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विधानसभा द्वारा 126वें संवैधानिक संशोधन की पुष्टि करने के लिए सर्वसम्मति के साथ प्रस्ताव पारित

विधानसभा द्वारा 126वें संवैधानिक संशोधन की पुष्टि करने के लिए सर्वसम्मति के साथ प्रस्ताव पारित
  • PublishedJanuary 17, 2020

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अनुसूचित जाति के विकास से सम्बन्धित मसलों को सुलझाने के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता दोहराई

चंडीगढ़, 17 जनवरी:पंजाब के मुख्यमंत्री और सदन के नेता कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा ने आज संविधान के 126वें संशोधन की पुष्टि करने के लिए प्रस्ताव को सर्वसम्मति के साथ पास कर दिया जिससे पंजाब में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण में 10 सालों का और विस्तार हो जायेगा।

सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान के संशोधनों की पुष्टि करने के बहुत ही अहम एजंडे की ख़ातिर विधानसभा का दो-दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। यह संशोधन जो अनुच्छेद 368 की क्लॉज (2) की शर्तिया धारा की क्लॉज (स) के उपबंध के अधीन आते हैं, की पुष्टि संविधान (126वां संशोधन) बिल-2019 के द्वारा की गई है जिनको संसद के दोनों सदनों की तरफ से पहले ही पास किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. बी.आर. अम्बेदकर के नेतृत्व में संविधान के निर्माताओं द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए 10 सालों के समय के लिए आरक्षण दिया गया था और उस समय से अब तक समय -समय की सरकारों द्वारा इसमें विस्तार किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि हालाँकि भेदभाव विरोधी नीतियाँ और राजनैतिक नुमायंदगी और नौकरियों में आरक्षण के स्वरूप बीते 70 सालों में इन भाईचारों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है परन्तु इसके बावजूद वह बाकी समाज के बराबर नहीं रहे।

उन्होंने कहा कि इसके नतीजे के तौर पर अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण में 10 सालों का और विस्तार करने का मज़बूत केस बनता है जिससे समाज के गरीबों और दबे-कुचले वर्गों के विकास के अधूरे कार्य को मुकम्मल किया जा सके।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘मुझे पता है कि अनुसूचित जातियों के विकास के साथ सम्बन्धित बहुत से मुद्दे हैं और मेरी सरकार इसके प्रति पूर्ण तौर पर वचनबद्ध है परन्तु आज का यह प्रस्ताव बिना किसी देरी के सर्वसम्मति से पास किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने अच्छी शिक्षा, प्रशिक्षण और नौकरियों में नुमायंदगी देकर इन वर्गों की भलाई के प्रति अपनी वचनबद्धता के लिए साझे यत्न करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।बताने योग्य है कि भारत के संविधान की धारा 334, लोकसभा और विधानसभा में अनुसूचित जातियों /अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण और एंग्लो इंडियन की विशेष नुमायंदगी मुहैया कराती है। शुरू में यह आरक्षण साल 1960 में ख़त्म हो जाना था परंतु संविधान के 8वें संशोधन के द्वारा यह आरक्षण साल 1970 तक बढ़ा दिया गया था।

इसके बाद संविधान के 23वें और 45वें संशोधन के द्वारा आरक्षण क्रमवार 1980 और 1990 तक बढ़ाया गया था।संविधान के 62वें संशोधन के द्वारा आरक्षण साल 2000 तक बढ़ा दिया गया था। इसके उपरांत संविधान के 79वें और 95वें संशोधन के द्वारा आरक्षण क्रमवार 2010 और 2020 तक बढ़ाया गया। आरक्षण और विशेष नुमायंदगी के लिए 95वें संशोधन के द्वारा 10 सालों का किया गया विस्तार 25 जनवरी, 2020 को ख़त्म हो जाना है।126वें संशोधन को लोकसभा द्वारा 10 दिसंबर, 2019 को और राज्यसभा द्वारा 12 दिसंबर, 2019 को पास किया गया था।

Written By
The Punjab Wire