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फ़सलीय विभिन्नता लाने, रोजग़ार के और ज्यादा मौके पैदा करने और नौजवानों के प्रवास को रोकने के लिए गन्ने की फ़सल को लाभकारी बनाया जाये: रंधावा

फ़सलीय विभिन्नता लाने, रोजग़ार के और ज्यादा मौके पैदा करने और नौजवानों के प्रवास को रोकने के लिए गन्ने की फ़सल को लाभकारी बनाया जाये: रंधावा
  • PublishedJanuary 31, 2020

 पंजाब के सहकारिता मंत्री वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट, पुणे में शुगर और इससे जुड़े उद्योगों में स्थिरता, नवीनता और विभिन्नता सम्बन्धी दूसरी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्ऱेंस में हुए शामिल

चंडीगढ़/पुणे, 31 जनवरी:गन्ने की फ़सल की पैदावार बढ़ाने और घाटे में जा रही चीनी मिलों को वित्तीय तौर पर मज़बूत बनाने के लिए ठोस यत्न किये जाने चाहिएं जिससे किसानों की आय में वृद्धि करने के साथ साथ कृषि सैक्टर में रोज़ागार के और ज्यादा मौके पैदा किये जा सकें। इस कदम से गन्ने की खेती को लाभदायक पेशा बनाने के साथ साथ कृषि क्षेत्र में रोजग़ार के मौके पैदा करने और दूसरे देशों की तरफ नौजवानों विशेष तौर पर पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों के नौजवानों के प्रवास को रोकने में मदद मिलेगी।

 उक्त खुलासा पंजाब के सहकारिता मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने यहाँ शुक्रवार को वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट, पुणे में शुगर और इसके साथ जुड़े उद्योगों में स्थिरता, नवीनता और विभिन्नता सम्बन्धी दूसरी अंतरराष्ट्रीय कान्फ्ऱेंस को संबोधन करते हुए किया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट, पुणे के प्रधान शरद पवार, महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री श्री अशोक चवन, सहकारिता मंत्री श्री बालासाहब पाटिल, आबकारी मंत्री श्री दिलीप वालसे पाटिल और डायरैक्टर जनरल, वी.एस.आई. श्री शिवाजीराओ देशमुख भी उपस्थित थे।

 स. रंधावा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें शूगरफैड के चेयरमैन अमरीक सिंह अलीवाल, रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं श्री विकास गर्ग, शूगरफैड के एमडी श्री पुनीत गोयल और पंजाब में सहकारी चीनी मिलों के जनरल मैनेजर शामिल हैं, आज से शुरू हो रही इस तीन दिवसीय कान्फ्ऱेंस में सम्मिलन कर रहा है।इस मौके पर संबोधन करते हुए स. रंधावा ने श्री शरद पवार और श्री शिवाजीराओ देशमुख की तरफ से महाराष्ट्र और आस-पास के राज्यों के गन्ना काश्तकार किसानों को गन्ने की नयी किस्म की काश्त और पानी की संभाल की तकनीकें अपनाने में सहायता देने के लिए किये गए यत्नों की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट देश में अपनी किस्म का एक मात्र इंस्टीट्यूट है जो महाराष्ट्र के साथ साथ दूसरे राज्यों के गन्ना उत्पादकों और फ़ैक्ट्रीयाँ की भी सहायता करता है। यह इंस्टीट्यूट विज्ञान और प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में नवीनतम विकास, शोध का साथी बनने के साथ साथ चीनी उद्योग की उभरती ज़रूरतों के प्रति प्रासंगिक रहता है और गन्ना उत्पादकों की ज़रूरतों पर ध्यान केन्द्रित रखता है। 

उन्होंने आगे बताया कि पंजाब सरकार ने राज्य में सहकारी चीनी मिलों को फिर से पैरों पर खड़ा करने सम्बन्धी सुझाव लेने के लिए डायरैक्टर जनरल और वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के अन्य माहिरों का नाम माहिरों के समूह में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि वीएसआई और अन्य माहिरों ने माहिरों के समूह के विचार-विमर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आगे बताया कि पूरे भारत में गन्ना उद्योग और किसान मौजूदा मार्केट हालत के कारण संकट का सामना कर रहे हैं और इस संकट से बाहर आने के लिए भविष्य सम्बन्धी नीति बनाने में महाराष्ट्र और पंजाब के गन्ना उत्पादकों और सरकारों के दरमियान तालमेल अहम भूमिका निभा सकता है।

चीनी उद्योग की मज़बूती से गन्ना उत्पादकों को लाभ होगा और वह निजी तौर पर सहकारी चीनी मिलों को और मज़बूत करने के हक में हैं जिनकी ग्रामीण अर्थचारे में अहम भूमिका है। उन्होंने डायरैक्टर जनरल वी.एस.आई. और मैनेजिंग डायरैक्टर, शूगरफैड पंजाब को महाराष्ट्र और पंजाब के गन्ना उत्पादकों और तकनीकी माहिरों के बीच आपसी बातचीत का प्रबंध करने के लिए विनती की।

स. रंधावा ने श्री पवार और इंस्टीट्यूट के डायरैक्टर जनरल श्री देशमुख को विनती की कि वह गन्ने का प्रति एकड़ झाड़ और चीनी की रिक्वरी बढ़ाने के लिए राज्य की सहकारी चीनी मिलों की सहायता करें जिससे गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों की आय में वृद्धि होगी। सहकारिता विभाग, पंजाब विशेष तौर पर बीज की नयी किस्म विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है जिसके लिए वीएसआई माहिरों की सहायता की ज़रूरत है और मैं आशा करता हूँ कि वीएसआई राज्य की सहकारी चीनी मिलों के सहयोग से पंजाब के किसानों और चीनी मिलों की सहायता करेगी।

स. रंधावा ने कहा कि पंजाब सरकार का मुख्य मंतव्य गन्ने की काश्त की नयी तकनीकें अपनाकर गन्ने की फ़सल का प्रति एकड़ झाड़ बढ़ाना है और चीनी मिलों को चीनी कम्पलैक्सों में तबदील करके इसके द्वारा अन्य फ़ाल्तू उत्पादों जैसे कि ईथनौल, बायो-सी.एन.जी., बायो खाद आदि के उत्पादन वाला एक विकल्प बनाना है जिससे न सिफऱ् किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि कृषि क्षेत्र में रोजग़ार के और ज्यादा मौके पैदा होंगे।स. रंधावा और श्री पवार ने इस अवसर पर प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।

Written By
The Punjab Wire