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सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए घरों में किताबें पहुंचाए शिक्षा विभाग-आप

सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए घरों में किताबें पहुंचाए शिक्षा विभाग-आप
  • PublishedApril 15, 2020

विधायक प्रिंसीपल बुद्धराम, सरबजीत कौर माणूंके, मास्टर बलदेव सिंह और प्रो. साधु सिंह ने मुख्यमंत्री के दखल की मांग की

चण्डीगढ़ 15 अप्रैल। आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने कोरोनावायरस के कारण लगे कफ्र्यू (लॉकडाउन) के दौरान सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई के प्रति चिंता जाहिर करते हुए कांग्रेस सरकार से मांग की है कि शिक्षा विभाग की तरफ से मुहैया की जाती किताबें हर विद्यार्थी के घर पहुंचाने का तुरंत बंदोबस्त किया जाए। 

‘आप’ हैडक्वाटर से जारी बयान में पार्टी की कोर समिति के चेयरमैन और विधायक प्रिंसीपल बुद्ध राम, प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्रीय और पूर्व संसद मैंबर प्रो.साधू सिंह, विधान सभा में उप नेता बीबी सरबजीत कौर माणूंके और विधायक मास्टर बलदेव सिंह ने कहा कि साल 2020-21 का नया शैक्षिक सैशन बीती 1 अप्रैल 2020 से शुरू हो चुका है। यदि हालात आम होते और कोरोनावायरस की आफत न आई होती तो सरकारी स्कूलों में पढ़ते बच्चों ने सरकार की तरफ से मुहैया की जाती किताबों के द्वारा निर्धारित सिलेबस पढऩा शुरू कर दिया होता, परंतु लॉकडाउन (कफ्र्यू) के कारण ऐसा न होने के कारण विद्यार्थिय खास करके सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई का भारी नुक्सान हो रहा है।

 प्रिंसीपल बुद्ध राम और प्रो. साधु सिंह ने कहा कि साल 2020-21 के लिए शिक्षा विभाग ने जो किताबें छपवाईं हैं, उनकी सम्बन्धित विद्यार्थियों के घर ‘होम डिलीवरी’ तुरंत की जाए, ताकि दलितों, गरीबों और आम ग्रामीण परिवारों के साथ सम्बन्धित यह विद्यार्थी घर बैठे-बैठे ही पढ़ाई के साथ जुड़ जाएं। 

बीबी सरबजीत कौर माणूंके ने कहा कि ज़्यादातर निजी स्कूलों ने अपने विद्यार्थियों को ई-मेलज़ और स्मार्ट फोनों के द्वारा ऑनलाइन सिलेबस भेज दिया है। एकत्रित जानकारी अनुसार काफी संजीदा और सचेत सरकारी स्कूल अध्यापकों ने वट्टसएप ग्रुप बना कर निजी स्कूलों जैसी कोशिश की, जिस को बाद में विभागीय तौर पर भी हौसला अफजाई मिली, परंतु जमीनी हकीकत ऐसी कोशिशों पर पानी फिर रही है, क्योंकि सरकारी स्कूलों के बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के परिवारों के पास स्मार्ट फोन ही नहीं हैं, जिन पर वट्टसऐप, ई-मेलज की सुविधा के द्वारा ऑनलाइन पाठ्यक्रम भेजा जा सके। इस लिए किताबों की होम डिलीवरी ही एक ही सार्थक हल है।

मास्टर बलदेव सिंह ने दलील दी कि यदि शिक्षा विभाग अपने अध्यापन स्टाफ के द्वारा सरकारी स्कूलों में पढ़ते बच्चों को मिड -डे -मील के अंतर्गत मामूली राशन भेजने का फैसला ले सकती है जिससे किताबें इस ढाई-तीन किलो राशन से कहीं ज़्यादा जरूरी है। 

Written By
The Punjab Wire