निजी नशा मुक्ति केंद्र फार्मास्यूटीकल कंपनियों से दवाओं की सीधी खऱीद हेतु अधिकारित हैं, इसलिए इस प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं
स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवाओं के ऑनलाइन और ऑफ़लाईन रिकार्ड के फर्क को स्वयं नोटिस किया गया, न कि किसी अन्य एजेंसी के द्वारा
ऑनलाईन और ऑफ़लाईन रिकार्ड के विस्तृत आडिट करने के उपरांत दोषी केन्द्रों के खि़लाफ़ कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जायेगी
चंडीगढ़, 29 फरवरी: मजीठिया के दोषों को बेबुनियाद और झूठा करार देते हुये स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि पवित्र विधान सभा के सदन में बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा लगाए गए निराधार दोषों के लिए वह मजीठिया के खि़लाफ़ मानहानि का केस दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सब जानते हैं कि बिक्रम सिंह, जो 10 सालों के लिए पंजाब में चिट्टे का ब्रांड अम्बैसडर रहा है, के सम्बन्ध ड्रग माफिया के मुख्य केंद्र जगदीश भोले के साथ रहे हैं, इसलिए बिक्रम सिंह को कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्रियों पर तथ्य-रहित दोष लगाने से पहले अपना आत्म-मंथन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मजीठिया के इशारों पर मेरे अक्स को खऱाब करने की कोशिश कर रहे मोहाली के शिरोमणि अकाली दल से सम्बन्धित कौंसलरों के खि़लाफ़ भी वह मानहानि का मामला दायर करेंगे। इस संबंधी मंत्री की ओर से बकायदा ब्यान जारी किया गया।
स. बलबीर सिंह सिद्धू ने स्पष्ट करते हुये बताया कि निजी नशा मुक्ति केंद्र सीधे तौर पर फार्मास्यूटीकल कंपनियों से दवाएँ खरीदने के अधिकारित हैं, इसलिए इस प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं है। जो ऑनलाइन और ऑफ़लाईन दवाओं के रिकॉर्ड को नोटिस किया गया है वह भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वयं आप ही किया गया है न कि किसी अन्य एजेंसी के द्वारा। जिसके उपरांत ऑनलाइन पोर्टल में 100 प्रतिशत डाटा एंट्री को यकीनी बनाने के लिए इन केन्द्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गए। उन्होंने कहा कि विधानकार होते हुये मेरी सबसे पहली जि़म्मेदारी बनती है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर अधीन आते सभी क्षेत्रों को इंसाफ़ दूँ।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रमुख सचिव अनुराग अग्रवाल को सभी निजी नशा मुक्ति केन्द्रों का विस्तार से ऑडिट करने के लिए कहा है चाहे उनको कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है या नहीं क्योंकि इनकी एसोसिएशन द्वारा मामला उठाया गया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नोटिस जारी करते हुए भेदभाव की नीति अपनाई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ऑडिट करते हुए यह यकीनी बनाया जाये कि इन केन्द्रों में रजिस्टर हुए 2.5 लाख मरीज़ों का इलाज प्रभावित न हो। उन्होंने हिदायत की कि किसी भी मरीज़ की पहचान को किसी भी कीमत पर उजागर न किया जाये क्योंकि स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसीजर के अधीन यह जानकारी गुप्त रखना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति प्रोग्राम के अधीन हर एक मरीज़ महत्वपूर्ण है और 3 सालों के दौरान पंजाब सरकार की अथक और दृढ़ कोशिशों के कारण ही लाखों की संख्या में स्वैइच्छा से नौजवान इन केन्द्रों में पहुँच रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि सामाजिक स्तर पर बदनामी से बचने के लिए ज़्यादातर माता पिता अपने बच्चों की पहचान को छिपाने के लिए निजी केन्द्रों में इलाज करवाने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि माँ-बाप के सहयोग से पंजाब सरकार मार्च में इलाज छोड़ चुके मरीज़ों को जि़ंदगी पुन: राह पर लाने के लिए मुहिम शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि निजी नशा मुक्ति केन्द्रों में इलाज करवा रहे 2.5 लाख मरीज़ों के अलावा लगभग 1,15,457 मरीज़ ओट क्लिनिकों में और 46,472 मरीज़ सरकारी नशा मुक्ति केन्द्रों में रजिस्टर होकर इलाज करवा रहे हैं।
शिरोमणि अकाली दल पर बरसते हुये उन्होंने आगे कहा कि पिछली सरकार अवैध दवाओं और घातक नशों की सप्लाई को तोडऩे और मरीज़ों को इलाज मुहैया करवाने में पूरी तरह असफल साबित हुई परन्तु अब यह इस मामले का सियासीकरण करके लोगों का ध्यान एक तरफ़ करने की कोशिश कर रहे हैं।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सरकारी और निजी केन्द्रों पर पैनी नजऱ रखने के लिए पंजाब सरकार की तरफ से केन्द्रों को दवाओं की खऱीद और वितरण को ऑनलाइन और ऑफ़लाईन रिकॉर्ड की जानकारी फूड एंड ड्रग ऐडमिनस्ट्रेशन और जि़ला अथॉरिटी को देना लाजि़मी किया गया है। उन्होंने कहा कि इन हिदायतों का मुख्य मंतव्य घातक नशों का सेवन कर रहे मरीज़ों की जि़ंदगी को बचाना है और इन नशों की आदत से पीडि़त मरीज़ों को ठीक करके समाज की मुख्य धारा में वापस लाना है। उन्होंने कहा कि निजी केन्द्रों में पहुँच रहे हर नये मरीज़ को केंद्रीय पोर्टल पर रजिस्टर्ड करना ज़रूरी है और जिसके उपरांत उनको एक यू.आई.डी. नंबर जारी किया जाता है। इनका आधार कार्ड या मोबायल नंबर यू.आई.डी. नंबर के साथ लिंक भी किया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह इस प्रोग्राम की निगरानी निजी तौर पर कर रहे हैं और नशा मुक्ति केन्द्रों के ऑनलाइन और ऑफ़लाईन रिकॉर्ड की समीक्षा करने उपरांत जहाँ भी किसी किस्म की कमी पाई गई तो कानून के अंतर्गत इनके खि़लाफ़ बनती कार्यवाही यकीनी तौर पर अमल में लाई जायेगी।