चंडीगढ़, 29 मार्च: कोविड -19 के संकट से निपटने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को शहरी इलाकों में तत्काल राहत देने के लिए 14वें वित्त आयोग की ग्रांटों के प्रयोग के लिए शर्तों में संशोधन करने की अपील की है। केंद्रीय वित्त मंत्री के निजी दख़ल की माँग करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने उनको सलाह दी कि आवास और शहरी मामलों और पंचायतें राज्य के मंत्रालयों को इस सम्बन्ध में तुरंत कार्यवाही करने की सलाह दी जिससे उपरोक्त ग्रांटें शहरी स्थानीय इकाईयाँ और पंचायकी राज्य संस्थाओं द्वारा फिट्ट चार्ज के तौर पर गरीब वर्गों के लिए आपातकालीन राहत (दवाएँ, भोजन आदि) बरतने का उपबंध किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड -19 की महामारी के मद्देनजऱ मुल्क में तालाबन्दी के कारण शहरों और गाँवों में लोगों को पेश आ रही मुश्किलों को घटाने के लिए शहरी इकाईयाँ और पंचायती संस्थाओं को 14वें वित्त आयोग के द्वारा प्राप्त ग्राटें बरतने की इजाज़त देनी चाहिए। एक पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार ने हाल ही में शहरी इलाकों में ज़रूरतमंदों की सहायता के लिए यह फंड बरतने के लिए शहरी स्थानीय इकाईयों को आज्ञा दी है। राज्य के केस की पैरवी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के स्रोतों पर बोझ और तनाव कम करने और ज़मीनी स्तर पर तुरंत अपेक्षित राहत प्रदान करने के लिए शहरी स्थानीय इकाईयाँ और पंचायतें दोनों को दवाएँ, खाद्य आदि पदार्थों के लिए एमरजैंसी राहत की आज्ञा देनी चाहिए।
केंद्रीय वित्त मंत्री को 28 मार्च, 2020 को लिखे अपने अर्ध-सरकारी पत्र को जारी करते हुए जिसमें वित्त मंत्रालय को विचार करने के लिए सुझाव दिए गए थे, कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे श्रीमती सीतारमन को कहा है कि यह ग्रांटें भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार इस्तेमाल की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा शहरी और ग्रामीण स्वै-सरकारी संस्थाओं के पास इस्तेमाल ना किए गए फंड पड़े हैं जिनको गरीबों, पीडि़तों और झौंपडिय़ाँ आदि स्थानों में रहने वाले लोगों और अन्यों के लिए भोजन, दवाएँ आदि की राहत के लिए तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि साधनों की किल्लत होने के कारण यह लोग कोविड -19 की महामारी के कारण पैदा हुए हालात से बुरी तरह प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि इनकी मुश्किलों को घटाने के लिए शहरी स्थानीय इकाईयाँ और पंचायतें स्थानीय स्वै-सरकारी संस्थाएं होने के नाते ज़मीनी स्तर पर प्रभावी योगदान डाल सकती हैं।