प्रसिद्ध उपन्यासकार डा. जसवंत सिंह कंवल का हुआ नम आँखों से अंतिम संस्कार
कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु, डिप्टी कमिश्नर मोगा श्री सन्दीप हंस समेत अन्य मशहूर शख्सियतें हुई अंतिम संस्कार में शामिल
उपन्यासकार डा. जसवंत सिंह के पार्थिव शरीर पर फूल मालाएं भेंट करके पारिवारिक सदस्यों के साथ किया दुख साझा
मोगा, 1 फरवरी:दुनिया भर में सबसे अधिक दोनों पंजाबों में पढ़े जाने वाले प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ. जसवंत सिंह कंवल हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने आज 1 फरवरी, 2020 को प्रात:काल 8 बजे के करीब अपनी आखिरी साँस ली। उनका अंतिम संस्कार आज तीन बजे मोगा के गाँव ढुड्डीके में किया गया। उनका जन्म 27 जून 1919 को हुआ था।
आज उनके अंतिम संस्कार के समय उनके पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ दुख साझा करने पंजाब के खाद्य एवं सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मांमले विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री भारत भूषण आशू, विधायक मोगा डा. हरजोत कमल, विधायक बाघापुराना दर्शन सिंह बराड़, विधायक धर्मकोट सुखजीत सिंह लोहगढ़, विधायक संजीव तलवाड़, पूर्व कांग्रेस मंत्री मालती थापर, डिप्टी कमिश्नर मोगा श्री सन्दीप हंस, सीनियर कप्तान पुलिस अमरजीत सिंह बाजवा, उप-मंडल मैजिस्ट्रेट मोगा सतवंत सिंह, पूर्व मंत्री तोता सिंह के अलावा और भी मशहूर शख्सियतें शामिल हुई और इनकी तरफ से जसवंत सिंह कंवल के पार्थिव शरीर पर फूल मालाएं भेंट की गईं।
इस मौके पर पंजाब पब्लिक रिलेशंज ऑफिसर्ज़़ एसोसिएशन के प्रधान नवदीप सिंह गिल और सहायक लोक संपर्क अधिकारी परमप्रीत सिंह नरूला की तरफ से भी सूचना एवं लोक संपर्क विभाग द्वारा फूल मालाएं भेंट की गईं। उनके परिवार में पुत्र सरबजीत सिंह, बेटी रुपइन्दरजीत कौर के अलावा दोहता सुमेल सिद्धू और भतीजा रणजीत सिंह धन्ना शांिवल हैं।जसवंत सिंह ने अपने जीवन के 80 साल साहित्य को अर्पित करके बढिय़ा रचनाओं को जन्म दिया।
यह भी ख़ास बात है कि स. कंवल ने अपना 100वां जन्मदिन हाल ही में मनाया। यह भी हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि जसवंत सिंह दुनिया के ऐसे लेखकों में से हैं जिन्होंने अपने जीवन के 100 वर्ष पूरे करके यह यात्रा पूरी की। पत्रकारों को जानकारी देते हुए उनके पुत्र सरबजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता जी ने 100 साल सात महीने की जि़ंदगी का सफऱ तह किया। उन्होंने 102 के करीब किताबें और उपन्यास लेखक के तौर पर लिखे।
उन्होंने संयुक्त पंजाब के समय 1940 से अब तक चर्चित उपन्यास सच नूं फांसी, पूरणमाशी, पाली, रात बाकी है, मित्तर प्यारे नूं, हाणी, बफऱ् दी अग्ग, लहु दी लोह, जि़ंदगी दूर नहीं, समेत और भी चर्चित रचनाएं कीं। इस मौके पर डिप्टी कमिश्नर श्री सन्दीप हंस ने नम आँखों से कहा कि उनके चले जाने से सभी पंजाबियों और साहित्य के क्षेत्र को बड़ी क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पंजाबी मातृभाषा, पंजाब, पंजाबी, पंजाबियत, गाँवों और किसानों संबंधी अपनी रचनाएं लिखीं। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह को सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार, साहित्य अकादमी, पंजाबी साहित्य रत्न, शिरोमणि पंजाबी लेखक आदि पुरस्कारों के साथ नवाजा गया और जसवंत सिंह कंवल ढुड्डीके गाँव के सरपंच भी रहे।
उनके अंतिम संस्कार के समय फि़ल्म निर्देशक मनमोहन सिंह, प्रिंसिपल सरवण सिंह, पंजाबी साहित्य अकादमी के प्रधान प्रो रवीन्द्र भ_ल, प्रो गुरभजन गिल, जतिन्दर पन्नू, सुरजीत सिंह काउंके, जनरल सैक्ट्री रणजीत सिंह धन्ना, लेखक हरी सिंह, पवन हरचन्दपुरी, गुरमीत सिंह नंबरदार, सरपंच जसबीर सिंह, नायब तहसीलदार मनवीर कौर सिद्धू, गुरचरन सिंह शेरगिल, बलदेव सिंह सडक़नामा, प्रो गुरइकबाल सिख, डी.आईजी. गुरप्रीत सिंह तूर, तेजवंत सिंह मान, आदि उपस्थित थे।