कैप्टन ने दिए लोक निर्माण विभाग को बटाला के बेरिंग कॉलेज की इमारत के विरासती दर्जे के साथ छेड़छाड़ न करने के आदेश
नई सडक़ के लिए वैकल्पिक रूट ढूँढने के लिए कहा
चंडीगढ़, 30 जनवरी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को राज्य के लोक निर्माण विभाग को बटाला में प्रस्तावित नई सडक़ बेरिंग यूनियन क्रिसचियन कॉलेज की विरासती इमारत के द्वारा बनाने की बजाय वैकल्पिक रूट ढूँढने के आदेश दिए हैं।
140 साल से अधिक समय पहले एक अप्रैल, 1878 को बेरिंग स्कूल के तौर पर स्थापित हुई इस संस्था के खेल मैदान के द्वारा सडक़ बनाने संबंधी लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव पर विद्यार्थियों और स्थानीय निवासियों द्वारा रोष ज़ाहिर करने का नोटिस लेते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि विरासती इमारत को किसी भी ढंग से नुकसान पहुँचाने की इजाज़त नहीं दी जायेगी।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस इमारत ने महाराजा शेर सिंह के समर पैलेस के तौर पर भी सेवा निभाई और दशकों से इस अल्पसंख्यक संस्था में से बहुत सी मशहूर शख्सियतों का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि कॉलेज के खेल मैदान के द्वारा नयी सडक़ बनाने की इजाज़त देनी क्षेत्र के लोगों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि इलाके के लोगों के लिए नयी सडक़ बनानी है तो इस उद्देश्य को वैकल्पिक रूट के द्वारा आसानी से पूरा किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सभी लोगों ख़ासकर अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए पूर्ण तौर पर वचनबद्ध है और ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जायेगा जिससे इन लोगों के हितों को चोट लगती हो। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को भविष्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले इमारतों की ऐतिहासिक महत्ता को लाजि़मी तौर पर विचारने के आदेश दिए।
यह जि़क्रयोग्य है कि बटाला ब्याएज़ बोर्डिंग स्कूल ने स्वर्गीय महाराजा शेर सिंह के महल जिसको अनारकली कहा जाता था, में क्लासें शुरू की थीं। ऐतिहासिक रिकॉर्ड के मुताबिक यह महल धीरे -धीरे स्कूल में तबदील हो गया जहाँ क्लास रूम, शयनकक्ष और पूजा स्थान था। यह बटाला कस्बे और तहसील में पश्चिमी शिक्षा की स्थापना की शुरुआत को दिखाता है जिससे यह शैक्षिक इमारत न सिफऱ् बटाला के लिए बल्कि पंजाब के लिए भी महत्वपूर्ण चिह्न बन गई।साल 1934-1948 के दौरान बेरिंग हाई स्कूल, बेरिंग यूनियन क्रिसचियन कॉलेज में तबदील हो गया।
यह कॉलेज आधिकारित तौर पर 29 जून, 1944 को होंद में आया जिसमें लगभग 75 विद्यार्थी मुख्य तौर पर हिंदू, मुस्लिम और सिख पृष्टभूमि वाले थे। भारत के विभाजन के समय पर बेरिंग कॉलेज जो उस समय पूर्वी पंजाब का अकेला क्रिसचियन कॉलेज था, पंजाब आया था।