चंडीगढ़, 14 जनवरी: कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एन.आर.सी.) और राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर (एन.पी.आर.) के सम्बन्ध में सदन की इच्छा के अनुसार कदम उठाएगी।
यह फ़ैसला यहाँ मंगलवार को पंजाब कैबिनेट द्वारा मीटिंग के बाद अनौपचारिक विचार-विमर्श के दौरान लिया गया।
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मंत्रीमंडल ने ग़ैर-कानूनी और अलगाववाद वाले सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. की उलझनों पर गंभीर चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने उक्त मुद्दों को लेकर देश भर में फैली हिंसा पर भी चिंता ज़ाहिर की, जिसने देश के धर्म निरपेक्ष ताने-बाने को बड़ी चुनौती पेश की हुई है।
मंत्रीमंडल का विचार है कि 16-17 जनवरी को राज्य विधानसभा के दो-दिवसीय विशेष सत्र के दौरान यह मामला उठाया जाना लाजि़मी है और मुख्यमंत्री के नेतृत्व अधीन मंत्रियों द्वारा सर्वसहमति से फ़ैसला लिया गया था कि सरकार को सदन की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए।
मंत्रीमंडल ने मुख्यमंत्री के विचारों के साथ सहमति अभिव्यक्त की कि सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. भारतीय संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करते हैं, जो देश की नींव का आधार है। एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा ने मंत्रीमंडल के सामने इस मामले संबंधी कानूनी दृष्टिकोण पेश किया।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार सदन की सिफ़ारिश के अनुसार इस मुद्दे से निपटने के लिए अपनी रणनीति तैयार करेगी।