हरसिमरत पर पासवान को गुमराह करने के लगाऐ दोष -कहा दाल की अनुपस्थिति के कारण नहीं बांटा जा सका केंद्रीय कोटे का गेहूँ
लॉकडाउन के दौरान पंजाब सरकार ने अपने बजट में से सूखे राशन के 15 लाख पैकेट बाँटे
चंडीगढ़, 7 मई -अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल पर केंद्रीय खाद्य मंत्री को गुमराह करने का दोष लगाते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा सप्लाई किये गए अनाज की राज्य में वितरण में किसी तरह की देरी किये जाने को सिरे से रद्द किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब को केंद्र सरकार द्वारा किये वायदे के उलट दाल की मात्रा 50 फीसदी कम मुहैया करवाई गई है जिसकी अनुपस्थिति के कारण केंद्र के निर्देशों अनुसार गेहूँ का वितरण भी नहीं किया जा सका।
मुख्यमंत्री द्वारा केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान द्वारा किये ट्वीट का जवाब दिया गया जिसमें केंद्रीय मंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए राशन की राज्य में वितरण के लिए कहा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के निर्देशों के अनुसार कफ्र्यू / लॉकडाउन के दौरान योग्य लाभपात्रीयों को गेहूँ और दाल का वितरण किया जाना था परन्तु सच्चाई यह है कि राज्य के गोदामों में गेहूँ पहले ही बड़ी मात्रा में पड़ा हुआ है जबकि केंद्र द्वारा दालों की अपेक्षित सप्लाई नहीं की जा रही।
संयोगवश पंजाब के गोदामों में पिछले साल के 100 लाख मीट्रिक टन चावल और 73 मीट्रिक टन गेहूँ के भंडार मौजूदा समय में पड़े हुए हैं जिनमें 135 लाख मीट्रिक टन गेहूँ इस बार और जुड़ जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह खरीदे गये अनाज की ढुलाई को तेज करने के लिए लगातार केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के साथ संपर्क स्थापित कर रहे हैं ताकि यह भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण अनाज खुले में खराब न हो जाए। उन्होंने अपनी माँग को दोहराया कि केंद्र सरकार अनाज को खराब होने से बचाने के लिए अनाज को जल्द उठाए खासकर कोविड के बीच लॉकडाउन के इस संवेदनशील समय के मौके पर जब पूरे मुल्क में लाखों गरीब लोगों को राशन मुहैया करवाया जाना अति आवश्यक है।
केंद्रीय अनाज के वितरण के मामले सम्बन्धी मुख्यमंत्री ने कहा कि ख़ुद केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा किये गए दावों के उल्ट पंजाब को 1 मई, 2020 तक केंद्र की तरफ से 10800 मीट्रिक टन दाल के किये वायदे की जगह केवल 2500 मीट्रिक टन ही मुहैया करवाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की तरफ से दाल की प्राथमिक उपलब्धता के साथ ही 1 मई, 2020 को ही गेहूँ का वितरण भी राज्य के अंदर शुरू कर दिया गया था और मौजूदा समय 18 जिलों में वितरण का यह काम चल रहा है।
लॉकडाउन के दरमियान जि़ंदा रहने के लिए संघर्ष करते लोगों की तत्काल ज़रूरतों की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने सूखे राशन के 15 लाख पैकेट बाँटने के लिए अपने बजट में से खर्र्च किया है और हरेक पैकेट में 10 किलो आटा, 2 किलो दाल और 2 किलो चीनी वितरित की गई है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत हरेक लाभपात्री को प्रति महीना 5 किलो गेहूँ दिया जा रहा है परन्तु पंजाब में सरकार एक ही बार ही छह महीनों का गेहूँ बाँट देती है जिससे हरेक परिवार के मैंबर को 30 किलो गेहूँ मिल जाती है। उन्होंने बताया कि एन.एफ.एस.ए. के अधीन इस साल गेहूँ का आखिरी वितरण फरवरी -मार्च में होने से चार व्यक्तियों के औसतन परिवार को 120 किलो गेहूँ मिल गई परन्तु तत्काल ज़रूरत दाल की थी जो भारत सरकार की तरफ से देरी से सप्लाई की गई और वह भी सीमित मात्रा में दी गई।
मुख्यमंत्री ने बताया कि बदकिस्मती से दाल की अनुपस्थिति होने के कारण केंद्रीय पुल की गेहूँ भी नहीं वितरित की जा सकी क्योंकि डीपू होल्डर 10-15 दिन के समय अंदर गेहूँ और दाल बाँटने के लिए लाभपात्रियोंं को दो बार बुला कर एकत्रित नहीं कर सकते थे क्योंकि इससे राशन डिपूओं के बाहर भीड़ जमा हो जानी थी जो सामाजिक दूरी के नियमों का बुरा प्रभाव पड़ता। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को गेहूँ के साथ वितरित की जाने वाली दाल की समय पर सप्लाई यकीनी बनानी चाहिए थी।
मुख्यमंत्री ने हरसिमरत बादल को अपने बेबुनियाद दावों और दोषों के द्वारा केंद्र सरकार और पंजाब के लोगों को गुमराह करना बंद करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री के इन खोखले दावों का उद्देश्य अकालियों के हितों का साथ देना हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे खोखले दावों के गंभीर निष्कर्षों और इनका लोगों के मनोबल पर पडऩे वाले प्रभाव की परवाह किये बिना अकाली पिछले कुछ हफ़्तों से कोविड के गंभीर मसले पर भी संकुचित राजनीति खेल रहे हैं।