एसएमओ डॉ. कमल किशोर अपनी ड्यूटी निभाने में रहे असफल उनको निलंबित किया
चंडीगढ़, 7 फरवरी: सिविल अस्पताल फगवाड़ा के ब्लड बैंक में एक नौजवान को अलग ब्लड ग्रुप का ख़ून देने और दो मरीजों को संक्रमित ख़ून देने सम्बन्धी हुई लापरवाही का गंभीर नोटिस लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने आज इस घटना की विस्तृत जांच करवाने और राज्य के सभी ब्लड बैंकों का तुरंत निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं।यह हुक्म फगवाड़ा में दो मरीजों को एचसीवी और एचबीएसएजी से संक्रमित ख़ून की दो ईकाईयांं दिए जाने सम्बन्धी मीडिया की रिपोर्टों के मद्देनजऱ जारी किया गया है।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार इस घटना के बाद फगवाड़ा के ब्लड बैंक को बंद कर दिया गया है और सम्बन्धित बीटीओ डॉ. हरदीप सिंह सेठी को निलंबित कर दिया गया है और एलटी रवि पॉल की सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं। उन्होंने आगे खुलासा किया कि एसएमओ डॉ. कमल किशोर को भी निलंबित कर दिया गया है और सिविल सर्जन कपूरथला को इस अपराधिक लापरवाही के लिए पुलिस विभाग के पास अपराधिक शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा गया है।
मुख्यमंत्री ने इस मामले पर गंभीर चिंता ज़ाहिर करते हुए स्वास्थ्य विभाग को सभी ब्लड बैंकों की तुरंत जांच करवाने के निर्देश दिए हैं जिससे ख़ून प्रबंधन के सही मापदण्डों के पालन को यकीनी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धी कोई भी ढील बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर कपूरथला जि़ले के सभी ब्लड बैंकों का अगले तीन दिनों के अंदर सिविल सर्जनों के नेतृत्व वाली डिस्ट्रिक्ट ब्लड ट्रांसफीऊजऩ कमेटी द्वारा निरीक्षण किया जायेगा। उन्होंने आगे कहा कि अन्य जांच प्रक्रियाओं के अलावा फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, पंजाब ब्लड एंड ट्रांसफीऊजऩ कमेटी की टीमों द्वारा अगले 15 दिनों में सभी सरकारी ब्लड बैंक का निरीक्षण और 31 मार्च तक सभी प्राईवेट ब्लड बैंकों का निरीक्षण किया जायेगा।यह भी देखा गया है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफीऊजऩ कमेटियां समय-समय पर ब्लड बैंक का निरीक्षण नहीं कर रहीं।
सिविल सर्जनों को अब समय-समय पर ब्लड बैंकों की जांच को यकीनी बनाने के लिए निर्देश दिए गए हैं जिससे मानक कार्यकारी प्रक्रियाओं का पालन किया जा सके और भविष्य में ऐसी गलतियाँ फिर न घटें। हरेक महीने इस सम्बन्धी एक रिपोर्ट पंजाब स्टेट ब्लड ट्रांसफीऊजऩ कौंसिल को भेजने सम्बन्धी भी मुख्यमंत्री द्वारा निर्देश दिए गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि फगवाड़ा में यह घटना 30 जनवरी को ड्रग इंस्पेक्टरों द्वारा ब्लड बैंक के साझे निरीक्षण के दौरान सामने आई। इस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए सिविल सर्जन कपूरथला द्वारा जांच और तथ्यों की पड़ताल के लिए तुरंत एक मैडीकल बोर्ड का गठन किया गया।जांच के दौरान सीएच फगवाड़ा के एसएमओ /ब्लड ट्रांसफ्यूजऩ अफ़सर /लैब टैक्नीशियन के बयानों के साथ-साथ रिकॉर्डों की पड़ताल करते समय पता चला कि ख़ून की जांच एलीसा और रैपिड टैस्ट के साथ की गई थी।
ब्लड यूनिट बैग नं. 179, 24 जनवरी, 2020 को एकत्रित किया गया और यूनिट नं. 2922 को 15 अक्तूबर, 2019 को एकत्रित किया गया था। इन ईकाईयों को एलीसा टेस्टिंग तकनीक के दौरान क्रियाशील पाया गया था। इसके बाद एलटी द्वारा किया रैपिड टैस्ट ग़ैर-क्रियाशील पाया गया। इस तरह रैपिड टैस्ट के बाद एलीसा टेस्टिंग करना स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया का उल्लंघन है, जिसकी पुष्टी करना बहुत संवेदनशील और लाजि़मी माना जाता है।
ख़ून का नमूना एलिसा के अनुसार क्रियाशील और रैपिड जाँच द्वारा ग़ैर-क्रियाशील पाए जाने पर भी ब्लड बैंक द्वारा मरीजों को ख़ून जारी किया गया जिसको सभी मानक ऑपरेटिंग प्रक्रियाओं के विरुद्ध पाया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि निरीक्षण के दौरान यह भी पता लगा कि एक मरीज़ जिसका ब्लड ग्रुप ओ पॉजि़टिव है, को बी पॉजि़टिव ख़ून चढ़ाया गया, जो मरीज़ की जान के लिए बड़ा ख़तरा था। जिससे नौजवान रोगी की हालत बिगड़ गई।
प्रवक्ता ने बताया कि नियमों के मुताबिक मरीज़ की देखभाल कर रहे एमओ और आगे एसएमओ की ड्यूटी थी कि वह इस घटना की जानकारी तुरंत उच्च अधिकारियों को दें। एसएमओ को ज़रूरी कार्यवाही करनी चाहिए थी और यह यकीनी बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए थे कि भविष्य में ऐसी घटना न घटे।
एसएमओ डॉ. कमल किशोर अपनी ड्यूटी निभाने में असफल रहे और उनको निलंबित कर दिया गया। प्रवक्ता ने कहा कि इस दौरान सिविल सर्जन कपूरथला को फगवाड़ा सिविल अस्पताल ब्लड बैंक में स्टाफ का वैकल्पिक प्रबंध करने की हिदायत की गई है और स्टाफ का प्रबंध होने के बाद फूड एंड ड्रग एडमिनस्ट्रेशन विभाग द्वारा ब्लड बैंक का निरीक्षण किया जायेगा। प्रवक्ता ने कहा कि यह निरीक्षण एक हफ्ते के अंदर पूरा हो जायेगा और यदि निरीक्षण के दौरान सब कुछ ठीक पाया गया तो ब्लड बैंक चालू कर दिया जायेगा।