कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सरहदी और कंडी क्षेत्र के सर्वपक्षीय विकास के लिए 125 करोड़ रुपए मंज़ूर किए
कंडी नहर की रीलाईनिंग के लिए सुझाव लेने के लिए कमेटी बनाने को भी दी मंजूरी
चंडीगढ़, 17 फरवरी:राज्य में कंडी और सरहदी क्षेत्र के संपूर्ण विकास को यकीनी बनाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को साल 2019-20 के लिए 125 करोड़ रुपए के विभिन्न प्रोजैक्टों और स्कीमों को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने इन विकास प्रोजैक्टों और स्कीमों को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों और मापदण्डों को भी मंज़ूर किया।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता अधीन सरहदी और कंडी क्षेत्र विकास बोर्ड की हुई पहली मीटिंग के उपरांत सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि मंज़ूर की गई कुल राशि में से 100 करोड़ रुपए सरहदी क्षेत्र और 25 करोड़ रुपए कंडी क्षेत्र के सर्वपक्षीय विकास के लिए खर्च किए जाएंगे। यह राशि मौजूदा समय में इन क्षेत्रों में चल रही स्कीमों और प्रोग्रामों से अलग है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मीटिंग में यह भी फ़ैसला किया कि जारी किये गए फंडों में से 75 प्रतिशत हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा, जल सप्लाई और सेनिटेशन जैसे तरजीही क्षेत्रों पर खर्चा जायेगा जबकि बाकी बचते 25 प्रतिशत फंड अन्य क्षेत्रों में खर्च किए जाएंगे जिनमें बुनियादी ढांचा, कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायतें और स्थानीय निकाय आदि शामिल हैं।
श्री आनंदपुर साहिब से लोकसभा मैंबर मनीष तिवारी द्वारा कंडी नहर की रीलाईनिंग का मुद्दा उठाए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को कहा कि वह श्री आनंदपुर साहिब के लोकसभा मैंबर, बलाचौर के विधायक, जल स्रोत विभाग के इंजीनियरों और नहर के डिज़ाइन और प्रबंधन के साथ जुड़े माहिरों को लेकर कमेटी बनाएं जो नहर के निर्माण में तकनीकी ख़ामियों को सुधारने के तरीके और सुझाव देंगे जिससे सर्वोत्तम सिंचाई के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने बोर्ड के सदस्यों को यह विश्वास दिलाया कि फंडों की कमी से इन मुश्किल क्षेत्रों के विकास की रफ़्तार को कम नहीं होने दिया जायेगा जहाँ लोगों को कई प्रकार की मुश्किलों जैसे कि पेयजल की समस्या, सिंचाई के कम साधन और बुरे सडक़ीय नैटवर्क आदि के साथ जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड को बनाने का पहला उद्देश्य ही इन क्षेत्रों की मुश्किलों की पहचान करके उनको पहल के आधार पर हल करना है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि फंड जारी होने से इन क्षेत्रों में लोगों को मिलने वाली स्वास्थ्य, शिक्षा, जल सप्लाई और सेनिटेशन आदि की बुनियादी सहूलतों में और विस्तार हो जायेगा जिससे उनका जीवन स्तर और सुधरेगा।बोर्ड के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों के जवाब में मुख्यमंत्री ने विकास प्रोजैक्टों की गुणवत्ता की परख के लिए तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट करवाने की भी सहमति दी।
उन्होंने ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा को भी हिदायत की कि इन क्षेत्रों में विकास प्रोजैक्टों की गुणवत्ता की परख किसी ऐसी एजेंसी द्वारा प्रभावशाली ढंग से करवाएं जो ऐसे प्रोजैक्टों में महारत, तजुर्बा और तकनीकी ज्ञान रखती हो।बोर्ड के सदस्यों की एक और माँग मानते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने योजना विभाग को कहा कि वह यह संभावना देखें कि बोर्ड मैंबर के तौर पर सम्बन्धित संसद सदस्यों और विधायकों का कार्यकाल तय किया जा सकता है बजाय कि रोटेशन की व्यवस्था अपनाई जाये जिससे इन क्षेत्रों में सर्वपक्षीय विकास को परिणाम मुखी और प्रभावशाली तरीके से यकीनी बनाया जाये।
मीटिंग में अन्यों के अलावा स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्रा, सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा, जल सप्लाई और सेनिटेशन मंत्री रजि़या सुल्ताना, अमृतसर से लोकसभा मैंबर गुरजीत सिंह औजला, विधायक परमिन्दर सिंह पिंकी, दर्शन लाल मंगूपुर, हरप्रताप सिंह अजनाला और अमित विज्ज, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. सुच्चा सिंह गिल और जलालाबाद से अनीश कुमार सूदन (सभी बोर्ड मैंबर) उपस्थित थे।इसके अलावा मीटिंग में मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास विसवाजीत खन्ना, प्रमुख सचिव वित्त अनिरुद्ध तिवारी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, विशेष सचिव योजना डी.एस. मांगट भी उपस्थित थे।