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नौजवानों के लिए रोजग़ार के मौके पैदा करने के लिए मुलाजि़मों के सेवाकाल में इछुक्क वृद्धि को ख़त्म करने का फैसला

नौजवानों के लिए रोजग़ार के मौके पैदा करने के लिए मुलाजि़मों के सेवाकाल में इछुक्क वृद्धि को ख़त्म करने का फैसला
  • PublishedMarch 2, 2020

मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को अपने विभागों में भ्रष्ट और निकम्मे मुलाजि़मों की पहचान करने कर छंटनी करने के लिए कहा

चंडीगढ़, 2 मार्च :बजट पेश करने के मौके पर मुलाजि़मों के लिए पहले वाली सेवामुक्ति उम्र लागू करने के ऐलान के बाद पंजाब सरकार ने राज्य के नौजवानों के लिए रोजग़ार के मौके पैदा करने के लिए सेवामुक्ति के बाद मुलाजि़मों को दिए जाने वाले इछुक्क (ऑपशनल) वृद्धि की नीति को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन पंजाब मंत्रीमंडल ने सोमवार को अपेक्षित नीति बदलने के लिए पंजाब सिविल सर्विसज़ रूल्ज में संशोधन को मंज़ूरी दे दी जैसे कि वित्त मंत्री ने 28 फरवरी, 2020 को बजट भाषण के दौरान ऐलान किया था।कैबिनेट मीटिंग में मुख्यमंत्री ने सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए मंत्रियों को अपने-अपने विभागों में भ्रष्ट और निकम्मे मुलाजि़मों की पहचान करके उनकी छंटनी करने के लिए कहा।

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सेवामुक्ति की उम्र घटाने के फ़ैसले को लागू करने के लिए पंजाब सिविल सर्विसज़ रूल्ज़ खंड 1 भाग 1 के सम्बन्धित नियम 3.26 (ए) में संशोधन करने की ज़रूरत है।इस फ़ैसले से जो मुलाजि़म मौजूदा समय में इछुक्क वृद्धि के दूसरे साल में हैं या फिर उनकी उम्र 59 या 61 साल की है। इसके अलावा जिन मुलाजि़मों का दूसरा इछुक्क वृद्धि पहली अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली थी, वह सभी 31 मार्च 2020 को सेवामुक्त होंगे।इसी तरह जिन मुलाजि़मों का पहले साल की इछुक्क वृद्धि चल रही है या फिर उनकी उम्र 58 या 60 साल की है।

इसके अलावा जिन मुलाजि़मों की पहली इछुक्क वृद्धि अंतराल के समय में शुरू होना था, वह सभी 30 सितम्बर, 2020 को सेवामुक्त होंगे।गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा संशोधित हुए 3.26 नियम से सभी वर्गों के मुलाजि़मों को 60 या 62 साल तक सेवाकाल में वृद्धि की आज्ञा दी थी। इससे सरकार को भर्ती करन में आसानी हुई थी जिससे विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की कमी को पूरा किया जा सके। अब क्योंकि स्टाफ की कमी को काफ़ी हद तक पूरा कर लिया गया है, इसलिए सेवाकाल में इछुक्क वृद्धि को जारी रखना तर्कसंगत नहीं।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि सेवाकाल में वृद्धि से फीडर काडर के मुलाजि़मों की पदोन्नति की संभावनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा था जिसको लेकर मुलाजि़मों में रोष था। यह एक और कारण था जिस कारण इछुक्क वृद्धि की नीति को ख़त्म करने का फ़ैसला किया।यह भी महसूस किया गया है कि मौजूदा समय में बेरोजग़ारी को देखते हुए राज्य में सरकार और सरकार के बाहर नौजवानों के लिए रोजग़ार के मौके पैदा किये जाएँ। सेवाकाल में वृद्धि की नीति मौजूदा समय के हालात की ज़रूरतों के उलट थी। इसके अलावा राज्य निवासियों की नागरिक सुविधाएं हासिल करने में बढ़तीं उम्मीदों को देखते हुए नये नौजवानों को सरकार का हिस्सा बनाने की ज़रूरत है जो ताज़ातरीन विचारों वाले हैं।

इसीलिए इछुक्क वृद्धि की नीति ख़त्म की गई।कैबिनेट ने महसूस किया कि किसी भी हालत में यह नीति अस्थाई पड़ाव के लिए थी और इसको कभी भी पक्के तौर पर बनाने का उद्देश्य भी नहीं था। यही कारण था कि सम्बन्धित नियम में सेवामुक्ति की उम्र 58 या 60 साल रखी गई है। सेवाकाल में वृद्धि की व्यवस्था सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखते हुए सिफऱ् असाधारण हालातों में की गई थी।

Written By
The Punjab Wire