सोनिया गांधी द्वारा गेहूँ की निर्विघ्न खरीद के लिए पंजाब के किसानों को बधाई, अब तक 100 लाख मीट्रिक टन गेहूँ मंडियों में पहुंची
मुख्यमंत्री ने अगामी दिनों में एन.आर.आईज़ और कामगारों की आमद से पंजाब में कोविड मामलों में वृद्धि की चेतावनी दी
चंडीगढ़, 6 मई: पंजाब को अप्रैल महीने के दौरान 88 फीसदी तक हुए राजस्व घाटे का जि़क्र करते हुये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि राज्य को इस दौरान विभिन्न टैक्स राजस्व से कोई आय नहीं हुई और पंजाब में मौजूदा समय मेें कुल औद्योगिक इकाईयों का लगभग 1.5 हिस्सा ही कार्यशील है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से सहायता की अनुपस्थिति के कारण पंजाब मुश्किल वित्तीय हालातों का सामना कर रहा है।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की प्रधान श्रीमती सोनिया गांधी के अलावा डा. मनमोहन सिंह और श्री राहुल गांधी समेत कांग्रेस के नेतृत्व वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्ऱेंस में शिरकत करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब की तरफ से कोविड की रोकथाम के लिए अपनाई जा रही नीति और राज्य के वित्तीय ढांचे की पुन: निर्माण के लिए उठाए जा रहे कदमों संबंधी विस्तार में जानकारी दी।
मीटिंग के दौरान श्रीमती सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री को उनकी तरफ से पंजाब के किसानों को फसलों की खरीद के सुखद सीजन के लिए बधाई देने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने बताया कि मंडियों में अब तक 100 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की आमद पहले ही हो चुकी है और खरीद की प्रक्रिया चल रहे मई महीने के अर्ध तक मुकम्मल होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अप्रैल महीने के दौरान 3360 करोड़ का राजस्व एकत्रित होने की उम्मीद के उल्ट केवल 396 करोड़ की ही आय हुई है और बिजली का उपभोग 30 फीसदी तक घटने के कारण पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड को बिजली दरों में रोज़मर्रा के 30 करोड़ का घाटा हो रहा है। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से राज्य के जी.एस.टी के 4365.37 करोड़ के बकाए की भी अदायगी भी अभी तक नहीं की गई।
राज्य को वित्तीय और औद्योगिक पक्ष से फिर से पैरों पर करने के लिए श्री मोंटेक सिंह आहलूवालीया के नेतृत्व में माहिर समूह की प्राथमिक रिपोर्ट अगामी तीन महीनों में मिलने की संभावना है जिसके बाद एक महीने में इसको मुकम्मल अंतिम रूप दिया जायेगा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ऐसे मुश्किल भरे वित्तीय हालत के बावजूद पंजाब सरकार लोगों को व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर कोरोना की रोकथाम के लिए तैयार रखने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है और उनके साथ ही कहा कि कोविड -19 के खतरे के साथ जुझने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को समय का साथी बनाने और फिर से योजनाबंद्धी के लिए हर संभव यत्न किया जा रहा है
मुख्यमंत्री की तरफ से अपनी राय रखी गई कि रेड, ओरेंज और ग्रीन जोनों के वर्गीकरण का फ़ैसला राज्यों पर छोड़ देना चाहिए जिस कारण डिप्टी कमीशनरों को ज़मीनी हकीकतों के अनुसार क्षेत्रों की निशानदेही के लिए अधिकारित किया जा सकता है। पटियाला को रेड जोन ऐलाने जाने की मिसाल देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य तौर पर दूध का उत्पादन करने वाला नाभा भी इस जिले का ही हिस्सा है। पंजाब में इस मौके पर चार कंटोनमैंट जोन और चार रेड जोन जिले हैं। इस के अलावा 15 जिले ओरेंज जोन में और बाकी रहते तीन ग्रीन जोन में हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य में कोविड की स्थिति संबंधी भी बताया कि जहाँ अब तक 1451 पॉजिटिव केस सामने आए हैं और 25 मौतें हुई हैं जो 1.72 प्रतिशत की मौत दर बनती है। उन्होंने कहा कि पंजाब से बाहर रहते पंजाबियों की राजस्थान और महाराष्ट्र से राज्य में वापसी होने के बाद मामलों में एकदम विस्तार हुआ है। नांदेड़ से लौटे 4200 से अधिक व्यक्तियों में से 969 केस पॉजिटिव आए हैं, चाहे इनमें से सिफऱ् 23 व्यक्तियों में लक्षण पाये गए हैं और कुछ नतीजों का इन्तज़ार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक बार ऐसे सभी व्यक्तियों की टेस्टिंग मुकम्मल होने के बाद अगले 3-4 दिनों में स्थिति में सुधार होने पर यह विस्तार ख़त्म होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वापस लौटने वाले हरेक व्यक्ति की जांच करके एकांतवास में रखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने राज्य में वापस लौटने वालों ख़ास कर भीड़ वाले समुद्री जहाजों के द्वारा खाड़ी मुल्कों से कामगारों की वापसी के साथ राज्य में रोग फैलने के बड़े खतरे के बारे भी चेतावनी दी है। उन्होंने खुलासा किया कि प्रवासी पंजाबियों ख़ास कर कामगारों के चार समुद्री जहाज़ अगले कुछ दिनों में पहुँचने की उम्मीद है जबकि एन.आर.आईज़ को लेकर पहला जहाज़ गुरूवार को पहुँचने की उम्मीद है।
विस्तार में जानकारी देते हुये मुख्यमंत्री ने बताया कि लगभग 20,000 अंतरराष्ट्रीय मुसाफिऱों के अगले 2-3 हफ़्तों में पंजाब पहुँचने की उम्मीद है और बाकी राज्यों से भी अगले दिनों में करीब 12,000 पंजाबी आ रहे हैं। पंजाब से प्रवासी मज़दूरों की तरफ से अपने गृह राज्योंं में वापस जाने की ज़ाहिर की इच्छा के बारे में उन्होंने खुलासा किया कि अब तक 10 लाख मज़दूर रजिस्टर्ड हो चुके हंै जिनमें से 85 प्रतिशत यू.पी. और बिहार से सम्बन्धित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन कामगारों के रेल सफऱ के किराये के लिए 35 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं। उन्होंने बताया कि 5मई को तीन रेल गाड़ीयाँ इन कामगारों को लेकर यू.पी. और झारखंड के लिए रवाना हो चुकी हैं और 6 मई को 6 और रेल गाड़ीयाँ जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि उनकी सरकार की तरफ से इस वायरस के फैलाव की रोकथाम के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि वापस लौटने वाले सभी व्यक्तियों को एक हफ़्ते के लिए एकांतवास में रखा जायेगा, जब तक उनका वायरस के लिए टैस्ट नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि टेस्टिंग में नेगेटिव सिद्ध होने वाले व्यक्तियों को और दो हफ़्तों के लिए एकांतवास में रखा जायेगा जबकि पॉजिटिव मामलों वालों को कंटोनमैंट वार्डों में रखा जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रोज़मर्रा के 2500 रेगुलर टैस्ट किये जा रहे हैं और अब तक 30199 टैस्ट किये जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने उनकी सरकार की तरफ केंद्र सरकार के पास उठाए मुद्दों को सांझा किया। इन मुद्दों में जी.एस.टी. का बकाया, अगले तीन महीनों के लिए राजस्व अनुदान की माँग, 15वें वित्त आयोग की तरफ से मौजूदा वर्ष की रिपोर्ट की समीक्षा करने समेत अन्य मामले शामिल हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार प्रवासी मज़दूरों समेत कृषि और औद्योगिक दिहाड़ीदारों और गरीबों के लिए भी राहत की पैरवी कर रही है जो नौकरियाँ /रोजग़ार छिनने के कारण बुरी तरह पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि राज्य ने सूक्ष्म, लघु और दर्मियाने उद्योगों और बिजली सैक्टर के लिए भी तत्काल राहत की माँग की गई है।