मुख्यमंत्री ने पानी के संकट से निपटने सम्बन्धी रणनीति तैयार करने के लिए 23 जनवरी को सर्व दलीय बैठक बुलाई
मुख्यमंत्री ने कृषि ट्यूबवैलों पर बिजली सब्सिडी छोडऩे के लिए अपील का समर्थन न करने पर विरोधी पक्ष की कड़ी आलोचना की
चंडीगढ़, 17 जनवरी:पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य में तेज़ी से घट रहे जल साधनों के मद्देनजऱ पानी की नाजुक स्थिति से निपटने के लिए व्यापक रणनीति तैयार करने के लिए 23 जनवरी को सर्व दलीय बैठक बुलाई है।
मुख्यमंत्री ने विधान सभा में सदन के दो दिवसीय विशेष सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को यह जानकारी दी। वह अपनी सरकार द्वारा पेश किये ‘पंजाब जल स्रोत (प्रबंधन और विनियमन) बिल-2020’ पर हुई चर्चा में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने बताया कि बैठक का न्योता पहले ही भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि सर्व दलीय बैठक में एस.वाई.एल. मुद्दा, औद्योगिक और घरेलू अवशेष के कारण भूजल की गुणवत्ता में आई कमी और प्रदूषण जैसे पानी से सम्बन्धित सभी प्रांतीय मामलों बारे विचार-विमर्श किया जायेगा।
यह विचार-विमर्श इन समस्याओं के हल के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार करने सम्बन्धी सहमति प्राप्त करने के लिए किया जायेगा।सिंचाई मंत्री सुखबिन्दर सिंह सरकारिया द्वारा पेश किये गए इस बिल को बाद में सदन ने सर्वसम्मती से पास कर दिया, जिससे पंजाब में पानी के गंभीर स्रोतों के प्रबंधन के लिए ‘पंजाब जल विनियमन एवं विकास अथॉरिटी’ के गठन का रास्ता साफ हो गया। आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल, दोनों ने इस बिल का समर्थन करते हुए राज्य में पानी के स्रोतों और भूजल के घटते स्तर पर गहरी चिंता ज़ाहिर की।
विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों के जवाब में मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर अपनी सरकार की निरंतर आलोचना करने के लिए विरोधी पक्ष की कड़ी निंदा की, क्योंकि विरोधी पक्ष इस समस्या से निपटने में किसी भी तरह का योगदान देने में असफल रहा है। उन्होंने बताया कि वह और उनके साथी पहले ही कृषि ट्यूबवैलों पर सब्सिडी छोड़ चुके हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने विरोधी पक्ष के नेताओं को चुनौती दी कि वह यह बताएं कि उनमें से किसने उनकी इस अपील को मानकर ट्यूबवैलों के लिए बिजली सब्सिडी छोड़ी है। उन्होंने कहा कि इस अपील का उद्देश्य भूजल के सही प्रयोग को यकीनी बनाना और पानी की बचत की आदत पैदा करना था।भूजल के घट रहे स्तर और दरियायी पानी में बढ़ रहे प्रदूषण को गंभीर मुद्दे बताते हुए मुख्यमंत्री ने इस समस्या के हल के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता को दोहराया, जोकि विशेष तौर पर दक्षिणी पंजाब के जिलों जैसे कि श्री मुक्तसर साहिब में काफ़ी ज़्यादा पाई गई है और यह समस्या इस क्षेत्र में कैंसर के मामलों का कारण बन रही है।
पानी की कमी सम्बन्धी समस्या से निपटने के लिए तौर-तरीकों का पता लगाने के लिए अपने इज़राइल दौरे का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी एशियाई देश भी इस गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं और अगले 15 सालों में अपने जल स्रोतों की भारी कमी का सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि हालाँकि इज़राइल के क्षेत्र में विशाल समुद्र है, जहाँ से वह इस समुद्र के खारे पानी को संशोधित कर अपने देश की पानी की ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं। बदकिस्मती से पंजाब के पास यह विकल्प नहीं है और यदि यह आने वाले सालों में मरूस्थल बनने के लिए ही तैयार है तो वह अपने जल स्रोतों का अधिक से अधिक प्रयोग करने का जोखिम ले सकता है।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि उनकी सरकार ने राज्य में जल स्रोतों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए इज़राइल की नेशनल वॉटर कंपनी मैसर्ज मेकोरॉट के साथ जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए मास्टर प्लान (डब्ल्यू.सी.एम.एम.पी.) तैयार करने के लिए पहले ही एक समझौता सहीबद्ध किया है।बिल के अनुसार ‘पंजाब जल विनियमन और विकास अथॉरिटी’ में एक चेयरमैन और दो अन्य मैंबर शामिल होंगे जो सरकार द्वारा नियुक्त किये जाएंगे। राज्य के जल स्रोतों के उचित प्रबंधन और संरक्षण की जि़म्मेदारी अथॉरिटी की होगी जिसके पास इस सम्बन्धी सभी ज़रूरी कदम उठाने के अधिकार होंगे।
अथॉरिटी के पास पानी के स्रोतों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के साथ-साथ घरेलू, व्यापारिक या औद्योगिक प्रयोग के लिए पेयजल की सप्लाई करने वाली संस्थाओं द्वारा लगाए जाने वाले चार्जिज को दर्शाते टैरिफ ऑर्डर जारी करने के भी अधिकार दिए जाएंगे।बिल में जल स्रोतों संबंधी एक सलाहकार समिति के गठन का प्रस्ताव भी दिया गया है जिसको सरकार द्वारा नोटीफायी किया जाना है। इस समिति में अथॉरिटी को सलाह देने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारी शामिल होंगे। अथॉरिटी अपने स्तर पर भी विशेषज्ञों को शामिल कर सकती है।
अथॉरिटी के पास ‘पंजाब वाटर रैगूलेशन एंड डिवैल्पमैंट अथॉरिटी फंड’ के तौर पर एक अलग फंड होगा जिसमें पंजाब सरकार द्वारा ग्रांट/ऋण दिए जाएंगे। बिल में सरकार को यह अधिकार देने का भी प्रस्ताव किया गया है कि वह लोकहित के साथ जुड़ी नीति के मामलों में अथॉरिटी को लिखित तौर पर आम या ख़ास दिशा-निर्देश जारी करे और अथॉरिटी ऐसे निर्देशों के पालन पर अमल करेगी। सरकार द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार अथॉरिटी द्वारा दरें तय की जाएंगी।