प्रशासनिक विभागों की 1625 करोड़ रुपए की बजट कटौतियों को मंजूरी, विभागों को सोसाइटियों का पैसा खज़ाने में जमा करवाने के लिए भी कहा
मुख्यमंत्री द्वारा स्वास्थ्य और मैडीकल शिक्षा विभागों की जरूरतें पूरी करने पर ज़ोर
लोगों को अनिश्चित समय के लिए लॉकडाउन में नहीं रखा जा सकता – मुख्यमंत्री
चंडीगढ़, 21 अप्रैल: केंद्र सरकार से किसी मदद की अनुपस्थिति में कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई के खर्चों की पूर्ति के लिए पंजाब सरकार ने आज सभी सरकारी विभागों के तेल उत्पादों के खर्चों में 25 प्रतिशत की कटौती करने समेत कई खर्चे घटाने का ऐलान किया है। कोविड-19 के विरुद्ध जंग में सीधे तौर पर शामिल स्वास्थ्य, मैडीकल शिक्षा, पुलिस, खाद्य और कृषि विभाग इसके दायरे में नहीं आएंगे। यह कटौती उस समय तक लागू रहेगी, जब तक वित्त विभाग वाहनों के अधिकारों, व्हीकल मॉडल और पेट्रोल / डीजल की सीमा संबंधी समीक्षा करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को विचार करने के लिए फिर से नहीं सौंपता।
यह फैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में वित्त संबंधी सब-कमेटी की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई मीटिंग के दौरान लिया गया। कमेटी ने मौजूदा स्थिति में से बाहर निकलने की जरूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि राज्य को अनिश्चित समय के लिए लॉकडाउन में नहीं रखा जा सकता। इस संबंधी रणनीति तैयार करने में जुटी माहिरों की 20-सदस्यीय समिति की रिपोर्ट अगले हफ्ते आने की संभावना है। सभी राजस्व प्राप्तियों में बड़ी कमी आने के कारण राज्य में नाजुक वित्तीय स्थिति संबंधी वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल द्वारा जाहिर की गई गंभीर चिंताओं के मद्देनजर मीटिंग ने फैसला किया कि अंतरिम कदम के तौर पर सख्त फैसले लेने की जरूरत है जिससे राज्य को इस कठिन समय पर काबू पाने में मदद मिल सके।
मीटिंग में यह भी फैसला लिया गया कि उन व्यक्तियों जिनके पास न तो कोई सार्वजनिक पद है और न ही पहले कोई सार्वजनिक पद संभाला हो, की सुरक्षा संबंधी नियमों और खर्चों संबंधी 15 मई तक समीक्षा की जाये जिससे इन पर संभावित खर्चों की कटौती संबंधी कोई फैसला लिया जा सके। गौरतलब है कि राज्य में मुख्यमंत्री समेत कई सुरक्षाप्राप्त व्यक्तियों के सुरक्षा अमले में पहले ही कटौती करते हुए उस फोर्स को कफ्र्यू प्रबंधन के अति जरुरी काम और कोविड राहत ड्यूटियों पर तैनात कर दिया गया था। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में अति आवश्यक राजस्व को जुटाने के लिए एक और कदम उठाते हुए राज्य के सभी प्रशासनिक विभागों को उनके अधीन सोसायटियों के पास मौजूद धनराशि में से सोसाइटियों के दो महीनों के चलाने और रख-रखाव (ओ. एंड एम.) के खर्चों को रखकर बाकी राशि को 30 अप्रैल तक राज्य के खज़ाने में जमा करवाने के लिए कहा है।
विभिन्न विभागों में 40 के करीब ऐसी सोसाइटियां काम कर रही हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंस ने विभिन्न प्रशासनिक विभागों द्वारा दिए गए सुझाव पर बजट में 1625.87 करोड़ रुपए की कटौती को भी मंजूर कर लिया। इस संबंधी जून 2020 में दोबारा समीक्षा भी होगी। मीटिंग में मुख्यमंत्री के उस घोषणा को भी औपचारिक मंजूरी दे दी गई जिसमें उन्होंने ड्यूटी दौरान कोविड-19 से राज्य सरकार के किसी भी सरकारी कर्मचारी की मौत होने की सूरत में उसके आश्रित या कानूनी वारिस को 50 लाख रुपए की एक्स ग्रेशिया अनुदान देने का फैसला किया था।
इसी दौरान मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को कहा कि वह कोविड से सम्बन्धित खर्चों संबंधी व्यापक बजट तैयार करे। यह भी फैसला किया गया कि वित्त विभाग स्वास्थ्य एवं मैडीकल शिक्षा विभागों और राहत व पुनर्वास विभाग की जरूरतें पूरी करने के बाद 30 जून 2020 तक के पक्के खर्चे मुहैया करवाएगा और जून के पहले हफ्ते में राज्य की वित्तीय हालत संबंधी दोबारा समीक्षा की जायेगी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य सरकार के पास मौजूद टेस्टिंग किटों की अपर्याप्त संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए विभागों को टैस्टों की संख्या बढ़ाने के लिए तरीके ढूँढने के लिए कहा। खरीद प्रक्रिया निर्विघ्न और सुचारू ढंग से जारी रखने और किसानों को बिना किसी देरी के अदायगी यकीनी बनाने के लिए यह फैसला लिया गया कि खाद्य, सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मामले विभाग खरीफ सीजन 2020-21 की शुरुआत से पहले लागत शीट के विभिन्न भागों से जुड़े मुद्दों के हल के लिए यह मामला भारत सरकार आगे रखेगा, जिससे राज्य में सी.सी.एल. का कोई अंतर न रहे।
यह फैसला लिया गया कि खाद्य एवं सिविल सप्लाई और कृषि विभाग गेहूँ की कोविड मुक्त निर्विघ्न खरीद को यकीनी बनाने के लिए हर संभव उपाय करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान गेहूँ के फसलीय अवशेष जलाने के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री ने गेहूँ के फसलीय अवशेष को जलाने से रोकने के लिए सभी मंत्रियों को इस सम्बन्धी राज्य सरकार की हिदायतों को सख्ती से लागू करने की हिदायतें दीं। मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग को यह भी हिदायत की कि वह कोविड-19 के कारण हुए नुकसान के मुआवजे के लिए भारत सरकार को एक व्यापक मैमोरेंडम तैयार करके भेजे। यह फैसला लिया गया कि अगर राज्य को हुए पूरे नुकसान का तुरंत मुल्यांकन करना संभव नहीं है तो 30 जून 2020 तक खत्म होने वाली पहली तिमाही के लिए राज्य के राजस्व के नुक्सान के मुआवजे और राहत व पुनर्वास की अन्य जरूरतों की माँग करते हुए एक अंतरिम मैमोरेंडम केंद्र सरकार को सौंपा जा सकता है। इसके बाद जून 2020 के अंत तक एक मुकम्मल अंतिम मैमोरेंडम भारत सरकार को भेजा जायेगा।