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कैप्टन ने दिए संकट में फंसी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुँचाने के लिए पाँच प्रमुख शहरों में महिला पी.सी.आर वैनें चलाने के आदेश

कैप्टन ने दिए संकट में फंसी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुँचाने के लिए पाँच प्रमुख शहरों में महिला पी.सी.आर वैनें चलाने के आदेश
  • PublishedDecember 19, 2019

पुलिस को पिक-ड्रॉप की सुविधा में विस्तार करने के लिए कहा

चंडीगढ़, 19 दिसंबर:संकट में फंसी महिलाओं को ले जाने और छोडऩे (पिक एंड ड्रॉप) की सुविधा में विस्तार करने के मद्देनजऱ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य के 5 प्रमुख शहरों में महिला आधारित पी.सी.आर. वैनें चलाने के हुक्म दिए हैं जिससे महिलाओं को सुरक्षित घर पहुँचाया जा सके।

मुख्यमंत्री के हुक्मों के मुताबिक संकट में फंसी महिलाओं को उनके घर या काम वाली जगह पर सुरक्षित पहुँचाने के लिए मोहाली, अमृतसर, पटियाला, लुधियाना और जालंधर में चलाईं जा रही पी.सी.आर वैनों की चालक भी महिलाएं ही होंगी।

यहाँ गुरूवार को यह जानकारी देते हुए डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षित घर छोडऩे की स्कीम की शुरुआत के बाद 3 से 18 दिसंबर, 2019 तक हेल्पलाइन नंबरों 100 /112, 181 और 1091 पर कुल 40 कॉल आईं थीं। विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 112 /100 पर 26 कॉल, 181 पर 2 कॉल और 1091 की जि़ला हेल्पलाइन पर कुल 12 कॉल आईं थीं।जि़क्रयोग्य है कि मुख्यमंत्री ने 3 दिसंबर, 2019 को महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बढ़ रही मुश्किलों के मद्देनजऱ इस योजना की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत रात 9.00 बजे से प्रात:काल 6.00 बजे तक मुसीबत में फंसी महिलाओं को मुफ़्त पुलिस सहायता दी जाती है।

महिला कॉलर को तुरंत सम्बन्धित पुलिस स्टेशन के पुलिस पैट्रोलिंग वाहन के साथ जोड़ा जायेगा जहाँ उपलब्ध पिक एंड ड्रॉप की सुविधा के साथ टैक्सी या थ्री-व्हीलर के द्वारा सुरक्षित घर पहुँचाया जायेगा।अब तक प्राप्त हुई कॉल सम्बन्धी विवरण देते हुए डी.जी.पी. ने कहा कि पुलिस पैट्रोलिंग पार्टियों की तरफ से फ़ोन करने वाले तक पहुँचने के लिए कम से कम 7 मिनट और अधिक से अधिक 30 मिनट का समय था और औसतन यह समय 12 मिनट का था। पुलिस पार्टियों ने बुलाने वालों को उनके निवास स्थान /जगह पर सुरक्षित ढंग से छोड़ा जहाँ वह जाना चाहते थे।

कुछ मामलों में, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया की महिला पत्रकारों ने पुलिस प्रतिक्रिया समय की जांच करने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम को डम्मी कॉल भी की और इसकी सफलतापूर्वक पुष्टि की।और जानकारी देते हुए डी.जी.पी. ने कहा कि ज़्यादातर मामलों में एक महिला पुलिस अधिकारी पी.सी.आर. में मौजूद थी। उन्होंने बताया कि यह स्कीम अभी भी शुरुआती पड़ाव में है और इसलिए कुछ समस्याएँ भी आ रही हैं, इस स्कीम को और सुचारू बनाया जा रहा है। एक बार ऐसा हो जाने के बाद मुसीबत में महिलाओं की मदद करने के लिए सभी पीसीआर वैनों में एक महिला सिपाही मौजूद होगी।डीजीपी ने कहा कि चाहे यह योजना अधिकारिक तौर पर रात 9 बजे से प्रात:काल 6 बजे के समय के दौरान कठिनाई में फंसी महिलाओं के लिए घोषित की गई थी, परन्तु मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत तौर पर पुलिस को निर्देश दिए हैं कि दिन के किसी भी समय असुरक्षित महसूस करती महिलाओं को सहायता प्रदान की जाएं।

इस निर्देश पर अमल करते हुए पठानकोट पुलिस ने 5 दिसंबर को प्रात:काल 8.05 बजे फ़ोन करने वाली एक महिला की मदद करते हुए उसे सुरक्षित घर छोड़ दिया था।दिलचस्प बात यह है कि राहगीरों द्वारा रात को किसी महिला को अकेले देखे जाने पर भी पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल की जा रही है। ऐसी ही एक मिसाल 6 दिसंबर को प्रात:काल 12.16 बजे बतायी जाती है जब दानेश नाम के एक व्यक्ति ने 112 हेल्पलाइन पर फ़ोन करके पुलिस को बुलाया कि एक महिला लाढोवाली चुबती फाटक, जालंधर में अकेले खड़ी है। एक महिला एएसआई वाली पी.सी.आर. ने एक महिला को 14 मिनटों में घर छोड़ दिया।——–

Written By
The Punjab Wire