पांच वर्ष के नन्हेें वंश ने दी शहीद पिता को मुखागिन
क्षेत्रवासियों ने नम आंखों से दी प्रवीण को अंतिम विदाई
गुरदासपुर 28 नवंबर (मनन सैनी)-विश्व के सबसे ऊंचे व दुर्गम रणक्षेत्र जम्मू कश्मीर के गलेश्यिर में दो साल तक बर्फीले आतंक से लड़ते हुए पूरी मुश्तैदी के साथ अपनी डयूटी निभाकर अभी कुछ दिन पहले ही अमृतसर में पोस्टेड होकर आए भारतीय सेना की 9 पंजाब रेजीमेंट के हवलदार प्रवीण सिंह सलारिया जो गत दिवस क्वार्टर गार्ड में डयूटी दे रहे थे कि अचानक उनकी छाती में दर्द हुआ तो डयूटी पर तैनात बाकी साथी सैनिकों ने उन्हें अस्पताल चलने को कहा, मगर हवलदार प्रवीण ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह क्वार्टर गार्ड की महत्वपूर्ण डयूटी को छोडक़र नहीं जा सके। मगर दर्द जब असहनीय हो गया तो उसके साथी उन्हें मिल्ट्री अस्पताल लेकर गए, जहां ह्रदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया, इस तरह अपनी डयूटी को प्राथमिकता देते हुए वह शहादत का जाम पी गए। जिनका उनके पैतृक गांव खुदादपुर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।
तिब्बड़ी कैंट से नायब सूबेदार मुकेश कुमार के नेतृत्व में आए सेना की 17 राज राइफल्स युनिट के जवानों ने हवा में गोलियां दागते हुए व शस्त्र उल्टे कर शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया को सलामी दी। इससे पहले तिरंगे में लिपटी शहीद की पार्थिव देह को उसकी युनिट के जवान जब अमृतसर के गांव खुदादपुर लेकर पहुंचे तो माहौल अत्यन्त गमगीन हो गया। शहीद प्रवीण की पत्नी मोनिका सलारिया, बेटी तनवी सलारिया व आदिती सलारिया की करुणामयी सिसकियों से हर आंख नम हो उठी। शहीद की युनिट के सूबेदार दलबीर सिंह, हवलदार सतिंदर सिंह, हवलदार राजेश कुमार, सीएचएम संजय कुमार के अलावा शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया को रीथ चढ़ाकर सैल्यूट किया।
युनिट ने अपना अनमोल हीरा खो दिया-नायब सूबेदार दलबीर
शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया की पार्थिव देह को लेकर आए उनकी युनिट के नायब सूबेदार दलबीर सिंह ने नम आंखों से बताया कि प्रवीण बहुत ही बहादुर सैनिक था तथा हर आपरेशन में बालंटियर होकर जाता था। उन्होंने कहा कि गलेशियर जहां माइनस 50 डिग्री तापमान होता है, वहां भी प्रवीण को एक बार छाती में दर्द हुआ था। मगर फिर भी वह अपनी बर्फीली पोस्ट पर डटा रहा। अमृतसर के प्लस तापमान को शायद उसका शरीर झेल नहीं पाया। जिसकी वजह से वह हमें छोडक़र चला गया। उनके जाने से युनिट ने अपना एक अनमोल हीरा खो दिया।
वंश बोला, मत रो मां, मैं हूं न, मैं भी पापा की तरह बनूंगा फौजी–
शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया के पांच वर्षीय बेटे नन्हें वंश ने जब अपने शहीद पिता की चिता को मुखागिन दी तो शमशानघाट में मौजूद हर आंख नम हो उठी, हर कोई कह रहा था कि ईश्वर यह दिन किसी को न दिखाए। इस मौके पर वंश ने अपने शहीद पिता को सैल्यूट कर व अपनी मां के आंसू पोंछते हुए कहा कि मत रो मां, मैं हूं न, मैं भी अपने पापा की तरह फौजी बनूंगा और देश की सेवा करुंगा।
अधूरा रह गया नए मकान में रहने का सपना–
शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया की पत्नी मोनिका सलारिया ने सजल आंखों से बताया कि उनके पति अगले साल पेंशन आने वाले थे, उन्होंने बड़े चाव से गांव में नया मकान बनाया था। कहते थे कि पेंशन आकर ही नए मकान में शिफ्ट होंगे। मगर उनका यह सपना अधूरा रह गया। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह तिरंगे में लिपटे हुए घर पहुंचेंगे। ज्ञात रहे शहीद प्रवीण की पार्थिव देह को पहले उसके नए घर लाया गया, फिर पुराने घर से उसे अंतिम विदाई दी गई।
कठिन परिस्थितियों में डयूटी देते हैं हमारे जवान-कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि हमारे बहादुर सैनिक कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी डयूटी निभाते हुए देश की सुरक्षा करते हैं। प्रवीण भी गलेशियर के माइनस 50 डिग्री के तापमान में दो साल डयूटी निभाने के बाद अमृतसर के प्लस तापमान को वह झेल न पाए। जिससे डयूटी को प्राथमिकता देते हुए चल बसे। इस मौके पर शहीद के पिता गुलजार सिंह, भाई कर्ण सिंह, ठाकुर एंचल सिंह हैपी, राजपूत महासभा के जिला प्रधान ठाकुर राम सिंह मजीठी, ब्लाक समिति के पूर्व चेयरमैन ठाकुर विक्रम सिंह बबलू, सरपंच संदीप सिंह, पूर्व सरपंच सोहन सिंह, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, जगीर सिंह, शक्ति सिंह, हीरा सिंह, मनजीत सिंह, गुलशन ठाकुर, शानू ठाकुर, अशोक सिंह आदि उपस्थित थे।