चंडीगढ़, 6 दिसंबर:कोविड-19 महामारी के मद्देनजऱ पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं अथॉरिटी ने 12 दिसंबर, 2020 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के कार्यकारी चेयरमैन और न्यायाधीश डॉ. जस्टिस एस. मुरलीधर की निगरानी में पहली बार राज्य भर में राष्ट्रीय लोक अदालत को ई-लोक अदालत के रूप में लगाने का फ़ैसला किया है।आज यहाँ यह जानकारी देते हुए जिला सैशन जज और पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं अथॉरिटी के मैंबर सचिव जस्टिस अरुण गुप्ता ने बताया कि अथॉरिटी ने कोरोना वायरस फैलने के कारण सामाजिक दूरी बनाए रखने के मद्देनजऱ ई-लोक अदालत आयोजित करने का फ़ैसला किया है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए हर जिले की संभावना मुताबिक ई-लोक अदालत के साथ-साथ लोक अदालत करवाने के लिए उचित प्रबंध किये जा रहे हैं जिससे कोविड के विरुद्ध रोकथाम के उपायों को यकीनी बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि लोग राष्ट्रीय लोक अदालत में अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए अपने सम्बन्धित जिले के फ्रंट कार्यालयों या सचिव, जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी के साथ संपर्क कर सकते हैं। किसी भी कानूनी सहायता के लिए लोग टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1968 पर पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं अथॉरिटी के साथ संपर्क कर सकते हैं।इस सम्बन्धी अधिक जानकारी देते हुए जस्टिस ग्रोवर ने कहा कि बैंच के मैंबर की तरफ से सम्बन्धित पक्ष को उनके विवादों को सभ्यक ढंग से निपटाने में सहायता की जाती है। यदि विवाद सुलझ जाता है तो अदालत की फीस वापस कर दी जाती है। लोक अदालत में पास किया गया आदेश अंतिम होता और इसके विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में लगभग 349 बैंचों का गठन किया जाना है और लगभग 26,977 मामलों का सभ्यक ढंग के साथ निपटारा होने की आशा है। उन्होंने आगे बताया कि इस लोक अदालत में जिन मामलों की सुनवाई की जाती है उनमें धारा 138 अधीन एन.आई एक्ट, बैंक रिकवरी वाले केस, लेबर विवाद केस, बिजली और पानी के बिलों (नॉन-कम्पाऊंडेबल को छोडक़र) और अन्य (क्रिमिनल कम्पाऊंडेबल, विवाह सम्बन्धित और सिविल विवाद) वाले केस शामिल हैं।
मैंबर सचिव ने कहा कि कोई भी व्यक्ति धारा 138 वाले मामले, बैंक रिक्वरी केस, एम.ए.सी.टी केस, लेबर विवाद केस, बिजली और पानी के बिलों (नॉन-कम्पाऊंडेबल को छोडक़र), विवाह सम्बन्धित विवाद, भूमि अधिगृहण के केस, वेतन और भत्ता और रिटायरमेंट लाभ के साथ जुड़े सेवा के मामले, राजस्व मामले (सिफऱ् जिला अदालत और उच्च अदालत में लम्बित हैं) और अन्य सिविल केस (किराया, पदाधिकार, इंजंक्शन सूट्स, स्पैसेफिक परफॉरमेंस वाले मुकद्मे) जैसे अदालत में लटक रहे केस के लिए लोक अदालत में संपर्क कर सकता है।