पंजाब में शादी समारोह में किसानों के संघर्ष पर बने गीतों पर झूम रहे लोग
मुक्तसर (जगदीश जोशी) । कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। किसानों के समर्थन में जो लोग टीकरी बॉर्डर या सिंघु बार्डर नहीं पहुंच पा रहे, वे अपने तरीके से इस आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं। पंजाब के मुक्तसर में लोग शादियों में किसानों के संघर्ष को दिखाते गीतों पर खूब झूमे।
पिंड-पिंड विच्चो भरो ट्रालियां, गल्ल नहीं बणदी कैंटर नाल…खिच्च ले जट्टा खिच्च तैयारी, पेचा पै गया सेंटर नाल…खिच्च ले जट्टा खिच्च ट्राली ओ…। किसानों के संघर्ष को दर्शाते इस गीत पर मुक्तसर के गांव वड़िंग में किसान जमकर नाचे। गांव वड़िंग के किसान मक्खन सिंह के पोते जशनदीप सिंह के विवाह के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में यह गाना बजाया जा रहा था। भंगड़ा डालते हुए किसानों ने कृषि कानूनों का विरोध किया।
दूल्हे जशनदीप के दादा मक्खन सिंह और पिता नरिंदरपाल सिंह ने कहा कि इस समय किसानी पर कृषि सुधार कानून नाम का खतरा मंडरा रहा है। इसके कारण सैकड़ों किसान कड़ाके की सर्दी में भी दिल्ली टिकरी बॉर्डर पर इन कानूनों को रद्द कराने के लिए संघर्षरत हैं। किसान परिवार से संबंधित होने के नाते वे भी केंद्र के विरोध में हैं। पंजाबी गीतों के बजाय उन्होंने शादी समारोह में किसानी संघर्ष को दर्शाते गीतों पर नाच-गाकर केंद्र सरकार का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अब किसान परिवारों में शादी समारोह में खुशियां इसी तरह मनाई जाएंगी।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों का मुद्दा गर्माने के बाद किसान परिवारों की ओर से शादी समारोह में अनोखे तरीकों से केंद्र के खिलाफ रोष जताया जा रहा है। पिछले दिनों भी जिले के कई गांवों में किसान परिवारों के बेटों की शादियों में हाथों में किसान एकता जिंदाबाद लिखित मेहंदी लगा, बरात की गाड़ियों में किसानी झंडे लगाकर और बरात में केंद्र के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चलने जैसे अनोखे ढंग से विरोध के मामले सामने आए थे।