कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली सरकार मीडिया के साथ वही तानाशाहीव्यवहार कर रही है जो इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने किया था: सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया
पत्रकारों को कानूनी सहायता प्रदान करने की पेशकश की
चंडीगढ़/31जनवरी: शिरोमणी अकाली दल ने आज देशद्रोह जैसी कठोर धाराओं के तहत किसान आंदोलन को कवर करते हुए सच सामने लाने वाले पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार प्रेस की आजादी का गला घोंटकर तानाशाहों जैसा व्यवहार कर रही है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने करीब दस पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की निंदा करते हुए कहा कि जिस तरह के हथकंडे सरकार अपना रही है वह इमरजेंसी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद दिलाता है। ‘ सभी स्वस्थ लोकतंत्र मीडिया को निडर होकर रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कई पत्रकारों ने किसान आंदोलन के दौरान ऐसा किया है तथा दमनकारी कृत्यों के पीछे की सच्चाई को बाहर लाए हैं खासतौर पर जो सिख नौजवान के साथ किया ।यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मामले में न्याय सुनिश्चित करने की बजाय दिल्ली पुलिस ने पत्रकार मनदीप पूनिया को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जिसने इस घटना का कवर किया था।
सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि इसी तरह मृणाल पांडे, राजदीप सरदेसाई, विनोद के जोत, जाफर अगा, अनंत नाथ तथा परेश नाथ सहित वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होने कहा कि वायर एडिटर सिद्धार्थ वरादराजन को भी नही बख्शा गया।
पत्रकारों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि उन्हे गलत तरीके से टारगेट किया गया है। सरदार मजीठिया ने कहा कि अकाली दल उन्हे मुफ्त कानूनी सहायता तथा आवश्यक अन्य सभी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। ‘ हम उनके साथ मिलकर काम करने के लिए तथा उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं। उन्होने कहा कि यह तथ्य है कि एक ही भाषा के साथ इसी तरह के मामले तथा एक ही धाराओं को लागू करने के लिए उत्तरप्रदेश में केस दर्ज किए गए तथा मध्यप्रदेश ने शिकायतों में किए गए दावों की सत्यता के बारे में प्रमाण की बात की।
केंद्र सरकार से किसान आंदोलन की स्वंतत्र तथा निष्पक्ष रिपोर्टिंग की अनुमति देने की मांग करते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि लोकप्रिय जनआंदोलनों को इस तरह से कुचला नही जा सकता। उन्होने कहा कि इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि पत्रकार बुनियादी घटनाओं को कवर कर रहे थे तथा लोगों तक खबर पहुंचाने के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम कर रहे थे। ‘ हमें सभी बातों का ध्यान रखते हुए मीडिया को सच्चाई की रिपोर्ट करने से हतोत्साहित करने की कोशिश नही करनी चाहिए।