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एमएसपी संबंधी नीति की समीक्षा के विरुद्ध केंद्र सरकार पर ज़ोर डालने के लिए प्रधानमंत्री को मिलेंगे कैप्टन

एमएसपी संबंधी नीति की समीक्षा के विरुद्ध केंद्र सरकार पर ज़ोर डालने के लिए प्रधानमंत्री को मिलेंगे कैप्टन
  • PublishedJanuary 29, 2020

पंजाब के जल संसाधनों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने सांसदों को नये जल विवाद बिल की धारा 12 के उपबंध में संशोधन के लिए ज़ोर लगाने के लिए कहा

मीटिंग के दौरान पंजाब भवन, दिल्ली में अधिकारियों की तैनाती करने का फ़ैसला, सांसदों के साथ तालमेल और अहम मसलों पर जानकारी साझा करेंगे अधिकारी

चंडीगढ़, 29 जनवरी
भारत सरकार के खेती लागत और मूल्य आयोग द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी) की नीति की समीक्षा करने संबंधी केंद्र सरकार को हाल ही में की गई सिफ़ारिश को पंजाब के किसानों के लिए गंभीर ख़तरा मानते हुए पंजाब कांग्रेस के सांसदों ने आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को प्रधानमंत्री के साथ संपर्क करके इस नीति की समीक्षा न करने के लिए अपील करने के लिए कहा है।

मुख्यमंत्री द्वारा यह मीटिंग केंद्र सरकार के साथ जुड़े विभिन्न मसलों और अगले वित्त वर्ष के लिए बजट प्रस्तावों पर विचार करने के लिए बुलाई गई थी। संसदं के दोनों सदनों के सदस्यों ने फ़ैसला किया कि मुख्यमंत्री द्वारा खेती लागत और मूल्य आयोग की सिफ़ारिश को स्वीकार करने के खतरों संबंधी प्रधानमंत्री को अवगत करवाना चाहिए। सांसदों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नीति में किसी भी तरह की तबदीली पंजाब के अर्थचारे पर हानिकारक प्रभाव डालेगी। उन्होंने डर ज़ाहिर करते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद का अंत करने के लिए केंद्र सरकार पहले कदम के तौर पर खरीद को सीमित करेगी।

सतलुज यमुना लिंक नहर केस की स्थिति संबंधी सांसदों को जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने सांसदों को अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) बिल -2019 की धारा 12 के उपबंध में संशोधन करने के लिए ज़ोर लगाने के लिए कहा ताकि पंजाब के जल संसाधनों की रक्षा की जा सके।

प्रवक्ता ने बताया कि मीटिंग के दौरान यह भी फ़ैसला किया गया कि पंजाब भवन, दिल्ली में राज्य सरकार द्वारा अधिकारी तैनात किये जाएंगे जो सांसदों के साथ तालमेल करने के अलावा उनके साथ पंजाब से सम्बन्धित मसलों संबंधी भी जानकारी साझा करेंगे। राज्य से जुड़े मसलों में और अधिक प्रभावशाली हस्तक्षेप को यकीनी बनाने के लिए यह ज़रूरी है।

मीटिंग के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद पर विचार-विमर्श के समय खाद्य एवं सार्वजनिक उपभोक्ता मामले की ओर से केंद्रीय पूल के अनाज भंडार खाली करने के साथ सम्बन्धित पंजाब के खाद्य विभाग के एक नोट का हवाला दिया गया ताकि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गेहूँ और धान की ढीली खरीद से राज्य को पेश समस्याओं को विचारा जा सके। विभाग द्वारा दी गई प्रस्तुति में दिखाया गया कि केंद्रीय पूल से सम्बन्धित 140 लाख मीट्रिक टन गेहूँ और 95 लाख मीट्रिक टन चावल का भंडार इस समय राज्य में है।

इसमें से 70 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खुुले/सी.ए.पी. के अंतर्गत भंडार है जिसमें 2019-20 के रबी मंडीकरण सीजन के दौरान नरम शर्तों (यू.आर.एस.) के अंतर्गत खऱीदा 16 लाख मीट्रिक टन गेहूँ और 2018-19 के रबी मंडीकरण सीजन में खऱीदा 10 लाख मीट्रिक टन गेहूँ शामिल है। इस तथ्य के बावजूद कि यू.आर.एस. गेहूँ के प्रयोग की समय सीमा (शैल्फ लाईफ़) छह महीने है जबकि गेहूँ के आम भंडार को खुले में सिफऱ् 9 महीने के लिए रखा जा सकता है।

