे समूह को सीमित जोन माना जायेगा और पहुँच और आकार के रूप में भौतिक मापदण्डों से इसको परिभाषित किया जायेगा। सीमित जोन (एक किलोमीटर के घेरे) के आसपास के समकेन्द्रिय क्षेत्र को बफर जोन माना जायेगा। इन सभी जोनों में विभाग की तरफ से प्रभावित और अधिक जोखिम वाली आबादियों पर ध्यान एकाग्र करते हुये घर -घर जांच और संपर्क ढूँढने का काम व्यापक और निरंतर स्तर पर किया जायेगा। सीमित जोन का समय कम से -कम 14 दिन का होगा और इस समय में एक से अधिक नया केस आने पर यह समय एक हफ़्ते तक बढ़ाया जायेगा।
विशेष रेलगाडिय़ों और हवाई उड़ानों के द्वारा प्रवासियों, एन.आर.आईज़. और अन्य राज्यों में निरंतर प्रवेश का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री ने इनके एकांतवास के नियमों की सख्ती से पालना के लिए अपनी पहली हिदायतों को दोहराया। उन्होंने बताया कि अब तक 60,000 पंजाबियों ने राज्य में वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाई है और इसी तरह 20,000 एन.आर.आई. के भी वापस लौटने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब चाहे प्रति ट्रेन 7.5 लाख रुपए ख़र्च करके प्रवासियों समेत अन्य लोगों को उनकी इच्छा के मुताबिक गृह राज्यों में भेज रहा है परन्तु अन्य राज्य ऐसा उत्साह नहीं दिखा रहे और पंजाबियों को वापस लाने के लिए उनकी सरकार को प्रबंध करने के लिए कह रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से बनाऐ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने वाले 11 लाख प्रवासी कामगार में से अब तक 2लाख से और ज्यादा पंजाब छोड़ कर अपने राज्यों को जा चुके हैं। पंजाब में से रोज़मर्रा के 20 रेलें जा रही हैं और सोमवार को 15 उत्तर प्रदेश और 6 बिहार को रवाना हो रही हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि बिहार के लिए और रेलें भेजने की ज़रूरत है परन्तु इस राज्य में एकांतवास की सुविधाएं पूरी तरह इस्तेमाल किये जाने के कारण यह राज्य और लोगों के लिए दाखि़ले का इच्छुक नहीं है।
इस संबंधी अवगत करवाए जाने पर कि पंजाब को उत्तर प्रदेश और बिहार और अन्य राज्यों से कामगारों के धान के सीजन के दौरान काम के लिए पंजाब वापस आने के लिए विनतियाँ प्राप्त हो रही हैं, मुख्यमंत्री की तरफ से मुख्य सचिव को इस सम्बन्धी केंद्र के साथ संबंध कायम करके प्रक्रिया को रूपबद्ध करने के लिए निर्देश दिये गए। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी कामगारों को उन्होंने गाँवों में ही एकांतवास में रखना पड़ेगा, जहाँ वह काम करेंगे।
पंजाब के खाद्य और सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों संबंधी मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा कि उनका विभाग केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार राशन की बाँट के लिए रजिस्ट्रेशन के आधार पर यात्रा करने वाले प्रवासी कामगारों सम्बन्धी आंकड़े इकठ्ठा कर रहा है।
मुख्य सचिव करन अवतार सिंह ने कहा कि राज्य में आने वाले सभी व्यक्तियों की सरहद पर पहुँचने पर चैकिंग करना और कौवा एप पर अच्छी सेहत की चिट अपलोड करना ज़रूरी होगा।
डा.के.के.तलवाड़ ने कहा कि अध्ययन से सामने आया है कि पंजाब छोड़ कर जाने वाले प्रवासी कामगार में केवल 1 फीसद ही पाजेटिव बन रहे हैं जबकि यह आंकड़े पंजाब वापस आने वालों के मुकाबले में बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय औसत के मुकाबले पंजाब में मामलों में विस्तार और दोगुने होने की दर एक फीसद और 70 दिन बनती है। उन्होंने बताया कि हुई 35 मौतें ( 11 पुरूष और 24 महिलाओं) की समीक्षा दर्शाती है कि इनमें केवल एक केस ऐसा था जिसको और गंभीर बीमारियां नहीं थी जबकि बाकी अन्य गंभीर बीमारियों जैसे शुगर, तनाव, फेफड़ों की बीमारी और मोटापे आदि से जूझ रहे थे।
टेस्टिंग के मामलों संबंधी मीटिंग के दौरान बताया गया कि पंजाब में टेस्टिंग की मौजूदा 1400 की दर सरकारी मैडीकल कालेजों की लैबोरेटरियों में ही एक हफ्ते में बढ़ कर 4650 प्रति दिन हो जायेगी। अगले 25 दिनों में चार और लैबोरेटरियाँ भी टेस्टिंग के लिए तैयार हो जाएंगी जिससे प्रति दिन 1000 टैस्ट के सामथ्र्य का और विस्तार हो जायेगा। यह केंद्रीय सरकारी और प्रवाईवेट टेस्टिंग सामथ्र्य के अलावा होगा।
अंतर -राज्ज़ीय यात्रियों की टेस्टिंग के अलावा सेहत विभाग अब खरीद एजेंसियों, मंडी बोर्ड, खाद्य सप्लाई, शहरी स्थानीय निकाय, ग्रामीण विकास, राजस्व् विभाग, पुलिस, सेहत विभागों के उन मुलाजिमों की टेस्टिंग की तरफ बढ़ रहा है जिनको ज़्यादा आगे होकर काम करना पड़ता है। ज़्यादा संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में कृषि की कटाई और बीजाई के कामों जैसे कम्बायन ऑपरेटर, ट्रक चालक, लोडिंग, मंडियों के कामगार, आढ़तियों, मंडी सुपरवाइजऱ और ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो सब्ज़ी मंडियों, फल मंडियों, होल सेल बाज़ारों, बैंकों और रिटेल स्टोरों जैसी स्थानों पर काम करते हैं जहाँ भीड़ ज़्यादा और जगह कम होने के कारण प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने की संभावना ज़्यादा होती है। ट्रक चालकों, बस चालकों और कडंकटरों आदि जिनका प्रभावित यात्रियों के साथ संपर्क में आने का जोखिम बना रहता है, के भी अगामी दिनों में टैस्ट किये जाएंगे।
डाक्टरों की कमी के मसले पर मुख्य सचिव ने जानकारी दी डिप्टी कमीशनरों की तरफ से कोविड के इलाज केन्द्रों के लिए स्थानीय स्तर पर ठेके पर डाक्टरों का इंतज़ाम किया जा रहा है।
राज्य की तरफ से महामारी के अगले पड़ाव के लिए की जा रही तैयारियों के दरमियान मैडीकल कालेज और प्राईवेट अस्पताल इलाज के लिए सहयोग देने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं।
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