पानी के गिर रहे स्तर को रोकने के लिए ‘पंजाब जल नियमन और विकास अथॉरिटी’ के गठन को हरी झंडी
चंडीगढ़, 4 दिसंबर:भूजल के गिर रहे स्तर को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए मंत्रीमंडल ने आज ‘पंजाब जल नियमन और विकास अथॉरिटी’ के सृजन करने को मंजूरी दे दी। इससे यह अथॉरिटी पानी के निकास पर हिदायतें जारी करने के लिए अधिकृत होगी परन्तु पीने वाले पानी, घरेलू और खेती मंतव्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की निकासी पर किसी तरह की रोक या दरें लगाने के लिए अधिकृत नहीं होगी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने पंजाब वॉटर रिसोर्सिज (मैनेजमेंट और रैगूलेशन) आर्डीनैंस -2019 के नाम अधीन आर्डीनैंस लाने का फ़ैसला किया है।
मंत्रीमंडल की मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रस्तावित आर्डीनैंस का उद्देश्य राज्य के जल स्रोतों के प्रबंध और नियमन को समझदारी, न्यायपूर्ण और निरंतर प्रयोग द्वारा यकीनी बनाना है। यह अथॉरिटी भूजल के प्रयोग और निकास से सम्बन्धित आम हिदायतें जारी करने के लिए अधिकृत होगी। इसके इलावा राज्य में नहरी सिंचाई समेत सभी जल स्रोतों का प्रयोग सभ्यक ढंग से करने को यकीनी बनाएगी। यह अथॉरिटी पानी के पुन: प्रयोग और इसकी संभाल सम्बन्धी भी दिशा-निर्देश जारी करेगी।
यह आर्डीनैंस पीने वाले पानी या घरेलू मंतव्यों के लिए भूजल को निकालने पर रोक लगाने बारे कोई हिदायतें जारी करने की आज्ञा नहीं देता। पीने वाले पानी, घरेलू और खेती मंतव्यों के लिए यह अथॉरिटी राज्य सरकार की नीति के अंतर्गत मार्गदर्शन देगी। हालाँकि उद्योगों और व्यापारिक प्रयोग के लिए पानी के रेट तय करना भी अपेक्षित होगा।अथॉरिटी को उसके हुक्मों या हिदायतों का पालन न करने पर वित्तीय दंड लगाने का अधिकार होगा। इस अथॉरिटी को सिविल कोर्ट की शक्तियां हासिल होंगी और सालाना रिपोर्ट पेश करनी अपेक्षित होगी जिसको सरकार की तरफ से सदन में रखा जायेगा। मौजूदा और भावी पीढिय़ों की ज़रूरतों की पूर्ति के लिए पानी के सीमित साधनों के लम्बा समय प्रयोग किये जाने को यकीनी बनाने की ज़रूरत को दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चुनौती को योग्य कानूनी प्रक्रिया के द्वारा आर्थिक और सभ्यक ढंग से राज्य के जल स्रोतों के प्रबंधन और संभाल के लिए विधि ढूँढना ज़रूरी है।
यह जि़क्रयोग्य है कि राज्य सरकार ने इज़राइल की राष्ट्रीय जल एजेंसी, मेकोरोट के साथ पहले ही एक समझौता सहीबद्ध किया है जिससे राज्य के जल साधनों के प्रभावी और टिकाऊ प्रयोग के लिए एक व्यापक योजना तैयार करने के लिए राज्य की मदद की जा सके। यह प्रस्तावित अथॉरिटी एक चेयरपर्सन पर आधारित होगी जिसके लिए पानी के क्षेत्र में बेहतर तजुर्बे और योग्यता रखने के साथ-साथ इसके प्रबंधन और लोक प्रशासन, कानून और आर्थिक क्षेत्र में पूरी समझ रखने वाला व्यक्ति हो। इसके अलावा इसके दो मैंबर होंगे जो जल स्रोतों या वित्त, कानून, कृषि और वित्त से सम्बन्धित क्षेत्रों के माहिर होंगे। पाँच माहिरों पर आधारित एक सलाहकार समिति होगी जो ज़रूरत पडऩे पर अथॉरिटी को उसके कामकाज में सहायता मुहैया कराएगी।
राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक चयन समिति का गठन किया जायेगा जिसमें कम-से -कम दो और मैंबर भी होंगे। यह समिति अथॉरिटी के चेयरपर्सन और सदस्यों के नामों की सिफ़ारिश करेगी। चेयरपर्सन या अन्य सदस्यों का कार्यकाल निश्चित होगा परन्तु यह एक समय पर ओहदा संभालने से लेकर पाँच साल से अधिक नहीं होगा और कोई भी व्यक्ति चेयरपर्सन या अन्य मैंबर के तौर पर दोहरे कार्यकाल से अधिक समय ओहदा नहीं संभाल सकेगा। इस कानूनी प्रारूप के मुताबिक राज्य सरकार सेवा निभा रहे या सेवा-मुक्त हो चुके अधिकारी, जो पंजाब सरकार के विशेष सचिव या इससे अधिक ओहदे वाला हो, को अथॉरिटी का सचिव नियुक्त कर सकती है जिसका कार्यकाल तीन साल होगा और इसको और दो साल बढ़ाया जा सकेगा।
इसके मुताबिक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में और जल स्रोत मंत्री, स्थानीय निकाय मंत्री, जल सप्लाई और सेनिटेशन मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, वित्त मंत्री, उद्योग मंत्री और ऊर्जा मंत्री पर आधारित जल प्रबंधन और विकास के लिए प्रांतीय कौंसिल का गठन किये जाने को प्रस्तावित करता है। यह कौंसिल प्रांतीय जल योजना, जो हरेक ब्लॉक के लिए साझी जल योजनाओं पर आधारित होगी, को मंज़ूरी देने का काम करेगी। यह कौंसिल प्रांतीय जल नीति और राज्य में पानी के प्रयोग और पुन: प्रयोग से सम्बन्धित अन्य सभी नीतियों को मंज़ूरी देगी। प्रस्तावित रैगूलेटर अथॉरिटी प्रांतीय जल योजना को अमल में लाने के लिए जि़म्मेदार होगी।
जल स्त्रोतों के लिए एक सलाहकारी समिति का गठन भी किया जायेगा जिसका नेतृत्व सरकार की तरफ से नोटीफायी चेयरपर्सन द्वारा किया जायेगा। समिति के पाँच मैंबर भी होंगे जिनकी जलविज्ञान, वातावरण, जल स्रोत, कृषि, प्रबंधन और अर्थ शास्त्र के क्षेत्र में महारत होगी। समिति के 10 मैंबर अलग-अलग सरकारी विभागों से लिए जाएंगे। अथॉरिटी आम लोगों और पानी के खपतकारों के लिए जारी की जाने वाली नीति और नियमित हिदायतों सम्बन्धी मुख्य सवालों संबंधी समिति के साथ परामर्श करेगी। जल स्रोत मंत्री सुखविन्दर सिंह सरकारिया जिनका विभाग आर्डीनैंस के लिए नोडल विभाग है, ने कहा कि प्रस्तावित रेगुलेटरी अथॉरिटी को बहुत गहरे विचार -विमर्श के उपरांत सभ्यक ढंग से तैयार किया गया है।
इस अथॉरिटी को जहाँ कामकाजी आत्मनिर्भरता का ढांचा प्रदान किया गया है, वहीं साथ ही इसको विशाल नीति तैयार करने के समय राज्य सरकार की भूमिका को दरकिनार करने से भी सीमित किया गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस सरकार जल साधनों के सीमित होने को बचाने के लिए पूर्ण तौर पर वचनबद्ध है और पानी के प्रयोग और पुन: प्रयोग में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं।