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सेवा, समर्पण, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है देश के जांबाज सैनिक-एसडीएम बल्ल

सेवा, समर्पण, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है देश के जांबाज सैनिक-एसडीएम बल्ल
  • PublishedMarch 4, 2020

शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा की शहादत को सैंकड़ों ने किया नमन

गुरदासपुर 4 मार्च । भारतीय वायुसेना की नंबर तीन पंजाब एयर स्क्वार्डन एनसीसी विंग पटियाला युनिट के ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा की अंतिम अरदास व श्रदांजलि गांव आलोवाल के गुरुद्वारा साहिब में आयोजित की गई। ग्रुप कैप्टन दस दिन पहले एनसीसी कैडेट को जहाज उड़ाने दे रहे थे कि उनका एयर क्राफ्ट उड़ान बढ़ते ही क्रैश हो गया तथा उन्होने साथ बैठे एनसीसी कैडेटों को बचाते हुए अपना बलिदान दे दिया। उनकी अंतिम अरदास व श्रद्धांजलि गांव आलोवाल के गुरुद्वारा साहिब में आयोजित किया गया।

 जिसमें एसडीएम गुरदासपुर सकत्तर सिंह बल्ल विशेष तौर पर शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता सरबजीत कौर, पत्नी नवदीप कौर, बेटी कुंजदीप, बेटा भवगुरनीत सिंह, भाई गुरजीत सिंह चीमा व गुरदीप सिंह चीमा, बहन गुरनीत कौर, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल, अपना पंजाब पार्टी के प्रधान सुच्चा सिंह छोटेपुर, एसडीएम दिबड़़ा, मनजीत सिंह चीमा, भाजपा के जिला प्रधान परमिंदर सिंह गिल, शहीद की युनिट के कैप्टन एमएस चाहल, एनसीसी विंग अमृतसर के ग्रुप कैप्टन ललित भारद्वाज, टकसाली नेता जगरुप सिंह सेखवां, एसएस बोर्ड के सदस्य भुपिंदर सिंह बिट्टी, मार्किट कमेटी के पूर्व चेयरमैन वजीर सिंह लाली आदि ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। सर्वप्रथम श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के रखे अखंड पाठ का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा वैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया। 

समारोह को संबोधित करते हुए एसडीएम सकत्तर सिंह बल्ल ने कहा कि सेवा, समर्पण, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है देश के जांबाज सैनिक, जो राष्ट्रहित में अपनी डयूटी को प्राथमिकता देते हुए अपना बलिदान देकर देशवासियों को यह संदेश दे जाते है कि एक सैनिक के लिए देशहित सर्वोपरि होता है। उन्होंने कहा कि ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा एक बहादुर पायलट थे। जो अपना सैन्य धर्म निभाते हुए अपना बलिदान दे गए। ऐसे बहादुर अफसर का जाना देश व वायुसेना के लिए अत्यंत दुखदायी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन इस दुख की घड़ी में शहीद परिवार के साथ खड़ा है तथा पंजाब सरकार की ओर से शहीद परिवार को हर संभव सहायता शीघ्र उपलब्ध करवाई जाएगी।

परिवारिक संस्कारों से ही पैदा होता है शहादत का जज्बा-कुंवर विक्की

परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर विक्की ने कहा कि शहीदों के परिवार आम नहीं, बल्कि सारे राष्ट्र के परिवार होते है तथा परिवारिक संस्कारों से ही शहादत का जज्बा पैदा होता है। उ्न्होंने कहा कि मैं शहीद की बेटी कुंजदीप कौर व बेटे भवगुरनीत सिंह को नमन करते है, जो पिता को कुर्बान करने के बाद भी उनके सपनों को साकार करने हेतु प्रयासरत है। ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा अपने गांव की जड़ों से जुड़े हुए थे तथा हर जरुरतमंद की सहायता करते थे। आज अपना बलिदान देकर उन्होंने गांव आलोवाल का नाम सारे देश में रोशन कर दिया है।

पावन है वो भूमि जहां होता है शहीदों का जन्म-मा. मोहन लाल

पूर्व मंत्री मा. मोहन लाल ने कहा कि वह इस गांव की बलिदानी मिट्टी को शत-शत नमन करते है।जिसने ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा जैसे शूरवीर को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि सैंकड़ो लोग रोज मरते है। उन्हें कोई याद नहीं करता। लेकिन एक शहीद की मौत पर देवता भी फूल अर्पित करते है। 

राष्ट्रहित में प्राणों की आहुति देने वाले हो जाते है अमर-छोटेपुर

सुच्चा सिंह छोटेपुर ने कहा कि मौत एक अटल सच्चाई है। मगर समाज सेवा, परोपकार व राष्ट्रहित में प्राणों की आहुति देने वाले मरते नहीं, बल्कि अमर हो जाते है। ऐसे वीरों की शहादत का मोल कोई भी शासन व प्रशासन चुका नहीं सकता। लेकिन इनके परिजनों को उचित सम्मान देकर हम इनके लाडलों की शहादत की गरिमा को बहाल रख सकते हैं।

एसडीएम की कविता सुन हर आंख हुई नम-

दिबड़ा के एसडीएम व शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा के दोस्त मनजीत सिंह चीमा ने जब अपनी पत्नी द्वारा अपने शहीद दोस्त के लिए लिखी गई कविता सुनाई तो श्रद्धांजलि समारोह में हर आंख नम हो उठी। उन्होंने नम आंखों से बताया कि ग्रुप कैप्टन के शहीद होने से आज वो यह महसूस कर रहे है कि उनके शरीर का एक हिस्सा उनसे युदा हो गया है। उन्होंने कहा कि बेशक उनका ग्रुप कैप्टन चीमा के साथ खून का रिश्ता नहीं। मगर उन्होंने मेरे साथ जो रिश्ता बनाया, वो खून के रिश्तों से कहीं ऊपर है। इस अवसर पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने शहीद परिवार को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर सांसद सन्नी देयोल का भेजा गया शोक प्रस्ताव भी पढ़ा गया। इस अवसर पर सैनिक स्कूल कपूरथला से पढ़े 250 के करीब ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा के सहपाठी व उन्हें पढ़ाने वाले तीन अध्यापक एसएस आहलूवालिया, जगदीश सिंह व मलकिंदर सिंह आदि विशेष तौर पर शामिल हुए। 

ये रहे उपस्थित-

संत बाबा हरपिंदर सिंह, कंवलप्रीत सिंह काकी, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, शहीद सिपाही मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्तरी, शहीद सिपाही रंधीर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह, कर्नल भुपिंदर सिंह, वारंट अफसर सतवीर सिंह, जूनियर वारंट अफसर पीके सेठी, सार्जेंट गुरप्रीत सिंह, स्वर्णजीत सिंह चीमा, हरविंदर सिंह, कर्मजीत सिंह, सरपंच मनजीत सिंह, कुलबीर सिंह रियाड़, अजैब सिंह, अमनदीप सिंह, बाबा जगजीत सिंह, बरिंदर सिंह छोटेपुर आदि उपस्थित थे।

Written By
The Punjab Wire