ਸਿਹਤ ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ

गोरहम ​​नामक बिमारी से ग्रस्त चार साल के बच्चे का किया सफल आप्रेशन

गोरहम ​​नामक बिमारी से ग्रस्त चार साल के बच्चे का किया सफल आप्रेशन
  • PublishedDecember 5, 2019

1838 में होंद में आई थी गोरहम नामक बिमारी, अभी तक महज 200 मरीज आए सामने

गुरदासपुर के अबरोल मेडिकल सैंटर में हुआ उज्बेकिस्ता के बच्चे का सफल आप्रेशन

मनन सैनी

गुरदासपुर। अबरोल मैडिकल सैंटर ने एक दुलर्भ बिमारी से गृस्त चार साल के बच्चे का सफल आप्रेशन करने में सफलता हासिल की है। ​मरीज बच्चा ताशकंद (उज्बेकिस्तान) का रहने वाला है। शुक्रवार को अपना सफल इलाज करवा कर अपने वतन वापिस लौट रहे मरीज के परिजनों ने टीम का धन्यवाद किया।
        इस संबंधी जानकारी देते हुए डा अजय अबरोल ने बताया कि उन्होने 2014 में ताशकंद के एक बच्चे का आप्रेशन कर सफल इलाज किया था। जिन्होने ताशकंद के ही एक गोरहम नामक बिमारी के शिकार चार साल के बच्चे मैखामीव मिर्जा के पिता मुज्जफर को उनके बारे में बताया। जिसके चलते मरीज के पिता ने उनसे संपर्क साधा तथा अपनी बिमारी के बारे में बताया। करीब 15 दिन पहले यहां गुरदासपुर आए और उन्होने टीम के साथ बच्चे का आप्रेशन किया ।
              गोरहम बिमारी संबंधी बात करते हुए डा अजय अबरोल ने बताया कि यह बेहद दुलर्भ ​बिमारी है जिसका पहला केस 1838 में सामने आया। अभी तक पूरे विश्व में फिल्हाल इसके 200 मरीज के केस ही सामने आए है। इस बिमारी संबंधी शोध चल रही है तथा इसका इलाज भी पूरी तरह सामने नही आया है।  


               परन्तु ​इस संबंधी उन्होने इस बिमारी का सिंगल स्टेज मल्टी लैवल मल्टी प्लेनर लिंब रिकंस्ट्रेक्शन सर्जरी  करीब पांच घंटो में छह डाक्टरों की टीम के साथ पूरी की। डा अबरोल ने दावा किया कि जिस बिमारी का इलाज पूरे विश्व में नही हुआ उसका इलाज उन्होने अपने अस्पताल में किया।

उन्होने बताया कि हमारे लिए सबसे अहम पांच घंटे खून का बहाव रोक कर रखना था जिसके चलते बेहद सावधानी के साथ आप्रेशन किया गया। उन्होने बताया कि कार्बन फाईबर फ्रेम के साथ बायो कैमिकल हड्डी का इस्तेमाल कर बच्चे का सफल आप्रेशन किया गया। इस तरह बच्चा की बाजू की प्राकृतिक तरीके से ग्रोथ होगी।
         बच्चे की बिमारी संबंधी उन्होने बताया कि अभी यह पता नही चल पाया है कि यह जन्मजात बिमारी है या नही। परन्तु कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार खून में हड्डियों को खाने वाले सैल की मात्रा बढ़ जाने के कारण यह बिमारी होती है। क्यो​कि यह बिमारी पूरी दुनिया में बेहद कम देखने में आई है इसलिए अभी तक शोधकर्ता पूरी तरह इस बिमारी को नही समझ पाए है। इसका पता लगाना बेहद कठिन है।
             उन्होने बताया कि बच्चा बिलकुल ठीक है तथा शुक्रवार को वापिस अपने वतन जा रहा है। आप्रेशन करने वालों की टीम में डा अतुल सिंह, ड़ा नितिन, डा हरिंदर सिंह, डा सतपाल, डा राज रानी व अन्य शामिल थे।


Written By
The Punjab Wire