भारतीय खाद्य निगम और राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा राज्य से हरेक महीने अनाज (गेहूँ और चावल) की ढुलाई का औसत पिछले कुछ महीनों के दौरान 11.7 लाख मीट्रिक टन रहा जबकि पिछले सालों के दौरान यह औसत लगभग 15-16 लाख मीट्रिक टन पर रहता था। अनाज उठाने की गति धीरे होने के कारण पंजाब अपेक्षित जगह की बड़ी कमी से जूझ रहा है जिससे आने वाले महीनों में चावल का वितरण और अगले सीजन में धान की खरीद पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।


विभाग ने राज्य केंद्रीय पूल के अनाज भंडार को तुरंत खाली करने के लिए भारत सरकार के दख़ल की माँग की है और इस मसले को प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष भी उठाया जा चुका है।
मीटिंग के दौरान यह फ़ैसला लिया गया कि संसद मैंबर पंजाब के कई हिस्सों में भारी बारिश होने और बाढ़ आने के कारण भंडार की गई गेहूँ की गुणवत्ता को पेश खतरे के मद्देनजऱ केंद्रीय पूल के अनाज को तुरंत राज्य से उठाने के लिए केंद्र पर दबाव डालेंगे।

मीटिंग में फ़ैसला लिया गया कि राज्य सरकार संसद सदस्यों के ज़रिये धान के विकल्प के तौर पर मक्कई की काश्त को उत्साहित करने के मामले को लगातार उठाती रहेगी।
मीटिंग के दौरान पंजाब के हितों संबंधी केंद्र के पास बकाया कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी विचार-विमर्श के लिए रखे गए, जिसमें धान की पराली को न जलाने के बदले किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवज़े की माँग, डेयरी कोऑपरेटिव के लिए टैक्स दर में कटौती और फ्री ट्रेड नैगोसीएशन से डेयरी उत्पादों को छूट देना शामिल है।

पराली जलाने के मुद्दे पर जसबीर सिंह गिल (डिम्पा) ने कहा कि पराली के प्रबंधन की मशीनों के लिए सब्सिडी किसानों तक नहीं पहुँच रही है। मीटिंग में मौजूद अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि हालाँकि केंद्र द्वारा सब्सिडी मिल रही थी, परन्तु शिकायतें थीं कि यह किसानों तक नहीं पहुँच रही।

मीटिंग में टेक्सटाईल सैक्टर के लिए सरहदी और चुनिंदा जि़लों में आय कर एक्ट, 1961 की धारा 80 (1) (बी) अधीन छूट देने की लम्बित माँग को केंद्र सरकार और संसद में उठाने का फ़ैसला भी लिया गया।

मीटिंग में 31000 करोड़ रुपए के फूड कैश क्रेडिट एकाऊँट के निपटारे के लम्बित पड़े मुद्दे पर चिंता ज़ाहिर की गई और यह फ़ैसला लिया गया कि संसद मैंबर इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस रकम के निपटारे में देरी के कारण आर्थिक मंदी का सामना कर रहे राज्य को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

मुख्यमंत्री ने संसद सदस्यों को पंजाब की हद में पड़ते इलाकों के लिए सुखना झील वन्य जीव अभयारण्य, चंडीगढ़ के आस-पास इको सेंसिटिव ज़ोन की घोषणा के लिए केंद्र पर दबाव डालने के लिए कहा। फिऱोज़पुर (पंजाब) में पी.जी.आई. सैटेलाइट केंद्र की स्थापना और पंजाब में दूसरा एमज़ स्थापित करने के मुद्दों पर भी विस्तार के साथ चर्चा की गई। एजंडे के हिस्से के तौर पर मीटिंग में कुल 34 मुद्दों को विचार-विमर्श के लिए सूचीबद्ध किया गया था जिनको केंद्र के साथ गंभीरता के साथ विचारने के लिए संसद सदस्यों को हिदायत की गई है।


पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि सभी संसद सदस्यों को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी.) चुनाव में देरी का मुद्दा संसद में उठाना चाहिए जिससे इस धार्मिक संस्था को अकालियों के शिकंजे से मुक्त किया जा सके। शिरोमणि कमेटी का मौजूदा कार्यकाल साल 2016 में ख़त्म हो गया था।

मीटिंग में लोकसभा संसद मैंबर डॉ. अमर सिंह, जसबीर सिंह गिल, चौधरी संतोख सिंह, परनीत कौर, मनीष तिवारी, गुरजीत सिंह औजला और मोहम्मद सदीक और राज्यसभा संसद मैंबर शमशेर सिंह दुलो और प्रताप सिंह बाजवा भी शामिल थे।

Written By
The Punjab Wire