नम आंखों से किया सेना मेडल विजेता की शहादत को नमन
गुरदासपुर 22 जून (मनन सैनी)-जम्मू-कश्मीर के कुलहामा क्षेत्र में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले सेना की 313 फील्ड रेजीमेंट (34 आर.आर) के सेना मेडल विजेता मेजर बलविंदर सिंह बाजवा का 21वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद के नाम पर बने स्थानीय पार्क में आयोजित किया गया। जिसमें शहीद की पत्नी सहायक आबकारी कमिश्नर (एईटीसी) राजिवंदर कौर बाजवा, बेटा कर्ण बाजवा, चाचा होम गार्ड के पूर्व जिला कमांडेट हरदीप सिंह बाजवा, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, समाज सेवक इंद्रजीत बाजवा, एक्साइज अधिकारी राजिंदर कनवर व क्लर्क सतनाम सिहं, व्यापार मंडल के जिला प्रधान दर्शन महाजन, सीनियर सिटीजन क्लब के प्रधान फ्लाइंग अफसर दर्शन सिंह, ग्रीन एजुकेशन एनजीओ के प्रधान जनक राज शर्मा आदि ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद मेजर बीएस बाजवा को श्रद्धांजलि अर्पित की। सर्वप्रथम शहीद की पत्नी एईटीसी राजविंदर कौर बाजवा व अन्य मेहमानों ने शहीद की प्रतिमा को माल्यार्पण व रीथ चढ़ाकर कार्यक्रम का आगाज किया।
श्रद्धांजलि सामरोह को संबोधित करते हुए शहीद की पत्नी राजविंदर कौर बाजवा ने कहा कि जिस घर का चिराग देश की बलिवेदी पर कुर्बान हो जाता है, उस परिवार के लिए जहां उसकी शहादत का दर्द असहनीय होता है, वहीं समूचे परिवार को उसके बलिदान पर गर्व भी होता है। उन्होंने कहा कि उनके पति संत रुप व जमीन से जुड़ी हुई शख्सियत थे। उनके साथ जीवन व्यतीत करना परिवार के लिए फूलों की सेज के समान था। मगर उनकी शहादत के बाद उनका पूरा जीवन ही बदल गया। मगर ससुराल व मायके वालों ने उन्हें संभाला तथा ससुर इकबाल सिंह ने उनके शहीद पति की पगड़ी को उनके सिर पर रखते हुए कहा कि आज से वो बाजवा परिवार की शान है और आज के बाद वह उन्हें अपने शहीद बेटे के नाम से ही पुकारेंगे। शहीद की पत्नी ने कहा कि उनके दोनों बेटे गौरवप्रीत बाजवा व कर्ण बाजवा उनकी ताकत है, जो आज भी अपने शहीद पिता के दिखाए पदचिन्हों पर चल रहे हैं।
दुख है आज भी लोग शहीद के पार्क को फिश पार्क के नाम से जानते हैं-
शहीद की पत्नी राजविंदर कौर बाजवा ने कहा कि बेशक इस पार्क में उनके शहीद पति की प्रतिमा लगी है और मुख्य गेट पर उनके पति का नाम लिखा हुआ है, मगर फिर भी लोग इस पार्क को उसके पुराने नाम फिश पार्क के नाम से जानते हैं। जिससे उनकी भावनाएं आहत होती हैं। इस लिए सरकार व प्रशासन को चाहिए कि कुछ ऐसा प्रयास करे कि लोग इस पार्क के पुराने नाम को भूलकर इसे एक शहीदी पार्क के नाम से जाने।
शहीद बेटा बोला, गर्व है पिता की शहादत पर-
शहीद मेजर बीएस बाजवा के बेटे कर्ण बाजवा ने कहा कि बेशक उन्हें अपने पिता को खोने का दुख बहुत है, मगर उनकी शहादत पर गर्व भी है। उन्होने कहा कि शहीद परिवार को कभी भी तरस की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। इससे परिवार कमजोर होता है, बल्कि हमेशा सारे देश को शहीद परिवार पर गर्व होना चाहिए।
सरहद पर सैनिक जागता है, तभी देश चैन से सोता है-कुंवर विक्की
कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि देश का सैनिक कठिन परिस्थितियों में डयूटी निभाते हुए सरहद पर रात भर जागता है ताकि देशवासी चैन की नींद सो सकें। इस लिए देशवासियों को भी चाहिए कि देश के वीर सैनिकों व उनके परिजनों को उचित मान-सम्मान देकर उनकी शहादत की गरिमा को बहाल रखें। क्योंकि यह हैं तो देश है, इनकी बदौलत ही राष्ट्र की एकता व अखंडता बरकरार है। इस मौके पर पार्क में शहीद की पत्नी द्वारा शहीद पति की याद में पौधारोपण भी किया गया तथा इस मौके पर एक्साईज विभाग से जुड़े पुलिस कर्मियों ने भी मेजर बाजवा की शहादत को नमन किया। इस मौके पर सुखविंदर कौर, एएसआई जेएस बाजवा, बलविंदर सिंह, कमलजीत सिंह, गुरदेव सिंह, सुरिंदर पाल व हरमिंदर सिंह, एचसी सर्वजीत कौर, अनीता कुमारी, अशोक शर्मा, रमेश गिल, बाबा गुरबचन सिंह आदि उपस्थित थे।