अच्छी तरह पैक की गई मृतक देंह से किसी प्रकार कोई खतरा नही
मनन सैनी
गुरदासपुर। विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस की दहशत से लोग बेहद खौफजदा है। जागरुकता न होने के चलते लोग कोविड़ संक्रमित मरीज के अंतिम संस्कार अपने इलाके में करने से कतराने लगे है। हालाकि केंद्र तथा राज्य सरकार भी इस संबंधी गाईडलाईन जारी कर चुकी है। परन्तु लोगों के दिमाग में बिमारी फैलने का खौफ फैल चुका है।
ऐसा ही कुछ खौफ तथा डर गुरदासपुर के लोगो में भी देखने को मिला जब गुरदासपुर में किसी ने अफवाह फैला दी कि गांव भैणी पसवाल के कोविड़-19 संक्रमित मरीज का अंतिम संस्कार प्रशासन शहर के एक शमशान घाट पर करवाने जा रहा है।
अफवाहों को आग पकड़ते देर न लगी तथा उक्त मोहल्ले के लोगो ने शमशान घाट में संस्कार न होने देने की बात करते हुए इसका खुद ही विरोध करना शुरु कर दिया। हालाकि प्रशासन तथा स्वस्थ्य मंत्रालय की निर्देश अनुसार कोविड़-19 संक्रमित मरीज का संस्कार उसके घर के पास ही किया जाना निर्धारित किया गया है तथा मृतक का संस्कार भी उसके गांव भैणी पसवाल में ही किया जाएगा।
परन्तु गुरदासपुर के लोगो की ऐसी बेरुखी कई सवाल खड़े करती है। क्या कल को गुरदासपुर शहर के ही कोई संक्रमित मरीज का देहांत हो जाता है तो क्या लोग उसके अपने शहर में उसका संस्कार नही करने देगें?
लोगो के अंदर ऐसे ही कई उठ रहे सवालों, अफवाहों, डर पर विरामचिंह लगाने के लिए गुरदासपुर के डिप्टी कमिशनर मोहम्मद इश्फाक से विशेश बातचीत की गई ।
जिसमें डिप्टी कमिशनर मोहम्मद इश्फाक ने बताया कि लोग अफवाहों पर बिलकुल भी ध्यान न दें तथा डर को दिल से निकाल दें। उन्होने कहा कि पूरी एहतीयात तथा निर्धारित गाईडलाईन के अनुसार संक्रमण नही फैलता और परिवार तथा अन्य लोग सुरक्षित रहते है क्योंकि मृतक की देह पूरी तरह पैंक की गई होती है जिससे संक्रमण फैल नही सकता ।
डीसी ने बताया कि गाईडलांइन के अनुसार, कोरोना वायरस के चलते मरीज की मौत होने के बाद उसका अंतिम संस्कार उसके आसपास के क्षेत्र में ही करना होगा। परिजन अपने संबंधी की मौत के बाद केवल एक बार मृतक का चेहरा देख सकते हैं। मंत्रालय ने अंतिम रस्म के समय भी कम से कम लोगों को आने की सलाह दी है।
अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाने में स्टाफ के कर्मचारियों को सुरक्षा के सभी मानकों का पालना करने के निर्देश दिए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि, कोरोना से संक्रमित यदि कोई मरीज की मृत्यु होती है तो उसके शरीर पर इम्बाबिंग (एक लेप जिससे की शव काफी समय तक सुरक्षित रहता है) नहीं किया जाएगा।
डिप्टी कमिशनर मोहम्मद इश्फाक ने बताया कि बिमारी किसी को भी हो सकती है। गाईडलाईंज का ठीक से पालन करने पर संक्रमण होने का खतरा नही रहता। उन्होने लोगो से अपील करते हुए कहा कि हम उस समाज में रहते है जहां दुख और सुख सबके लिए एक समान है। बिमारी किसी को बता कर नही आती। परन्तु हमें उक्त बिमारी से लड़ रहे मरीजों के परिजनों का साथ देना चाहिए। इससे बिमारी नही बलकि प्यार बढ़ता है।
भारत सरकार के स्वस्थ्य मंत्रालय की ओर से संस्कार संबंधी गाईडलाईन
1-शव को सिर्फ एक बार परिजनों को देखने की इजाजत होगी।
2. यदि कोई धार्मिक रीति रिवाज है तो उसे किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए शव को जिस बैग में रखा गया है उसे खोला नहीं जाएगा।
3. शव को स्नान कराने, गले लगाने (किस करने) की मनाही है।
4. शव यात्रा में शामिल लोग अंतिम क्रिया के बाद सभी पूरी तरह से हाथ-मुंह को साफ करेंगे और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें।
5. शव को जलाने के बाद राख को नदी में प्रवाहित कर सकते हैं। इससे कोई खतरा नहीं हैं। जलने के बाद किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है।
6. जितना हो सके कम से कम संख्या में लोग शवयात्रा में जाएं।
7. अस्पताल से शव को खास तरह के बॉडी बैग में ले जाया जाए।
8. जो कोई भी शव लेकर चले वह सर्जिकल मास्क, ग्लब और जरूरी कपड़े बिना पहने नहीं आए।
9. शव यात्रा में शामिल गाड़ी को भी बाद में सेनेटाइज किया जाए।